क्रिप्टो करेंसी पर प्रतिबंध नहीं, बल्कि करारोपण के उपाय करेगी सरकार!

By कमलेश पांडेय | Nov 12, 2021

क्रिप्टो करेंसी बिल के पिछले मसौदे में सरकार द्वारा इस पर बैन लगाने की बात कही गई थी, हालांकि वित्त मंत्रालय अब इस बिल में संशोधन करने जा रहा है, ताकि उसे संसद के शीतकालीन सत्र में प्रस्तुत किया जा सके। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में दिए एक बयान में कहा था कि क्रिप्टोकरेंसी पर पूर्ण बैन पर विचार नहीं हो रहा है, लेकिन सरकार इन अस्थिर डिजिटल करेंसी के प्रति सतर्क रुख अपनाएगी। उन्होंने यह भी संकेत दिया था कि भारतीय रिजर्व बैंक एक सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी को लॉन्च कर सकता है।

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वहीं, रेवेन्यू सेक्रेटरी तरुण बजाज ने कहा कि मंत्रालय यह विचार कर रहा है कि जब लोग क्रिप्टोकरेंसी से पैसा कमाएं तो वो टैक्स का सुनिश्चित भुगतान करें। उन्होंने कहा कि यदि आप क्रिप्टोकरेंसी में लाभ कमाते हैं, यदि आप किसी विशेष डील से पैसा बनाते हैं, तो भारत सरकार उससे टैक्स हासिल करना चाहेगी। भले ही यह कानूनी रूप से वैध हो या ना हो, लेकिन हम अपना टैक्स रेवेन्यू चाहते हैं। बता दें कि बहुत से लोग बिटक्वाइन, इथेरियम या टेथर समेत दूसरी क्रिप्टो करेंसी के जरिए पैसा कमा रहे हैं, लेकिन स्पष्ट नियमन के अभाव में सरकार उनसे कोई कर नहीं ले पा रही है। उनके ताजा रुख से साफ डिजिटल मुद्रा माध्यम से कमाई करने वालों को अब टैक्स देना पड़ सकता है। एक टीवी चैनल के साथ साक्षात्कार में तरुण बजाज ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी को चाहे देश में रेगुलेट किया जा रहा हो या नहीं, लेकिन इससे होने वाली कमाई पर टैक्स दिया जाना चाहिए।


# संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है बिल


वैसे तो रेवेन्यू सेक्रेटरी ने इस बात का खुलासा नहीं किया कि क्रिप्टोकरेंसी को लेकर वित्त मंत्रालय क्या खास कदम उठाने वाला है। लेकिन जानकारों की राय में सरकार संसद के इसी शीतकालीन सत्र की शुरुआत में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर एक बिल पेश कर सकती है। यहां पर यह स्पष्ट कर दें कि क्रिप्टोकरेंसी बिल के पिछले मसौदे में इस पर बैन लगाने की बात कही गई थी, हालांकि मंत्रालय अब बिल में संशोधन करने पर विचार कर रहा है। जिसे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी अपने उपरोक्त बयान में स्पष्ट कर दिया है।


बता दें कि क्रिप्टोकरंसी को लेकर कोई ठोस नियम या प्रावधान नहीं होने से निवेशकों में तो दुविधा की स्थिति उतपन्न हो ही रही है, बैंक और दूसरी इकाइयां भी उलझन में हैं। इसलिए रेगुलेशन के मोर्चे पर सरकार की कैसी  तैयारी है, इस बारे में हमने आपको स्थिति स्पष्ट करने के लिए इस विषय के जानकारों से बातचीत की है, जिससे कतिपय बातें स्पष्ट हो रही हैं। पहला, क्रिप्टो करेंसी एक वर्चुअल करंसी हैं, जिसे पहले के केवाईसी रूल्स और दूसरे नियमों से रेगुलेट नहीं किया जा सकता। क्योंकि अभी जो कानून हैं, वे इस तरह की चीजों को हैंडल नहीं कर सकते हैं। इसलिए क्रिप्टो करेंसी के लिए अलग से कानून बनाना जरूरी है।


