श्राद्ध का पूरा फल पाने के लिए सर्व पितृ अमावस्या पर जरुर करें ये काम, दान में भी दें ये चीजें

By रितिका कमठान | Sep 30, 2024

पितृ पक्ष में श्राद्ध तर्पण का काफी अधिक महत्व माना जाता है। तर्पण के साथ अगर साधक ब्राह्मण भोज करवाते हैं तो इसका महत्व भी काफी अधिक है। बिना ब्राह्मण भोज के और पंडित को दान किए बिना कभी तर्फण और श्राद्ध का पूरा फल नहीं मिलता है। ऐसा माना जाता है कि श्राद्ध के दौरान ब्राह्मण को जो भोजन करवाया जाता है, उसका सीधा सेवन पितर भी करते है।

 

ब्राह्मणों के अलाावा गाय, कुत्तों और कौवों को भी श्राद्ध में भोजन करवाने का अधिक महत्व होता है। बता दें कि श्राद्ध पक्ष की अमावस्या भी काफी महत्वपूर्ण होती है। इस वर्ष दो अक्टूबर को अमावस्या होगी। इस अमावस्या को पितृ अमावस्‍या, पितृ मोक्ष अमावस्‍या और महालया के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन पंडितों को भोजन करवाना चाहिए और दान भी देना चाहिए।

 

पितृ पक्ष या श्राद्ध में ब्राह्मण भोज विधि विधान से होने पर ही इसका फल भी मिलता है। श्राद्ध करने के दौरान सभी नियमों का पालन करना चाहिए।

 

- ब्राह्मण भोज सिर्फ उन ब्राह्मणों को करवाना चाहिए जो धर्म कर्म का पालन करते है। श्राद्ध में 5, 7, 9 या 11 जो भी संख्‍या ब्राह्मण भोज के लिए बुलाए जा सकते है। सभी ब्राह्मण धर्म कर्म में लिप्त होने चाहिए। 

 

- ब्राह्मण भोज के लिए जिन भी पंडितों को बुलाया जाए उन्हें सम्‍मानपूर्वक आमंत्रण भेजना चाहिए। श्राद्ध का भोजन बनाने के दौरान शुद्धता और पवित्रता का खास ख्याल रखना चाहिए। 

 

- श्राद्ध के दौरान जब भोजन ब्राह्मण को करवाएं तो उनका मुख दक्षिण दिशी की तरफ होना चाहिए। दक्षिण दिशा को पितरोंकी दिशा माना जाता है। स्टील के बर्तन की जगह ब्राह्मणों को पत्‍तल, कांसे, पीतल या चांदी के बर्तन में खाना परोसें और खिलाएं।

 

- श्राद्ध के लिए तैयार किए गए भोजन में शुद्धता और पवित्रता होनी चाहिए। इस भोजन में तामसिक वस्तु का उपयोग नहीं होना चाहिए। इस दौरान पितरों का पसंदीदा भोजन भी बनाना चाहिए।

 

- ब्राह्मण भोज और श्राद्ध का भोजन दोपहर में करें। शाम या रात के समय श्राद्ध का भोजन नहीं करना चाहिए। ब्राह्मण के भोजन करने के बाद ही घर के सदस्यों को भोजन करना चाहिए।

 

अमावस्या पर दान करें ये सामान

ब्राह्मणों को दान कराने के अलावा सम्मान के साथ उन्हें दान दक्षिणा देना चाहिए। सामर्थ्य के मुताबिक दक्षिणा में बर्तन, फल, कच्ची सब्जी, अनाज, मिष्ठान का दान करना चाहिए।

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