By अभिनय आकाश | Feb 04, 2021
एक आंदोलन का चरित्र कैसा होता है। इसे समझने के लिए उस दौर को याद करना होगा। जब भारत आजादी के लिए संघर्ष कर रहा था। तब भारत में आजादी के लिए कई बड़े आंदोलन हुए। 1920 में भारत में असहयोग आंदोलन हुआ। 1930 में महात्मा गांधी ने डांडी यात्रा निकाली और फिर 1942 में अंग्रेजों भारत छोड़ों की जड़े मजबूत हुईं। इन तमाम आंदोलनों में एक समानता ये थी कि ये प्रायोजित और लोगों पर जबरदस्ती थोपे गए आंदोलन नहीं थे, न ही पैसे से खरीदे गए थे। इन आंदोलन में लोगों की भीड़ सच्चे दिल से एकत्रित होती थी। आजादी के बाद भी जब जनता सड़कों पर उतरी उस वक्त भी ये प्रायोजित नहीं हुआ करती थी। चाहे वो जेपी आंदोलन ही क्यों न हो। कृषि कानूनों के विरोध में देश की राजधानी में करीब ढाई माह से किसान आंदोलन जारी है। लेकिन किसान आंदोलन को समर्थन देने के नाम पर भारतीय लोकतंत्र को बर्बाद करने की अंतरराष्ट्रीय साजिश का खुलासा हुआ है। भारत के खिलाफ इस साजिश में हाॅलिवुड की पाॅप स्टार रिहाना के अलावा क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग भी शामिल थी। साजिश शब्द सुनने में कितना भारी लगता है। इसे समझने के लिए पूरा माजरा समझाते हैं। हाउ डेयर यू कहने वाली आवाज सवालों के घेरे में है। संयुक्त राष्ट्र के जलवायु सम्मेलन में तेवर दिखाने वाले चेहरे के पीछे की साजिश के सबूत भी अब सामने आने लगे हैं। एक ट्वीट ने उन सारी साजिश का पर्दाफाश कर दिया जिसके जरिये देश की मोदी सरकार को बदनाम करने की कोशिश हो रही थी। ग्रेटा ने इस ट्वीट को डिलीट कर दिया । हाउ डेयर यू वाली ग्रेटा ने तो फैंटम बनने के चक्कर में होमवर्क वाली चिट्ठी ही लीक कर दी और अच्छे खासे प्लान का सत्यानाश कर दिया।
लेकिन इन कागजों पर लिखा एक-एक हर्फ बता रहा है कि भारत के खिलाफ कितनी बड़ी इंटरनेशनल साजिश चल रही है। और इसी साजिश की एक कड़ी है क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग। इन कागजों में क्या लिखा है इसके बारे में आपको तफ्सील से बताएंगे। लेकिन पहले आपको पहले ये बता दें कि भारत के खिलाफ साजिशों में ग्रेटा थनबर्ग अकेली नहीं हैं। भारत के लोकतंत्र को बदनाम करनी वाली सोची समझी साजिश करने वाले चंद और लोगों के चेहरों को भी दिखाते हैं।
बनेसा नकाटे- क्लाइमेट एक्टिविस्ट
केल ब्रूक- ब्रिटिश बाॅक्सर
जेमी मैर्गोलिन- पर्यावरण कार्यकर्ता
रूपा हक- ब्रिटिश सांसद
जगमीत सिंह- कनाडा के खालिस्तान समर्थक नेता
जिम कोस्टा- अमेरिका के सांसद
रिहाना- गायिका, अभिनेत्री और कारोबारी
मिया खलीफा- माॅडल, वेबकैम एक्ट्रेस, एक्स पोर्न स्टार
ग्रेटा थनबर्ग- छात्रा, पर्यावरण कार्यकर्ता
मीना हैरिस- वकील, महिला अधिकार कार्यकर्ता
कौन हैं ग्रेटा थनबर्ग
