भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को भगवान श्रीगणेश के अवतरण की तिथि माना गया है। यह तिथि सभी संकटों का नाश करने वाली है। इस तिथि को सर्व कामनाओं को प्रदान करने वाली माना जाता है। भगवान शिव द्वारा श्रीगणेश को पुन: जीवित करने की घटना इसी तिथि को हुई थी। इसलिए यह तिथि पुण्य पर्व के रूप में मनाई जाती है। 22 अगस्त से 1 सितंबर तक चलने वाले इस उत्सव में हरेक व्यक्ति भगवान गणपति की कृपा पाने का इच्छुक रहता है। किसी भी कार्य को यदि सही मुहूर्त पर सम्पन्न किया जाता है तो कार्य की सफलता व सुख-शांति निश्चित हो जाती है।
पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर के निदेशक ज्योतिषविद् एवं कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि इस वर्ष गणेश चतुर्थी ऐसे समय में मनाई जा रही है जब सूर्य सिंह राशि में और मंगल मेष राशि में हैं। सूर्य और मंगल का यह योग 126 साल बाद बन रहा है। यह योग विभिन्न राशियों के लिए अत्यंत फलदायी रहेगा। भगवान श्रीगणेश बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता हैं। उनके जन्म का उत्सव दस दिनों तक उत्साह से मनाया जाता है और अनंत चतुर्दशी पर समाप्त होता है। माना जाता है कि भगवान श्रीगणेश का जन्म मध्याह्न काल में हुआ, इसीलिए मध्याह्न के समय को श्रीगणेश की पूजा के लिए उपयुक्त माना जाता है। प्राचीन काल में बच्चों का विद्या अध्ययन इसी दिन से प्रारंभ होता था। इस दिन विधि-विधान से श्रीगणेश का पूजन करें। उन्हें वस्त्र अर्पित करें। नैवेद्य के रूप में मोदक अर्पित करें। इस दिन चंद्रमा के दर्शन को निषिद्ध किया गया है। माना जाता है कि जो व्यक्ति इस रात्रि चंद्रमा को देखते हैं उन्हें मिथ्या कलंक भोगना होता है।
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि गणेश चतुर्थी को शुभ मुहूर्त में भगवान गणेश की स्थापना करना अच्छा होता है। इस बार 21 अगस्त को 11 बजे सुबह चुतुर्थी शुरू हो जाएगी। 22 अगस्त को 7.57 शाम तक चुतुर्थी तिथि रहेगी। इसमें राहुकाल को हटाकर आप गणपति की स्थापना कर सकते हैं। पूजन का शुभ मुहूर्त दोपहर 12:45 बजे है। विशेष मुहूर्त सुबह 11:45 से दोपहर 12:45 से है। पूजन का शुभ मुहूर्त दोपहर 12:45 बजे है। विशेष मुहूर्त सुबह 11:45 से दोपहर 12:45 से है।
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि गणपति की स्थापना करते हुए इस बात का ध्यान रखें कि मूर्ति का मुंह पूर्व दिशा की तरफ होना चाहिए। गणेश पूजा शुरू करने से पहले संकल्प लेना होता है, इसके बाद भगवान गणेश का आह्वान किया जाता है। इसके बाद गणपति की मंत्रों के उच्चारण के बाद स्थापना की जाती है। भगवान गणेश को धूप, दीप, वस्त्र, फूल, फल, मोदक अर्पित किए जाते हैं। इसके बाद भगवान गणेश की आरती उतारी जाती है। विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि 10 दिन तक चलने वाला गणेश चतुर्थी उत्सव 22 अगस्त से शुरू होगा। गणेश चतुर्थी पर लोग अपने घरों में गणेश भगवान को विराजमान करते हैं और गणेश चतुर्थी के दिन उनका विसर्जन किया जाता है। लोग 11या 7 दिन के लिए घर में गणपति को विराजमान करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि बप्पा इन दिनों में अपने भक्तों के सभी दुख दूर करके ले जाते हैं।
कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि गणपति करेंगे सभी दुखों का नाश और राशि अनुसार लगाएं ये खास भोग:-
मेष राशि
इस राशि के जातकों को गणेश चतुर्थी के दिन गणपति को छुहारे और लड्डू का भोग लगाना चाहिए।
वृष राशि
वृष राशि के लोगों को श्रीगणेश भगवान को नारियल या मिश्री से बने लड्डू का भोग लगाना चाहिए और इसे प्रसाद स्वरुप लोगों में वितरित करना चाहिए।
मिथुन राशि
गणेश चतुर्थी पर मिथुन राशि के जातकों को मूंग के लड्ड गणपति को भोग लगाना चाहिए। इससे गणपति की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
कर्क राशि
इस राशि के जातकों को गणपति को मक्खन, खीर या लड्डू का भोग लगाकर गणेश चतुर्थी पर पूरे विधि विधान से भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए।
सिंह राशि
गणेश चतुर्थी पर सिंह राशि के जातकों को भगवान गणेश को गुड़ के मोदक एवं छुहारे का भोग लगाना चाहिए।
कन्या राशि
कन्या राशि के जातकों को गणपति महाराज को हरे फल या किशमिश का भोग लगाना चाहिए।
तुला राशि
इस राशि के लोगों को भगवान गणेश को लड्डू और केला अर्पित करना चाहिए।
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि के लोगों को गणेश चतुर्थी पर गणपति को छुहारा और गुड़ के लड्डू प्रसाद स्वरुप चढ़ाना चाहिए।
धनु राशि
इस राशि के जातकों को गणपति को मोदक एवं केले का भोग लगाना चाहिए।
मकर राशि
गणेश चतुर्थी पर मकर राशि के जातकों को भगवान गणेश को तिल के लड्डू का भोग लगाना चाहिए।
कुंभ राशि
कुंभ राशि के जातकों को भगवान गणेश को गुड़ के लड्डू अर्पित करना चाहिए।
मीन राशि
इस राशि के लोगों को भगवान गणेश को लड्डू और केला अर्पित करना चाहिए।
अनीष व्यास
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक