By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jul 04, 2019
नयी दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल और एमटीएनएल को बाजार की मौजूदा परिस्थितियों के मुताबिक प्रतिस्पर्धी बनाने के लिये सरकार ने व्यवस्थित योजना बनाने की प्रतिबद्धता जताते हुये दोनों कंपनियों के कर्मचारियों से भी अपने रवैये में सुधार कर पेशेवर तरीके से काम करने की अपील की है। संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान बीएसएनएल और एमटीएनएल की सेवाओं को उन्नत बनाने से जुड़े एक सवाल के जवाब में बताया कि देश में 50 प्रतिशत फिक्सड लाइन ब्रॉड बेंड कनेक्शन बीएसएनएल के हैं। इसमें 4जी संचार सेवा के अलावा अन्य सुधार की जरूरत हैं। हम इसके व्यवस्थित सुधार के खास पैकेज पर काम कर रहे हैं।’’ उल्लेखनीय है कि बीएसएनएल अपने सभी लाइसेंसीकृत सेवा क्षेत्रों में 2जी मोबाइल सेवायें प्रदान कर रहा है।
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प्रसाद ने बीएसएनएल एवं एमटीएनएल में समस्याओं के विभिन्न पहलुओं को उजागर करते हुये कहा कि बीएसएनएल में 1.65 लाख कर्मचारी हैं और कंपनी की कुल आय का 75.06 प्रतिशत हिस्सा कर्मचारियों पर खर्च होता है। वहीं निजी क्षेत्र के सेवा प्रदाता एयरटेल और वोडाफोन में यह प्रतिशत 2.9 और 5.5 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि दोनों कंपनियों की सेवा गुणवत्ता और प्रबंधन सहित अन्य कमियों को दूर करने के लगातार प्रयास जारी हैं। इसके लिये एक पैकेज मैं विचार कर रहा हूं। सरकार की ओर पूरी कार्रवाई होगी लेकिन बीएसएनएल हो या एमटीएनएल हो, इनके कर्मचारियों और अधिकारियों से मेरी अपेक्षा होगी कि वे भी सहयोग करें, पेशेवर बनें ताकि इसको हम बेहतर बना सकें।
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देश में 2012 से 2019 के दौरान इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के उत्पादन और रोजगार से जुड़े पूरक प्रश्न के जवाब में प्रसाद ने कहा कि इस क्षेत्र में भारत ने पिछले कुछ सालों में उल्लेखनीय प्रगति की है। उन्होंने बताया कि 2014-15 में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उत्पादन 1.90 लाख करोड़ रुपये का था जो 2018-19 में बढ़कर 4.50 लाख करोड़ रुपये हो गया। उन्होंने बताया 2014 में सिर्फ दो कंपनियां मोबाइल फोन बना रही थीं और अब यह संख्या बढ़कर 268 होने के साथ भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्माता देश हो गया है। इस क्षेत्र ने रोजगार के छह लाख अवसर सृजित किये।
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प्रस्तावित इलेक्ट्रॉनिक नीति से जुड़े पूरक प्रश्न के जवाब में प्रसाद ने कहा कि इसका मकसद भारत को ‘डिजिटल अर्थव्यवस्था’ बनाना है। भारत में कृत्रिम बौद्धिकता (एआई) सहित विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक संभावनाओं के दोहन के लिये यह नीति बनायी गयी है। इसमें हार्डवेयर के साथ सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में भी आगे बढ़ना शामिल है। प्रसाद ने बताया कि इसमें स्टार्ट अप की भागीदारी सुनिश्चित की जायेगी। देश में इस समय 19 हजार स्टार्ट अप कार्यरत हैं। इनमें से 7000 स्टार्ट अप तकनीक क्षेत्र से जुड़े हैं। इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के कचरे के निस्तारण से जुड़े सवाल के जवाब में प्रसाद ने बताया कि इसके उपायों को प्रस्तावित इलेक्ट्रॉनिक नीति में शामिल किया गया है। साथ ही पर्यावरण प्रदूषण कानून में इस समस्या के समाधान से जुड़े उपबंध हैं। उन्होंने बताया कि तमाम अग्रणी इलेक्ट्रॉनिक कंपनियां भारत को इस्तेमाल किये हुये उपकरणों का प्रमुख केन्द्र बनाना चाहती थीं लेकिन सरकार ने इसे मानने से दो टूक इंकार कर दिया।