दूसरा, क्रिप्टोकरेंसी पर 2019 में आई एक सरकारी रिपोर्ट में कहा गया था कि इस पर पूरी तरह से प्रतिबंध यानी बैन लगा देना चाहिए। उसमें यहां तक कहा गया था कि इसमें डील करने वालों पर कम से कम 25 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगे और दोषियों के खिलाफ 10 साल तक जेल की सजा का प्रावधान हो। लेकिन सरकार द्वारा अबतक इस पर अमल नहीं किया गया है, बल्कि अब इस विचार के परित्याग के संकेत दिए गए हैं।

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तीसरा, क्रिप्टोकरेंसी पर सरकार ने बिल का जो शुरुआती मसौदा बनाया था, अब उसमें भी बदलाव किया गया है। इस बारे में एक संतुलित कानून बनाने के लिए आरबीआई, मार्केट रेगुलेटर सेबी और सरकारी विभागों की राय पर भी गम्भीरता पूर्वक विचार-विमर्श किया जा रहा है, ताकि इसके निवेशकों के हितों का खयाल रखा जा सके। खासकर क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े करारोपण (टैक्सेशन) का जो मसला है, उस पर एक और प्रजेंटेशन होना है राजस्व विभाग (रेवेन्यू डिपार्टमेंट), वित्त मंत्रालय और दूसरी इकाइयों के साथ, जिस पर तेजी से काम चल रहा है।


चतुर्थ, गत बजट सत्र में इस बिल को पेश किया जाना था। लेकिन उसमें कुछ बदलाव की जरूरत महसूस हुई। जिसके बाद अब ऐसा प्रतीत हो रहा है कि सरकार ने निश्चय किया है कि क्रिप्टो करेंसी पर अब पूरा बैन नहीं लगेगा, बल्कि ट्रेडिंग की इजाजत होगी। लेकिन क्रिप्टो करेंसी को लीगल टेंडर का दर्जा नहीं मिलेगा। हालांकि, अभी भी इस बिल पर विधि मंत्रालय की सलाह ली जाएगी। उसके बाद इसे कैबिनेट के पास भेजा जाएगा। सरकार द्वारा इस बात के प्रयास किये जा रहे हैं कि इस बिल को संसद के शीतकालीन सत्र में ही पेश कर दिया जाए।


# क्रिप्टो करेंसी बिल में डिजिटल एसेट स्पेस में तकनीकी विकास को ध्यान में रखा जाएगा


क्रिप्टो करेंसी बिल में डिजिटल एसेट स्पेस में तकनीकी विकास को ध्यान में रखा जाएगा, क्योंकि भारतीय युवाओं में क्रिप्टोकरेंसी दिन-प्रतिदिन लोकप्रियता हासिल करती जा रही है। इसलिए सरकार सभी हितधारकों की चिंताओं को संतुलित करने वाला एक मध्यम मार्ग अपनाने की ओर अग्रसर है। यहां पर यह स्पष्ट कर दें कि वित्त मंत्रालय द्वारा गठित एक उच्च स्तरीय अंतर-मंत्रालयी समिति ने नीति और कानूनी ढांचे की जांच की है और देश में सीबीडीसी को डिजिटल मुद्रा के रूप में पेश करने की सिफारिश की है।


बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक ने क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन मार्च 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने उसके इस आदेश को उलट दिया था। तब वित्त मंत्री निर्मला सीताराम ने भी बताया था कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी के खिलाफ नहीं है। वह सिर्फ उन तरीकों पर गौर करेगी जो देश के फिनटेक सेक्टर की मदद कर सकते हैं। वहीं, देश में एक दौर ऐसा भी आया जब मार्केट वॉचडॉग ने निवेश सलाहकारों को क्रिप्टोकरेंसी, डिजिटल गोल्ड और ऐसे अन्य उत्पादों सहित अनियमित उपकरणों पर सलाह देने से रोक दिया था।


