By अंकित सिंह | Sep 04, 2024
भारतीय रेलवे ने अपने कर्मचारियों, पेंशनभोगियों और उनके आश्रितों के लिए स्वास्थ्य देखभाल नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया है। रेलवे अब अपने सभी कर्मचारियों, उनके आश्रितों और पेंशनभोगियों को विशिष्ट चिकित्सा पहचान (यूएमआईडी) कार्ड जारी करेगा, जिसके माध्यम से वे रेलवे पैनल में शामिल अस्पतालों और देश के सभी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थानों (एम्स) में मुफ्त इलाज करा सकेंगे। यह कार्ड महज 100 रुपये की लागत से बनवाया जा सकता है। इस नई व्यवस्था से रेलवे के करीब 12.5 लाख कर्मचारियों, 15 लाख से ज्यादा पेंशनभोगियों और करीब 10 लाख आश्रितों को फायदा होगा।
यह निर्णय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की शिकायतों के बाद लिया गया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि डॉक्टर अपने पसंदीदा अस्पतालों के लिए रेफरल जारी करते हैं। नई नीति के तहत अब बिना रेफर के इलाज संभव होगा। इससे उन्हें बिना किसी बाधा के चिकित्सा सुविधाएं मिलेंगी और डॉक्टरों की रेफरल संबंधी शिकायतों का भी समाधान हो जाएगा। पीजीआईएमईआर चंडीगढ़, जिपमर पुडुचेरी, एनआईएमएचएएनएस बेंगलुरु जैसे राष्ट्रीय संस्थानों और देश के 25 एम्स में इलाज के लिए किसी रेफरल की आवश्यकता नहीं होगी। इन संस्थानों में न सिर्फ इलाज बल्कि जरूरी दवाएं भी मुहैया कराई जाएंगी।
सोमवार को, रेलवे बोर्ड के कार्यकारी निदेशक (परिवर्तन) प्रणव कुमार मलिक ने विशिष्ट चिकित्सा पहचान (यूएमआईडी) कार्ड के तत्काल रोलआउट के लिए एक निर्देश जारी किया। इस पहल का उद्देश्य रेलवे कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए चिकित्सा पहचान प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना है। इसे स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (एचएमआईएस) के साथ एकीकृत करके, यूएमआईडी कार्ड को सरकार द्वारा समर्थित डिजिटल स्टोरेज प्लेटफॉर्म डिजीलॉकर में सुरक्षित रूप से संग्रहीत किया जाएगा जो महत्वपूर्ण दस्तावेजों की सुरक्षा और पहुंच सुनिश्चित करता है।
इस कार्ड के जरिए कर्मचारी, पेंशनभोगी या आश्रित रेलवे के पैनल में शामिल किसी भी अस्पताल या डायग्नोस्टिक सेंटर में इलाज करा सकेंगे। इस कार्ड का उपयोग आपातकालीन या सामान्य उपचार के लिए किया जा सकता है। अगर किसी के पास यूएमआईडी कार्ड नहीं है तो उसका यूएमआईडी नंबर भी इलाज के लिए मान्य होगा। विशेष परिस्थितियों में कुछ अस्पतालों के लिए रेफरल जारी किए जाएंगे, जो 30 दिनों के लिए वैध होंगे।