By अंकित सिंह | Sep 17, 2024
हरियाणा में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच कड़ी चुनावी प्रतिस्पर्धा है। इसके अलावा इंडियन नेशनल लोक दल (आईएनएलडी) और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) जैसे छोटे खिलाड़ी अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए हर मौके का फायदा उठा रहे हैं। वहीं, आम आदमी पार्टी भी इस बार राज्य में मौके की तलाश में दिखाई दे रही है। हालांकि, सभी पार्टियों को कहीं ना कहीं जाट वोट को साधने की कोशिश करनी पड़़ रही है। इसका बड़ा कारण ये है कि हरियाणा में कई सीटों पर जाट वोट का दबदबा है और वह सरकार बनाने में बेहद ही महत्वपूर्ण साबित होते हैं।
जाट समुदाय कई कारणों से भाजपा से नाराज है। इसकी बड़ी वजह भारतीय सेना में भर्ती की अग्निपथ योजना, किसानों का विरोध और भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के पूर्व प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ पहलवानों के विरोध का 'खराब प्रबंधन'। जाट भाजपा से इसलिए भी नाराज हैं क्योंकि भगवा पार्टी ने मनोहर लाल खट्टर की जगह किसी जाट मुख्यमंत्री को नहीं बनाया।
वयोवृद्ध कांग्रेस नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह ने कहा कि हरियाणा में जाट बड़ी संख्या में कांग्रेस का समर्थन करते हैं, जबकि राज्य में मुस्लिम मतदाता भी सबसे पुरानी पार्टी को वोट देंगे। उन्होंने कहा कि हरियाणा में मतदाता भाजपा की नीतियों से आहत हैं और कांग्रेस के पक्ष में खड़े हैं। बड़ी संख्या में जाट बेशक कांग्रेस का समर्थन करते हैं लेकिन दूसरी पार्टियों में भी जाट हैं। हरियाणा में मुस्लिम वोटर 5 फीसदी हैं जो कांग्रेस को वोट देंगे क्योंकि बीजेपी उन पर दबाव डालती है। यह कहना ठीक नहीं है कि जाटों और गैर-जाटों के बीच लड़ाई है।
हरियाणा में, जाट राज्य की आबादी का लगभग 22-27 प्रतिशत हैं। हरियाणा में 37 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें जाट समुदाय उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करता है। इनमें से 22 सीटें जाटलैंड में, 8 बागड़ी में, 4 जीटी रोड बेल्ट में और 3 सीटें ब्रज में हैं। जाट प्रभुत्व वाली 37 सीटों में से कुल 30 सीटें रोहतक और हिसार प्रशासनिक प्रभागों में स्थित हैं। इन सीटों पर हरियाणा विधानसभा की 40 प्रतिशत सीटें हैं, जिससे जाट समुदाय हरियाणा चुनावों में बेहद प्रभावशाली हो जाता है।
अपने खिलाफ जाटों की नाराजगी के कारण बीजेपी ने इस साल गैर-जाट उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। 2024 में, भाजपा द्वारा मैदान में उतारे गए जाट उम्मीदवारों की कुल संख्या 16 है, जो 2019 (19 उम्मीदवार) और 2014 (24 उम्मीदवार) से कम है। भाजपा ने अपनी हरियाणा रणनीति को ओबीसी मतदाताओं पर जीत हासिल करने पर केंद्रित किया है, जो राज्य की मतदान आबादी का लगभग 30 प्रतिशत है, जबकि जाटों की संख्या 22-27 प्रतिशत और अनुसूचित जाति (एससी) की लगभग 20 प्रतिशत है।