By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | May 25, 2020
नयी दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने रविवार को कहा कि निजामुद्दीन मरकज की घटना के बाद कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में अचानक वृद्धि के कारण भारत को “बड़ा झटका” लगा। उन्होंने कहा कि यह घटना सभी समुदायों के लिए सबक है कि जब देश कोई सामूहिक निर्णय लेता है तो अनुशासित होकर उसका पालन करना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि इस बारे में अभी बात करने का कोई अर्थ नहीं है क्योंकि तबलीगी जमात के कार्यक्रम में भाग लेने वाले सभी व्यक्तियों के संपर्क में आए लोगों का पता लगा लिया गया था और जो कोरोना वायरस से संक्रमित थे, उनका उपचार किया गया।
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भाजपा प्रवक्ता जीवीएल नरसिंह राव के साथ हुई बातचीत में हर्षवर्धन ने कहा कि राज्य सरकारें, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और गृह मंत्री अमित शाह ने तबलीगी जमात की घटना के बाद निगरानी रखने में अहम भूमिका निभाई। राव द्वारा पूछे जाने पर कि क्या इस घटना से संक्रमण की शुरुआत हुई, वर्धन ने कहा, “हमें यह मुद्दा उठाना अच्छा नहीं लगता लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि मार्च के दूसरे सप्ताह के आसपास जब विश्व में कोरोना वायरस तेजी से फैल रहा था और भारत में संक्रमण का पहला मामला सामने आने के डेढ़ महीने बाद भी कुछ राज्यों में बहुत कम मामले सामने आए थे, तब यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई।” उन्होंने कहा, “दिल्ली में कानून लागू होने की वजह से 10-15 लोग एकत्रित नहीं हो सकते थे। उस समय डेढ़ दर्जन देशों से आए लोग वहां एकत्रित थे।” वर्धन ने कहा कि निजामुद्दीन की घटना में सामाजिक दूरी के नियम का पालन नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि बाहर से आए लोग अपने साथ बीमारी ला रहे थे और ऐसे समय में प्रशासन की जानकारी के बिना एक हजार से अधिक लोग एकत्रित थे। वर्धन ने कहा कि अधिकारियों को जब इसकी सूचना मिली तब इन लोगों को हटाया गया और बहुत से लोग खुद ही वहां से चले गए।
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उन्होंने कहा, “उस समय देश को बड़ा झटका लगा जब संक्रमण के मामले अचानक से बढ़ गए और सरकार को लॉकडाउन तथा अन्य कड़े कदम उठाने का निर्णय लेना पड़ा।” केंद्रीय मंत्री ने कहा, “यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी और देश के सभी वर्गों और समुदायों के लिए एक सबक है कि जब देश कोई सामूहिक निर्णय लेता है तब सभी को अनुशासन पूर्वक उसका पालन करना चाहिए क्योंकि वह सबके वृहद हित में होता है।” वर्धन ने लॉकडाउन लागू किए जाने को सही समय पर लिया गया साहसिक निर्णय बताया और कहा कि लॉकडाउन ने वायरस के विरुद्ध एक “सामाजिक टीके” का काम किया है।