By अनन्या मिश्रा | May 05, 2024
आज ही के दिन यानी की 05 मई को भारत के 7वें राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह का जन्म हुआ था। उनको तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी का बेहद करीबी और वफादार माना जाता था। जिस दौरान वह देश के 7वें राष्ट्रपति बने थे, उस दौरान पंजाब में आतंकवाज अपने चरम पर था। राष्ट्रपति बनने से पहले जैल सिंह पंजाब के मुख्यमंत्री और इंदिरा गांधी सरकार में गृहमंत्री के पद पर भी रह चुके थे। आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर ज्ञानी जैल सिंह के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और शिक्षा
ब्रिटिश भारत के फरीदकोट-कोटकपूरा हाइवे के किनारे स्थित गांव संधवा में 05 मई 1916 को ज्ञानी जैल सिंह का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम किशन सिंह और मां का नाम इंद्रा कौर था। छोटी उम्र में ज्ञानी जैल सिंह की माता का निधन हो गया था। जिसके बाद उनका पालन-पोषण जैल सिंह की मौसी ने किया था। बता दें कि महज 15 साल की उम्र में वह ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ अकाली दल से जुड़ गए।
राजनीतिक सफर
शुरुआत में वह जवाहरलाल नेहरू के संपर्क में आए और धीरे-धीरे जैल सिंह कांग्रेस की विचारधारा से जुड़ते चले गए। फिर साल 1972 में उनको पंजाब में कांग्रेस मुख्यमंत्री बनाया गया। पंजाब के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए उन्होंने कई महत्वपूर्ण कार्य किए।
जैल सिंह और इंदिरा गांधी के राजनीतिक तौर पर भले ही अच्छे माने जाते थे। लेकिन इनके रिश्ते में तल्खी कम नहीं थी। वहीं रामाराव के मसले पर भी दोनों के बीच का मतभेद साफतौर पर सामने आया था। वहीं राष्ट्रपति होने के बाद भी साल 1984 में वह स्वर्ण मंदिर में चलाए गए ऑपरेशन ब्लू स्टार से भी आखिरी तक अनभिज्ञ रहे। ऑपरेशन ब्लूस्टार को लेकर उन्होंने इंदिरा गांधी से नाराजगी भी जताई थी। लेकिन उनपर इसका कोई असर नहीं रहा।
जैल सिंह की कांग्रेस से इतनी तल्खी इतनी अधिक बढ़ गई कि उनको सफेद पगड़ी वाला अकाली बुलाया जाने लगा था। वहीं जब सिख बॉडीगार्ड द्वारा इंदिरा गांधी की हत्या किए जाने की खबर तेजी से फैली थी। इस दौरान जब ज्ञानी जैल सिंह इंदिरा गांधी के शव को श्रद्धांजलि देकर वापस लौट रहे थे, तभी रास्ते में दंगाईयों की भीड़ ने राष्ट्रपति की कार पर पथराव कर दिया था। हालाँकि उनके सुरक्षाकर्मी उनको दंगाईयों से सुरक्षित निकालने में कामयाब रहे थे।
जरनैल से यूं बने जैल सिंह
बता दें कि जैल सिंह का पहला नाम जरनेल सिंह था। लेकिन एक बार उन्होंने अंग्रेजों द्वारा कृपाण पर रोक लगाने के विरोध में जब जेल जाना पड़ा, तो उन्होंने गुस्से में अपना नाम जैल सिंह बताया था। तब से उनका नाम जरनेल से जैल सिंह हो गया था। बाद में इसी नाम से उनको ख्याति मिली थी।
मौत
बता दें कि एक सड़क दुर्घटना में 25 दिसंबर 1994 को ज्ञानी जैल सिंह का निधन हो गया।