साल 2019 में संयुक्त राष्ट्र में 16 साल की ग्रेटा थनबर्ग का भाषण काफी पाॅपुलर हुआ। जिसमें इस लड़की ने संयुक्त राष्ट्र में क्लाइमेट चेंड पर बात की। गुस्से और नाराजगी से साथ ये कहा कि दुनिया के बड़े-बड़े लीडर्स पर्यावरण को बचाने में नाकाम हो रहे हैं। वो लापरवाह होकर आने वाली पीढ़ियों के साथ जो नाइंसाफी कर रहे हैं उसका जवाब उन्हें देना होगा। ये वीडियो सामने आने के बाद इस लड़की के बारे में बहुत बात हुई। ग्रेटा थनबर्ग एक एनवारमेंट एक्टिविस्ट हैं और स्वीडन की रहने वाली हैं। अगस्त 2018 में स्वीडिश पार्यलियामेंट के सामने क्लाइमेट के लिए मजबूत कदम उठाने की मांग रखते हुए ग्रेटा ने अकेले एक स्ट्राइक शुरू की थी। उस वक्त स्वीडन रिकाॅर्ड तोड़ गर्मी से परेशान था। ग्रेटा अपना स्कूल स्किप कर पार्लियामेंट के सामने एक बोर्ड लेकर बैठती थीं। उसमें उनकी मांग ये थी की कार्बन एमूशन को कम करने के लिए जरूरी बदलाव लाए जाए। शुरुआत में तो ग्रेटा को पर्याप्त समर्थन नहीं मिला लेकिन धीरे-धीरे कई छात्रों ने भी इस मूवमेंट को ज्वाइन किया। इस स्ट्राइक का नाम फ्राइडे फाॅर फ्यूचर रखा गया। इस स्ट्राइक का असर भी दिखा और दुनिया के अन्य देशों में भी प्रदर्शन हुए। मार्च के महीने में करीब 15 लाख बच्चे स्कूल छोड़ प्रदर्शन करने सड़कों पर निकले। उस वक्त ही ग्रेटा थनबर्ग ने पर्यावरण के क्षेत्र में खास पहचान बनाई।
पर्यावरण एक्टविस्ट ग्रेटा से इस बार गलती हो गई और जब तक वो अपनी इस गलती को सुधार पाती तब तक पूरी दुनिया ने उन्हें रंगे हाथों पकड़ लिया। पहले ग्रेटा थनबर्ग ने प्रोपेगेंडा फैलाने वाला गूगल टूल किट शेयर करते हुए ट्वीट किया। लेकिन जैसे ही उन्हें लगा कि चोरी पकड़ी जाएगी। उन्होंने जल्दबाजी में इसे डिलीट कर दिया। ट्वीट डीलीट करने के बाद फौरन गूगल टूल किट को लाॅक भी कर दिया। लेकिन ग्रेटा ने जो गूगल टूल किट डीलिट किया उसे पूरी दुनिया ने पढ़ लिया। ट्वीट में ग्रेटा ने लिखा था कि हम भारत में चल रहे किसान आंदोलन के साथ एकजुटता के साथ खड़े हैं। इसके बाद एक अन्य ट्वीट में उसने गूगल डाॅक्यूमेंट की एक फाइल शेयर की जिसमें भारत में चल रहे किसान आंदोलन को हवा देने वाले सोशल मीडिया कैंपेन का शेड्यूल और तमाम रणनीति दर्ज थी।
ट्वीट में क्या लिखा था
उस ट्वीट में ग्रेटा ने क्या लिखा था उसकी कुछ बातें आपको बताते हैं। इस टूल किट में 26 जनवरी को दंगों की पूरी डिटेल दी गई थी। भारत सरकार पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने की कार्ययोजना साझा की गई थी और पांच चरणों में दबाव बनाने की बात कही गई। लेकिन ग्रेटा ने बिना पढ़े उसे ट्विटर पर शेयर कर दिया और फिर बाद में डीलिट कर दिया। इसमें प्रायर एक्शन का जिक्र करते हुए लिखा गया कि 26 जनवरी से पहले कैसे भारत पर डिजिटल स्ट्राइक करनी है।
प्रधानमंत्री कार्यालय, कृषि मंत्री, वर्ल्ड बैंक, आईएमएफ जैसी संस्थाओं को टैग करने की बात कही गई थी। फिशिकल एक्शन का जिक्र करते हुए लिखा गया कि 26 जनवरी को भारत में मौजूद दूतावास. सरकारी इमारतों बिजनेस हाउसेस पर जाकर कैसे एक्शन लेना है।
विदेशों में 26 जनवरी को कैसे कोहराम मचाना है। ट्रैक्टर रैली, मार्च और परेड में शामिल होकर वीडियो बनाकर शेयर करने की बात कही गई।