वहीं, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ने गत महीने कहा कि सेबी के संज्ञान में आया है कि कुछ पंजीकृत निवेश सलाहकार डिजिटल सोने सहित अनियमित उत्पादों को खरीदने, बेचने व व्यवहार करने के लिए मंच प्रदान करके अनियमित गतिविधि में लगे हुए हैं।वहीं, चैनालिसिस की एक रिपोर्ट बताती है कि भारत के क्रिप्टो करेंसी बाजार में पिछले एक साल में 641 प्रतिशत का विस्तार हुआ, जिससे मध्य और दक्षिणी एशिया में डिजिटल मुद्राओं का विकास हुआ। इस रिपोर्ट में यहां तक कहा गया है कि पाकिस्तान में क्रिप्टो करेंसी बाजार में पिछले साल 711 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इससे निवेशक इस पर फिदा हैं।


# दुनिया की सबसे लोकप्रिय क्रिप्टो करेंसी है बिटक्वाइन


क्रिप्टो करेंसी एक वर्चुअल करेंसी है जिसे आम करेंसी की तरह देखा या छुआ नहीं जा सकता है। दुनिया भर में अभी जो भी क्रिप्टो करेंसी प्रचलन में हैं उनमें सबसे ज्यादा लोकप्रिय बिटक्वाइन है। इसे सातोशी नाकामोतो द्वारा साल 2008 में तैयार किया गया था। हालांकि इसका प्रचलन वर्ष, 2009 में शुरू हुआ। बाजार में आने के बाद से ही इसके दाम आसमान छू रहे हैं। गत मंगलवार को इस क्रिप्टा करेंसी की कीमत अपने आल टाइम हाई 67,800 डॉलर के पार पहुंच गई है।

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# जानिए, क्रिप्टो करेंसी को लेकर भारत में क्या योजना बना रही है सरकार


भारत सरकार ने संसद में क्रिप्टो करेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ़ ऑफ़िशियल डिजिटल करेंसी बिल पेश करने का जो फ़ैसला लिया है, भले ही उस विधेयक के बारे में जानकारी अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है। फिर भी यह तय है कि वो विधेयक भारत में क्रिप्टो करेंसी के इस्तेमाल को क़ानूनी रूप से नियंत्रित करेगा। यही वजह है कि क्रिप्टो करेंसी पर उठाये गए भारत के हर क़दम पर पूरी दुनिया की नज़रें इनायत हो रही हैं। यदि संसद के अगले शीतकालीन सत्र में इस विधेयक को पेश किया जाता है तो इस पर निवेशकों की बारीक नज़र होगी।


वास्तव में, क्रिप्टो करेंसी किसी मुद्रा का एक डिजिटल रूप है, जो किसी सिक्के या नोट की तरह ठोस रूप में आपकी जेब में नहीं होता है, बल्कि यह पूरी तरह से ऑनलाइन होती है और व्यापार के रूप में बिना किसी नियमों के ही इसके ज़रिए कारोबार होता है। इसको कोई सरकार या कोई विनियामक अथॉरिटी जारी नहीं करती है। यही वजह है कि केंद्रीय रिज़र्व बैंक ने वर्ष 2021 में फिर से डिजिटल करेंसी के कारण साइबर धोखाधड़ी के मुद्दे को उठाया है।बता दें कि वर्ष 2018 में आरबीआई ने क्रिप्टो करेंसी के लेन-देन का समर्थन करने को लेकर बैंकों और विनियमित वित्तीय संगठनों को प्रतिबंधित कर दिया था। लेकिन मार्च 2020 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने आरबीआई के प्रतिबंध के ख़िलाफ़ अपना फ़ैसला सुनाते हुए कहा था कि सरकार को कोई निर्णय लेते हुए इस मामले पर स्पष्ट क़ानून बनाना चाहिए। 


वहीं, पिछले महीने आरबीआई ने एक बार पुनः कहा था कि वे भारत की ख़ुद की क्रिप्टो करेंसी को लाने और उसके चलन को लेकर एक विकल्प तलाश रही है। वहीं, सरकार के भविष्य के फ़ैसले को लेकर एक नज़रिया यह भी है कि भारत में इस मुद्रा का कैसे इस्तेमाल किया जाएगा। इसलिए सरकार ने भी साफ़ किया है कि वे क्रिप्टो करेंसी को रखने वालों को इसे बेचने के लिए वक़्त देगी। हालांकि, इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है कि कितने भारतीयों के पास क्रिप्टो करेंसी है या कितने लोग इसमें व्यापार करते हैं। लेकिन कई मीडिया रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि करोड़ों लोग डिजिटल करेंसी में निवेश कर रहे हैं जिसमें महामारी के दौरान भारी बढ़ोतरी हुई है।


