Telangana Chunav 2023: तेलंगाना में गोशामहल सीट बनी राजनीतिक प्रतिद्वंदिता का केंद्र, ऐसे समझें समीकरण

By अनन्या मिश्रा | Sep 19, 2023

इस साल के अंत तक तेलंगाना विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में सभी प्रमुख दलों की नजरें गोशामहल विधानसभा क्षेत्र पर टिकी हुई हैं। वहीं क्षेत्र में भी सियासी माहौल गरमाया हुआ है। वर्तमान विधायक के भाजपा से निलंबन ने एक रिक्तता भी पैदा कर दी है। जिसको लेकर बीआरएस, कांग्रेस और बीजेपी के भीतर भी दावेदारों का ध्यान आकर्षित किया है। बीजेपी द्वारा मौजूदा विधायक राजा सिंह के निलंबन ने पार्टी की निर्वाचन क्षेत्र की योजनाओं के बारे में अटकलें तेज कर दी हैं। फिलहाल पार्टी की तरफ से निलंबन को रद्द किए जाने को लेकर कोई फैसला नहीं किया गया है। बता दें कि गोशामहल से चुनाव लड़ने में विभिन्न दलों के दावेदारों को अपनी रुचि व्यक्त करने के लिए प्रेरित किया है।


कांग्रेस के कई नेताओं ने दिखाई रुचि

कांग्रेस के कई नेताओं ने गोशामहल विधानसभा सीट के लिए आवेदन जमा किए हैं। साथ ही यह नेता पार्टी के आलाकमान से सक्रिय रूप से समर्थन मांग रहे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस सीट से करीब 15 उम्मीदवारों ने आवेदन किया है। इन उम्मीदवारों में महासचिव प्रदेश कांग्रेस करीम लाला, महासचिव जहीर लालानी, कांग्रेस मछुआरा सेल के अध्यक्ष एम साई कुमार और मधुसूदन गुप्ता शामिल हैं। वहीं कांग्रेस के कुछ दावेदारों के बाद पहले का राजनीतिक अनुभव भी है। तो वहीं कुछ नेता पहली बार चुनाव लड़ने का लक्ष्य बना रहे हैं। 

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इन पार्टियों का रहा कब्जा

हाल के वर्षों में गोशामहल विधानसभा क्षेत्र में चुनावी खींचतान देखी गई है। साल 2014 और 2018 में दोनों चुनावों में इस सीट से भाजपा ने जीत हासिल की थी। वहीं साल 2009 में कांग्रेस ने इस सीट पर दावा किया था। निर्वाचन क्षेत्र के पुनर्गठन से पहले इस क्षेत्र को महाराजगंज के नाम से जाना जाता था। वहीं साल 1989 और 2004 में कांग्रेस ने इस सीट को जीता था। वहीं साल 1994 में बीजेपी को इस सीट पर जीत मिली थी। साल 2018 में बीआरएस ने अपने सहयोगी AIMIM के समर्थन से इस सीट से चुनाव लड़ा था। लेकिन उसे जीत हासिल नहीं हुई थी। यह राज्य की एकमात्र सीट है जो बीजेपी के पास है। वहीं छह निर्वाचन क्षेत्रों में AIMIM का कब्जा है।


जातीय समीकरण

बता दें कि गोशामहल में 40,000 से अधिक मुस्लिम मतदाता, 11,000 ईसाई और 36,000 बीसी मतदाता शामिल हैं। ऐसे में बीआरएस और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां इस सीट को सुरक्षित करने की कोशिशों में जुटी हुई हैं। कर्नाटक में कांग्रेस को मिली जीत के बाद पार्टी का मनोबल ऊंचा है। जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे मुस्लिम वोटों सहित प्रमुख जनसांख्यिकी पर कांग्रेस और बीआरएस कब्जा करने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में राज्य की गोशामहल सीट राजनीतिक परिदृश्य से गतिशील बना हुआ है।

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