By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jun 23, 2019
नयी दिल्ली। हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (एचपीसीएल) पिछले करीब 15 माह से ओएनजीसी को अपने प्रवर्तक के रूप में मान्यता देने से बेशक कतरा रही है, लेकिन अब सरकार ने व्यावहारिक उद्देश्य से अपने इस रुख में बदलाव किया है। सरकार के लिए अधिकारियों का चयन करने वाले लोक उपक्रम चयन बोर्ड (पीईएसबी) ने 17 जून को एचपीसीएल के नए निदेशक (वित्त) के चयन में सहायता के लिए ओएनजीसी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक शशि शंकर को भी बुलाया था। मामले से जुड़े सूत्रों का कहना है कि यह एक प्रकार से ओएनजीसी को एचपीसीएल का प्रवर्तक के रूप में मान्यता देना है।
ओएनजीसी ने पिछले साल एचपीसीएल में सरकार की समूची 51.11 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण 36,915 करोड़ रुपये में किया था। एचपीसीएल उसके बाद ओएनजीसी की अनुषंगी बन गई थी। लेकिन एचपीसीएल का प्रबंधन लगातार ओएनजीसी को अपने प्रवर्तक के रूप में मान्यता देने से कतरा रहा था। पिछली लगातार पांच तिमाहियों के दौरान शेयर बाजारों को दी गई जानकारी में एचपीसीएल ने शून्य शेयरधारिता के साथ ‘भारत के राष्ट्रपति’ को अपना प्रवर्तक बताया था।
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इसमें ओएनजीसी को कंपनी की 51.11 प्रतिशत हिस्सेदारी या 77.88 करोड़ शेयरों के साथ ‘सार्वजनिक शेयरधारक’ बताया गया था। सूत्रों ने बताया कि एचपीसीएल की होल्डिंग कंपनी होने के नाते नियमों के तहत ओएनजीसी के चेयरमैन को साक्षात्कार पैनल में बुलाया गया था। एचपीसीएल के निदेशक (वित्त) जे रामास्वामी 28 फरवरी को सेवानिवृत्त हुए थे। पीईएसबी ने इस पद के लिए साक्षात्कार 17 जून को लिए। एचपीसीएल के कार्यकारी निदेशक आर केशवन को इस पद के लिए चुना गया है।