Mandya Lok Sabha Seat पर HD Kumaraswamy आगे नजर आ रहे हैं मगर Star Chandru भी पूरा दम लगाकर मैदान में डटे हुए हैं

By नीरज कुमार दुबे | Apr 22, 2024

कर्नाटक में मांड्या लोकसभा सीट पर पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा का काफी प्रभाव माना जाता है लेकिन पिछले लोकसभा चुनावों में उनका पोता इस सीट से हार गया था जिसके बाद जनता दल सेक्युलर ने इस क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने का काम तेजी से किया। हालांकि पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में भी जनता दल सेक्युलर को निराशा हाथ लगी लेकिन मांड्या के तहत आने वाली विधानसभा सीट चेन्नापटना से कुमारस्वामी अपना चुनाव जीतने में सफल रहे। इस बार जनता दल सेक्युलर और भाजपा मिल कर चुनाव लड़ रहे हैं। शुरुआत में खबर आई थी कि भाजपा और जनता दल सेक्युलर के कार्यकर्ता जमीन पर साथ काम नहीं कर रहे हैं इसलिए खुद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मांड्या आये और दोनों दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं को साथ बिठाकर आपसी नाराजगी दूर करवाई और साथ काम करने के लिए मनाया। तबसे हर जगह आपको दोनों दलों के कार्यकर्ता साथ ही चुनावी अभियान चलाते हुए दिख जाएंगे।


प्रभासाक्षी की चुनावी यात्रा जब कर्नाटक के मांड्या पहुँची तो हमने पाया कि यहां से भाजपा और जनता दल सेक्युलर के संयुक्त उम्मीदवार एचडी कुमारस्वामी भारी बढ़त लिये हुए हैं। कृषि प्रधान वोक्कालिगाओं के गढ़ मांड्या में सत्तारुढ़ कांग्रेस ने 'स्टार चंद्रू' के नाम से मशहूर ठेकेदार वेंकटरमणे गौड़ा को मैदान में उतारा है। वह गौरीबिदानूर के निर्दलीय विधायक केएच पुट्टस्वामी गौड़ा के भाई हैं। कांग्रेस को लगता है कि विधानसभा चुनावों में उसने इस क्षेत्र में जो प्रदर्शन किया था उसे वह लोकसभा चुनावों में भी दोहरा सकती है। हम आपको बता दें कि पिछले साल हुए कर्नाटक विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस ने मांड्या लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले आठ विधानसभा क्षेत्रों में से छह पर जीत हासिल की थी।

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हम आपको बता दें कि पिछले लोकसभा चुनावों के दौरान भाजपा द्वारा समर्थित फिल्म अभिनेत्री सुमालता यहां से विजयी हुई थीं। दिवंगत फिल्म अभिनेता अंबरीश की पत्नी सुमालता ने कुमारस्वामी के बेटे निखिल को हरा कर बड़ा राजनीतिक कारनामा कर दिया था। अब सुमालता भाजपा में शामिल हो गयी हैं और उन्होंने इस बार चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है। हमने अपनी चुनाव यात्रा के दौरान पाया कि कुछ बातें फिलहाल कुमारस्वामी के पक्ष में हैं। जैसे कि लोग उन्हें चंद्रू से बेहतर जानते हैं। कुमारस्वामी दो बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं इसलिए उनकी अपनी एक अलग पहचान है। जबकि कांग्रेस उम्मीदवार चंद्रू चुनाव से कुछ महीने पहले ही क्षेत्र में सक्रिय हुए हैं।


इसके अलावा हमने पाया कि 2019 में उनके बेटे निखिल की हार के कारण कुछ मतदाता कुमारस्वामी के प्रति सहानुभूति रखते हैं। एक गांव के व्यक्ति ने कहा कि हमें खेद है कि उनका बेटा हार गया था लेकिन इस बार हम कोई गलती नहीं करेंगे। स्थानीय गांवों के लोगों ने कहा कि हमने जो गलती कर दी थी उसे इस बार सुधार देंगे क्योंकि हमें एक ऐसे व्यक्ति की जरूरत है जो कावेरी मुद्दे पर संसद में हमारी आवाज को उठायेगा।


दूसरी ओर कांग्रेस उम्मीदवार चंद्रू अपने प्रचार के दौरान कुमारस्वामी को बाहरी बताते हुए उन्हें घेर रहे हैं। उनका कहना है कि कुमारस्वामी का जन्म हासन में हुआ और वह रामानगर में राजनीति करते हैं इसलिए मांड्या में उनका कुछ भी नहीं है। खुद को मांड्या का बेटा बताते हुए चंद्रू लोगों से खुद को एक मौका देने की अपील कर रहे हैं। हमने पाया कि मांड्या में चंद्रू का साथ देने के लिए पूरी कांग्रेस उतरी हुई है। राज्य सरकार की पांच गारंटियों का हवाला देते हुए लोगों से मतदान की अपील की जा रही है।


हालांकि जब हमने गांव में लोगों से कांग्रेस की गारंटियों के बारे में पूछ तो उन्होंने निराशा व्यक्त की। एक व्यक्ति ने कहा कि सरकार की गृह लक्ष्मी योजना से काफी निराशा हुई क्योंकि यह प्रत्येक परिवार की एक महिला को प्रति माह 2000 रुपए की सहायता देती है। उन्होंने कहा कि मेरे परिवार में, तीन महिलाएँ हैं। लेकिन केवल सबसे बड़ी बहू को ही पैसा मिल रहा है और बाकी दोनों निराश हैं। बिजली बिल माफ करने के वादे पर लोगों ने कहा कि बिजली अब कम आने लगी है। कुछ व्यापारियों ने कहा कि कमर्शियल बिजली की दरें बार-बार बढ़ाई जा रही हैं और हमसे पैसा लेकर दूसरों को सब्सिडी दी जा रही है जोकि गलत है। महिलाओं को गैर लग्जरी बसों में मुफ्त यात्रा के वादे पर लोगों ने कहा कि सिर्फ खटारा बसों में मुफ्त यात्रा कराई जा रही है जिसका कोई औचित्य नहीं है। दुग्ध उत्पादकों ने भी सहायता का वादा पूरा नहीं करने पर कांग्रेस से नाराजगी जताई।


जहां तक मांड्या के सामाजिक और राजनीतिक समीकरणों की बात है तो आपको बता दें कि एक अनुमान के मुताबिक, मांड्या में 7.89 लाख वोक्कालिगा हैं। अगर कुमारस्वामी इस समुदाय को एकजुट करने में सफल हो जाते हैं तो यह कांग्रेस के लिए बड़ा झटका होगा। इसके अलावा परंपरागत रूप से भाजपा के समर्थन आधार के रूप में पहचाने जाने वाले लिंगायतों के पास लगभग 1.61 लाख वोट हैं। यह दोनों वोट अगर जुट गये तो कुमारस्वामी की जीत निश्चित है। इसके अलावा, कर्नाटक भाजपा अध्यक्ष ने जबसे यह ऐलान किया है कि कुमारस्वामी जीतने पर केंद्र में मंत्री बनेंगे तबसे उनके समर्थकों की तादाद बढ़ने लगी है। लोगों ने कहा कि कुमारस्वामी केंद्र में मंत्री बनेंगे तो पूरे राज्य को लाभ होगा। ग्रामीणों ने हमसे कहा कि हम कावेरी मुद्दे के समाधान के लिए उन पर भरोसा कर सकते हैं। लोगों ने कहा कि उन्होंने ही किसानों का कर्ज माफ किया था, हम उसे कैसे भूल सकते हैं।


-नीरज कुमार दुबे

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