'अगले प्रमोशन' के लिए बन गए हैं सरकार के प्रवक्ता, देश की गरिमा को पहुंचाई ठेस, धनखड़ पर जमकर बरसे खड़गे

By अंकित सिंह | Dec 11, 2024

इंडिया ब्लॉक के नेताओं ने बुधवार को राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के अपने कदम का बचाव किया और कहा कि उन्हें लोकतंत्र को बचाने के लिए कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि सभापति राज्यसभा के सबसे बड़े विघटनकर्ता हैं और उनके आचरण ने राष्ट्र के गौरव को नुकसान पहुंचाया है। कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने जगदीप धनखड़ को 'सरकारी प्रवक्ता' कहा। खड़गे ने बुधवार दोपहर एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि धनखड़ के कार्यों ने भारत की गरिमा को ठेस पहुंचाई है और राज्यसभा सभापति के खिलाफ कोई व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है।

 

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धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के नोटिस के बारे में बोलते हुए खड़गे ने जगदीप धनखड़ की भी आलोचना की और उन्हें सबसे बड़े सरकारी प्रवक्ता के रूप में संदर्भित किया और कहा कि राज्यसभा में व्यवधान का सबसे बड़ा कारण स्वयं सभापति हैं। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि इंडिया ब्लॉक ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को हटाने की मांग को लेकर राज्यसभा में एक प्रस्ताव लाने के लिए एक नोटिस प्रस्तुत किया है। विपक्ष के कदम पर बात करते हुए खड़गे ने इस बात पर जोर दिया कि 1952 के बाद से किसी उपराष्ट्रपति को हटाने का कोई प्रस्ताव नहीं लाया गया है, क्योंकि इस पद पर रहने वाले लोग निष्पक्ष और राजनीति से परे थे और सदन को हमेशा नियमों के अनुसार चलाते थे।


खड़गे ने कहा कि सदन में लंबा अनुभव रखने वाले कई नेता हैं। सदन में जो सदस्य हैं, वे डॉक्टर, प्रोफेसर, पत्रकार समेत अनेक पेशे से जुड़े रहे हैं और कई सदस्य मंत्री भी रह चुके हैं। सभापति सदन में हेडमास्टर की तरह सदस्यों की स्कूलिंग करते हैं। उनको प्रवचन सुनाते हैं। यदि विपक्ष के सांसद सदन में 5 मिनट बोलते हैं, तो 10 मिनट खुद सभापति बोलते हैं। सदन में विपक्ष के सांसदों को बोलने से रोका जाता है। सभापति की निष्ठा संविधान और संवैधानिक परंपराओं की जगह सत्ता पक्ष के लिए है। उन्होंने कहा कि सभापति अपने अगले प्रमोशन के लिए सरकार के प्रवक्ता बनकर काम कर रहे हैं। 


कांग्रेस नेता ने कहा कि मुझे यह कहते हुए संकोच नहीं है कि सदन अगर बाधित होता है तो उसके सबसे बड़े कारण सभापति हैं। सभापति दूसरों को सबक सिखाते हैं और स्वयं बार-बार व्यवधान उत्पन्न करते हैं। यह देखा जा सकता है कि सदन बंद करने की कोशिश सत्ता पक्ष और सभापति की ओर से ज्यादा होती है। उन्होंने कहा कि आमतौर पर विपक्ष चेयरमैन से प्रोटेक्शन मांगता है, वही विपक्ष के संरक्षक होते हैं। लेकिन अगर खुद सभापति सत्ता पक्ष और प्रधानमंत्री का गुणगान कर रहे हों तो विपक्ष की कौन सुनेगा? सभापति हमारी ओर ध्यान नहीं देते, लेकिन सत्ता पक्ष को बोलने के लिए इशारा करते हैं।

 

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उन्होंने कहा कि जब विपक्ष सरकार से सवाल पूछता है, तो सभापति सत्ता पक्ष के जवाब देने से पहले ही उनकी ढाल बनकर खडे़ रहते हैं। सभापति के आचरण ने देश की गरिमा को बहुत नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने देश के संसदीय इतिहास में ऐसी स्थिति ला दी है कि हमें उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाना पड़ा है। उनके साथ हमारी कोई निजी दुश्मनी या राजनीतिक द्वेष नहीं है। हमने बहुत सोच-समझकर, देश के संविधान और लोकतंत्र को बचाने के इरादे से मजबूरी में ये कदम उठाया है। 

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