दिल्ली के कोटे से मनोज तिवारी को तरजीह देकर पूर्वी दिल्ली से सांसद बने Harsh Malhotra बने सरकार में मंत्री

By Anoop Prajapati | Jun 22, 2024

नवनिर्वाचित मोदी 3.0 की सरकार में मंत्रीपरिषद में मनोज तिवारी को तरजीह देकर हर्ष मल्होत्रा को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। पहली बार सांसद बने मल्होत्रा सड़क परिवहन और एक अन्य मंत्रालय कार्यभार संभालेंगे। उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया है। दिल्ली के सियासी जानकारों का इस मामले में कहना है कि हर्ष मल्होत्रा छात्र जीवन से ही बीजेपी से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े रहे हैं। बीजेपी से उनका जुड़ाव लगभग चार दशक से है। उन्हें पार्टी के नीचे से लेकर ऊपर तक बीजेपी के कार्यकर्ता और नेता सीधे तौर पर जानते हैं।


हर्ष मल्होत्रा शाहदरा भाजपा के 2014 में जिलाध्यक्ष भी रहे हैं। मल्होत्रा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे आदेश गुप्ता की टीम में भी प्रदेश महामंत्री थे जबकि वीरेंद्र सचदेवा की टीम में भी महामंत्री के तौर पर कार्य कर रहे हैं। हर्ष मल्होत्रा 59 वर्ष के हैं। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से बीएससी जबकि डीयू के ही लॉ फैक्लटी से एलएलबी की पढ़ाई भी की है। नवनिर्वाचित सांसद 1984 में भारतीय जनता पार्टी युवा विंग में शामिल हुए और युवा मोर्चा मंडल अध्यक्ष, सचिव-जिला युवा मोर्चा के रूप में काम किया। उन्हें 2005 में जिला महासचिव संगठन के रूप में नियुक्त किया गया और 2007 में बीजेपी के जिला अध्यक्ष बने। 


2015 में मल्होत्रा ​​​​​​पूर्वी दिल्ली नगर निगम के मेयर के रूप में चुने गए। हर्ष मल्होत्रा ​​ने दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की और 1987 में उसी विश्वविद्यालय से एलएलबी भी की। वे पहली बार 2012 में वेलकम कॉलोनी से तत्कालीन पूर्वी दिल्ली नगर निगम के पार्षद बने। बीजेपी नेता को 2015-16 में महापौर के रूप में कार्यभार संभालने से पहले नागरिक निकाय की शिक्षा समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। हर्ष मल्होत्रा ​​​​अपने प्रतिद्वंद्वी इंडिया ब्लॉक के कुलदीप कुमार को 93,663 मतों से हराने में सफल रहे। 


दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा नवगठित मंत्रिमंडल में राज्य मंत्री के रूप में मल्होत्रा ​​को शामिल किए जाने का स्वागत किया। 2019 लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी इस सीट को करीब 4 लाख के अंतर से जीती पर इस दफा उसका प्रभाव क्षेत्र इस इलाके में कमजोर हुआ। जीत का अंतर 1 लाख से भी नीचे चला आया। हालांकि, इसकी एक दूसरी वजह आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का साझा चुनाव लड़ना भी रहा। आम आदमी पार्टी ने 2024 लोकसभा चुनाव में दिल्ली की 7 में से 4 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया था। वहीं कांग्रेस पार्टी को 3 सीट ही पर अपने कैंडिडेट उतारकर संतोष करना पड़ा।

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