लेकिन पुराना ट्वीट डिलीट करने के बाद ग्रेटा थनबर्ग ने एक नया ट्वीट किया और अपडेटेट टूलकिट शेयर कर कई बदलवान किए। 26 जनवरी प्रदर्शन वाले प्लान को इससे हटा लिया गया। नए ट्वीट में ग्रेटा ने लिखा कि यदि आप मदद करना चाहते हैं तो यह अपडेटेड टूलकिट है। अपना पिछला डाॅक्यूमेंट हटा दिया क्योंकि ये पुराना था। जिसके बाद नए टूल किट में ये लिखा था।
#AskIndiaWhy हैशटैग के साथ तस्वीरें और वीडियो 26 जनवरी या फिर इससे पहले ट्विटर पर पोस्ट करने होंगे।
पाॅप स्टार रिहाना द्वारा ट्वीट की गई लाइन का भी जिक्र उन्हीं शब्दों में है जैसा कि इस दस्तावेज में रिहाना के नाम से जारि किया गया था।
4-5 फरवरी 2021 को ट्विटर स्टाॅर्म: 5 फरवरी तक या अधिकतम 6 फरवरी तक फोटो/वीडियो संदेश शेयर करें। गौर करने वाली बात है कि 6 फरवी को ही किसानों ने राष्ट्रव्यापी चक्का जाम की घोषणा की है।
इस टूलकिट में असम को लेकर जेनोसाइड इन असम की बात कही गई थी।
21 फरवरी से 25 फरवरी तक के बीच विरोध प्रदर्शन करने का नया कैलेंडर भी बताया था।
टूल किट में लिखा था कि आप चाहे जिस शहर में रहते हो वहीं के धरना प्रदर्शन में शामिल हों और वीडियो बनाए।
लेकिन ग्रेटा थनबर्ग द्वारा किए गए ट्वीट के बाद इस टूलकिट के दस्तावेजों की गोपनीयता में बदलाव करके इसे प्राइवेट कर दिया गया। लेकिन इस दस्तावेज में दी गई कुछ ट्वीट तलाशें तो पता चलता है कि यह अभियान कम से कम नवंबर 2020 से चल रहा है।
विदेश मंत्रालय ने कहा- बोलने से पहले मुद्दा तो समझ लो
सोशल मीडिया पर मामले को बढ़ता देख भारतीय विदेश मंत्रालय से एक बयान जारी हुआ। इसमें कहा गया कि हम गुजारिश करेंगे कि ऐसे मामलों पर टिप्पणी करने से पहले तथ्यों का पता लगाया जाए और मुद्दों को अच्छी तरह समझ लिया जाए। सोशल मीडिया पर सनसनीखेज हैशटैग और टिप्पणियां लुभावनी बन जाती है, खासकर तब जब मशहूर हस्तियों और अन्य लोग इससे जुड़ जाते हैं जबकि उनका बयान न तो सटीक होता है और न ही जिम्मेदाराना। विदेश मंत्रालय ने कहा कि देश की संसद ने कृषि क्षेत्र से जुड़े सुधारवादी कानूनों को पूरी बहस और चर्चा के बाद पारित किया था। फिर भी अपना फायदा देखने वाले समूहों ने भारत के खिलाफ दुनियाभर से समर्थन जुटाने की कोशिश की है। यह भारत के लिए बेहद परेशान करने वाला है।
सरकार को मिला भारतीय हस्तियों का समर्थन
विदेश मंत्रालय के बयान के बाद ट्विटर पर #IndiaAgainstPropoganda और #IndiaTogether ट्रेंड करने लगा। किसान आंदोलन पर रिहाना के रिएक्शन का समर्थन करने वाले एक्टर-सिंगर दिलजीत दोसांझ और स्वरा भास्कर के जवाब में सुपरस्टार अक्षय कुमार, अजय देवगन, सुनील शेट्टी और एकता कपूर सहित कई स्टार एक साथ आ गए। भारत रत्न सचिन तेंदुलकर ने भी #IndiaAgainstPropoganda और #IndiaTogether के साथ लिखा- भारत की संप्रभुता से समझौता नहीं हो सकता। विदेशी ताकतें सिर्फ बाहर से देख सकती हैं, वे हिस्सेदार नहीं हो सकती। भारतीय ही भारत को जानते हैं और उन्हें ही भारत के बारे में फैसला करना चाहिए।
