By अंकित सिंह | Jul 18, 2022
जरूरी खाद्य वस्तुओं को माल एवं सेवा कर के दायरे में लाए जाने के सरकार के फैसले को लेकर अब राजनीति शुरू हो गई है। कांग्रेस के साथ-साथ कई विपक्षी दल इस मुद्दे को जबरदस्त तरीके से उठाने की तैयारी में है। इसको लेकर आज राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बड़ा बयान दे दिया है। खड़गे के बयान से साफ तौर पर पता चल रहा है कि संसद के मानसून सत्र के दौरान विपक्ष महंगाई को लेकर सरकार पर जबरदस्त तरीके से प्रहार करने की तैयारी में है। मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हम कल इस पर लड़ेंगे, गांधी प्रतिमा पर और सदन के अंदर और बाहर भी विरोध करेंगे। हमने सभी दलों से मूल्य वृद्धि, जीएसटी वृद्धि के खिलाफ लड़ने की अपील की है। भाकपा सांसद बिनॉय विश्वम ने कहा कि जीएसटी वृद्धि पूरी तरह से जनविरोधी है, हम इसका मुकाबला करेंगे।
कांग्रेस का आरोप
इससे पहले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने दही, लस्सी, पनीर और कई अन्य वस्तुओं पर जीएसटी लगाए जाने से जुड़ा एक चार्ट साझा करते हुए ट्वीट किया कि उच्च दर वाला कर, कोई रोजगार नहीं। यह उच्च कोटि का उदाहरण है कि भाजपा ने कैसे दुनिया की सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं में से एक को नष्ट कर दिया। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने ट्वीट कर कहा कि पहले पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस महंगी की। आज से आटा, अनाज, दही भी महंगा हो गया। मोदी जी के खरबपति दोस्तों को फायदा पहुंचाने के लिए आने वाले समय में बिजली महंगी होगी। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोगों के लिए अंधाधुंध कमाई का इंतजाम हो रहा है, लेकिन रेवड़ी कल्चर बोलकर बदनाम गरीब व मध्य वर्ग को किया जा रहा है।
भाजपा का दावा
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने विपक्षी दलों पर पैकेटबंद दूध और अनाज जैसे खाद्य पदार्थों पर वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) लगाए जाने को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाया। भाजपा ने साथ ही कहा कि राज्य की विपक्षी सरकारें भी जीएसटी परिषद द्वारा लिए गए निर्णय का हिस्सा होती हैं। भाजपा प्रवक्ता जफर इस्लाम ने कहा कि राहुल गांधी जैसे विपक्षी नेता पांच प्रतिशत वस्तु एवं सेवा कर की दर के लिए केंद्र सरकार को दोषी ठहराकर जानबूझकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं, जो दूध, दही, अनाज, दाल और 25 किलोग्राम से कम वजन वाले आटा जैसे पैकेटबंद खाद्य पदार्थों पर सोमवार से लागू हो गया। उन्होंने कहा कि जीएसटी परिषद राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ गहन विचार-विमर्श के बाद ये निर्णय लेती हैं, जिसमें उन राज्यों के वित्तमंत्री शामिल होते हैं जहां विपक्षी दल सत्ता में हैं।