# भारत की अपनी क्रिप्टो करेंसी बनाने की राह में आएंगी ये ये चुनौतियां


वैसे तो आरबीआई और वित्त मंत्रालय कह चुका है कि वे भारत की ख़ुद की डिजिटल करेंसी और उसके विनियमन के लिए क़ानून बनाने पर विचार करेंगे। लेकिन सवाल है कि क्या भारत की ख़ुद की डिजिटल करेंसी लाना इतना आसान है। दरअसल, सरकार केवल किसी खास प्रकार के क्रिप्टो करेंसी लेन-देन को एक लीगल टेंडर का दर्जा देगी जो कि भारत की भारी जनसंख्या इस्तेमाल कर सकती है।हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि डिजिटल लीगल टेंडर को जारी करना बहुत ही चुनौतीपूर्ण कदम है। 


संभव है कि  भारत सरकार के सामने ऐसी चुनौतियां खड़ी होंगी कि क्या यह केवल थोक स्तर पर डिजिटल लीगल टेंडर होंगे या इनका आम जनता भी इस्तेमाल कर सकेगी? क्या रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया की नागरिकों के डिजिटल करेंसी अकाउंट के बाद वाणिज्यिक बैंक खातों पर लगाम होगी? इसके लिए तकनीकी नवीनता और कार्यान्वयन भी बहुत बड़ी चुनौती होगी। इसके अलावा टैक्स, मनी लॉन्ड्रिंग, इनसोल्वेंसिंग कोड, पेमेंट सिस्टम, निजता और डाटा प्रोटेक्शन भी बड़ी चुनौतियां होंगी।


इस बात में कोई दो राय नहीं कि कोविड-19 के कारण भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था में बदलाव आया है। बीते साल इंटरनेट की उपलब्धता के कारण डिजिटल पेमेंट में 42 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है। वहीं, सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) के ज़रिए काम करते हुए समस्याओं को सुलझाने की क्षमता है जो कि लेन-देन में ट्रांज़ेक्शन की लागत को कम कर सकती है।

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# क्रिप्टो करेंसी एक सार्वजनिक संपत्ति है जिसको नहीं है किसी भी राष्ट्र की मान्यता 


देखा जाए तो बिटकॉइन और ईथर जैसी क्रिप्टो करेंसी एक सार्वजनिक संपत्ति है जिसको किसी भी राष्ट्र की मान्यता नहीं है या इसका कोई मालिक नहीं है। यदि आपके पास इंटरनेट है तो आप भी क्रिप्टो करेंसी ले सकते हैं। यही नहीं, यदि कोई सरकार राष्ट्र की अर्थव्यवस्था और मौद्रिक नीति के लिए क्रिप्टो करेंसी का इस्तेमाल करना चाहती है तो उसको इसे नियंत्रित करने के लिए कुछ खास नियम बनाने होंगे। 


हालांकि, इनकी प्रतियोगिता की कोई ज़रूरत नहीं है। क्योंकि क्रिप्टो करेंसी के सार्वजनिक और केंद्रीय बैंक साथ-साथ ही चल सकते हैं। वहीं, एक तरीका यह भी हो सकता है कि क्रिप्टो एक्सचेंज पॉइंट "नो यॉर कस्टमर" (केवाईसी) इकट्ठा करके इसकी लेन-देन सिर्फ़ बैंक अकाउंट के ज़रिए कर सकते हैं। इस तरीक़े से कुछ बुरे तत्व इसका लाभ नहीं उठा पाएंगे, क्योंकि ब्लॉकचेन तकनीक में यह सार्वजनिक पारदर्शिता की व्यवस्था कर पाएगा।


- कमलेश पांडेय

वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार

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