किसान एकता कंपनी ने बनाया टूल किट
ग्रेटा की पोल उस वक्त खुल गई जब टूल किट को शेयर कर डिलिट किया था वो किसान एकता कंपनी द्वारा बनाया गया था। ये कनाडा से आपरेट होता है। किसान आंदोलन की आड़ में भारत सरकार को बदनाम को साजिश करने का खेल चल रहा है।
रिहाना से ग्रेटा तक और कनाडा से लेकर मिया खलीफा तक कुछ चेहरे हैं जो दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश को डिमोक्रेसी बन ज्ञान बाट रहे हैं। लेकिन यहां पर बात केवल ट्वीट की नहीं है, बात सिर्फ एक प्रोपोगेंडा की नहीं बल्कि भारत के विरूद्ध ग्लोबल प्लान की है।
चीन की थ्री वाॅर फेयर स्टेटजी है। जिसका प्रयोग वो साल में दो बार करता है। पहला- साइकोलाॅजिकल वाॅर फेयर, दूसरा मीडिया वाॅर फेयर और तीसरा-लीगल वाॅर फेयर। ये तीन तरह की लड़ाई चीन के द्वारा टैंक, सोल्जर और आर्टलर्री के अलावा लड़ी जाती है। किसानों के आंदलोन के पीछे कौन हो सकता है? इस आंदोलन के पीछे चीन की साजिश हो सकती है। हो सकता है ये पैसा वहां से आ रहा हो। इसके पीछे हमारा पुराना दुश्मन पाकिस्तान भी हो सकता है। जो हमेशा से भारत को अस्थिर करना चाहता था। खालिस्तान के मुद्दे पर हमेशा से पाकिस्तान ने खालिस्तानियों का साथ दिया है। इसके पीछे तानाशाह भी हो सकते हैं। आज कल के बड़े-बड़े देशों की बड़ी रूचि के रुप में देशों को तोड़ना भी शामिल हो गई है।
भारत विश्वगुरु कैसे बनेगा। 8 से दस क्षेत्र नक्सल प्रभावित, एलओसी, एलएसी में तनाव, विश्वविद्यालयों से बच्चे निकलते हैं। जबतक देश आंतरिक से मजबूत न हो वो सुपर पावर कैसे बन सकता है। इसलिए कुछ लोग मिलकर एजेंडा चला रहे हैं। कि भारत में हर वक्त कुछ न कुछ होता रहे। चीन, अमेरिका जैसे देश, कुछ एनजीओ जैसी बाहरी ताकतें चाहती हैं कि भारत कंट्रोल में रहे। 130 करोड़ का मुल्क और 3 ट्रिलियन की इकोनाॅमी। अगले पांच दस साल में पांच ट्रिलियन की हो जाएगी। ऐसी कोई टेक्लनलाजी कंपनी नहीं है जिसमें भारतीयों का योगदान नहीं है। ये हमारे देश के लिए तो बड़े गर्व की अनुभूति वाली बात है। लेकिन दूसरे देशों के लिए यही तो सममस्या है। लेकिन हमें ये समझना होगा कि ये सिर्फ पीएम मोदी जी और गृह मंत्री अमित शाह का काम नहीं हैं। क्योंकि देश कांग्रेस या बीजेपी के का केवल नहीं है। आपके जो भी मतभेद बीजेपी या किसी नेता से रहे हो। लेकिन इस बात को समझना होगा कि देश भाजपा नहीं है और भाजपा देश नहीं है। आप देश के साथ चलें। एक और दिलचस्प बात ये है कि वैश्विक विशेषज्ञ भारतीय कृषि क्षेत्र में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। उन्हें अपनी सरकारों से पूछना चाहिए कि वे भारतीय किसानों को समर्थन के बारे में डब्ल्यूटीओ से शिकायत क्यों करते रहते हैं। इसके साथ ही स्वीडन और अमेरिका जैसे देश भी एपीएमसी मंडियों की शुरुआत के लिए तत्पर हैं। - अभिनय आकाश