By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jul 12, 2024
नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने खाद्य सुरक्षा नियामक एफएसएसएआई के उस फैसले को बरकरार रखा है जिसमें पान मसाला पैकेट पर स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने के खिलाफ वैधानिक चेतावनियों के आकार को पहले के तीन मिमी से बढ़ाकर लेबल के सामने के हिस्से का 50 प्रतिशत करने का फैसला किया गया था। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक पान मसाला निर्माता की याचिका को खारिज करते हुए यह व्यवस्था दी। याचिका में अक्टूबर, 2022 में भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा जारी एक अधिसूचना को चुनौती दी गई थी।
पीठ ने कहा कि कि यह आदेश स्वास्थ्य में बड़े सार्वजनिक हित की रक्षा के विधायी इरादे को प्रभावी करता है, जो सर्वोपरि है, और एक निर्माता को होने वाले व्यक्तिगत नुकसान से अधिक है। पीठ में न्यायमूर्ति मनमीत पी.एस. अरोड़ा भी शामिल थे। पीठ नौ जुलाई के अपने फैसले में कहा, ‘‘वर्तमान रिट याचिका लंबित आवेदन के साथ खारिज की जाती है।’’
याचिकाकर्ता, धर्मपाल सत्यपाल लिमिटेड - पान मसाला ब्रांड रजनीगंधा, तानसेन और मस्तबा के लाइसेंस प्राप्त निर्माता और व्यापारी - और इसके एक शेयरधारक ने भी याचिका खारिज होने की स्थिति में नई पैकेजिंग आवश्यकता का अनुपालन करने के लिए ‘पर्याप्त समय’ मांगा था। अपने फैसले में, अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता कंपनी को अपने उत्पाद की पैकेजिंग बदलने और विनियमन का अनुपालन करने के लिए पहले ही पर्याप्त समय दिया जा चुका है।