By रितिका कमठान | Sep 18, 2024
भारत घरेलू मांग को पूरा करने के लिए भारी मात्रा में खाद्य तेलों का आयात करता है। खाद्य तेल की 50 प्रतिशत से अधिक निर्भरता आयात से होती है। हाल ही में सरकार ने खाद्य तेल कंपनियों को खुदरा कीमतें न बढ़ाने का निर्देश दिया है। यह निर्देश आयात शुल्क बढ़ाए जाने के बाद आया है। ये चिंता भी जताई गई है कि कंपनियां खाद्य तेलों की कीमतों को बढ़ा सकती हैं।
इस मामले पर केंद्र सरकार का कहना है कि कंपनियों के पास पहले से ही खाद्य तेल का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध था। इसे कम टैरिफ के साथ आयात किया गया था। हाल ही में खाद्य मंत्रालय ने कहा है कि कम टैरिफ पर आयात किए गए खाद्य तेल को आसानी से 45 से 50 दिनों तक चलाया जा सकेगा। इसके बाद कंपनियों को एमआरपी यानी अधिकतम खुदरा मूल्य को बढ़ाने से रोका गया है।
बता दें कि केंद्र सरकार ने घरेलू तिहलन की कीमतों को समर्थन देने के लिए खाद्य तेलों पर मूल सीमा शुक्ल में बीते सप्ताह ही बढ़ोतरी की थी। सरकार ने 14 सितंबर को कच्चे सोयाबीन तेल, कच्चे तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर आधार शुल्क शून्य से बढ़ाकर 20 प्रतिशत किया था। वहीं अब कच्चे तेल पर ये शुल्क 27.5 प्रतिशत हो गया है। इसके अतिरिक्त, रिफाइंड तेल, सूरजमुखी तेल और रिफाइंड सोयाबीन तेल पर मूल सीमा शुल्क 12.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 32.5 प्रतिशत कर दिया गया है, जिससे रिफाइंड तेल पर प्रभावी शुल्क 35.75 प्रतिशत हो गया है।
17 सितंबर को खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने मूल्य निर्धारण रणनीतियों पर चर्चा करने के लिए सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए), इंडियन वेजिटेबल ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (आईवीपीए) और सोयाबीन ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (सोपा) के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, "प्रमुख खाद्य तेल संघों को यह सुनिश्चित करने की सलाह दी गई है कि आयातित खाद्य तेल स्टॉक की उपलब्धता तक प्रत्येक तेल का एमआरपी शून्य प्रतिशत और 12.5 प्रतिशत मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) पर बनाए रखा जाए और इस मुद्दे को तुरंत अपने सदस्यों के साथ उठाया जाए।"
इसमें आगे कहा गया है कि केंद्र को पता है कि कम टैरिफ पर आयातित लगभग 30 लाख टन खाद्य तेल अभी भी स्टॉक में है, जो घरेलू खपत के लिए 45 से 50 दिनों तक चलेगा। घरेलू तिलहन किसानों को सहायता सुनिश्चित करने के लिए ये निर्देश जारी किए गए हैं।