सार्क से जी20 देशों को न्योता तक, 5 बड़े फैसले से भारत बना दुनिया का बड़ा भाई

By अभिनय आकाश | Mar 17, 2020

एक गुरु बनने के लिए क्या आवश्यक है इसकी व्याख्या भारत को इस बात की अभिलाषा देने वाले स्वामी विवेकानंद ने स्वयं की थी। अपने निबंध ‘माई मास्टर’ (1901) में उन्होंने लिखा : ‘‘अगर आप सच्चे सुधारक बनना चाहते हैं तो तीन चीजें आवश्यक हैं। पहली है महसूस करना। क्या आप सचमुच अपने भाइयों की पीड़ा अनुभव करते हैं?… क्या आप सहानुभूति से ओत-प्रोत हैं?… आपको आगे सोचना होगा कि क्या आपने कोई उपचार खोज लिया है। पुराने विचार सब अंधविश्वास हो सकते हैं, परंतु भीतर ये अंधविश्वास कहीं स्वर्ण हैं… क्या आपने बिना किसी अशुद्धि उस सोने को सहेजने के तरीके खोज लिए हैं? अगर आपने ऐसा कर लिया है, एक और चीज आवश्यक है। आपका इरादा क्या है? क्या आपको विश्वास है कि आप लालच, प्रसिद्धि या शक्ति की पिपासा से प्रेरित नहीं हैं?…तब आप एक सच्चे सुधारक हैं, आप मानवता के लिए एक शिक्षक, एक गुरु, एक आशीष हैं।’’ विश्व गुरु की पदवी पर भारत का दावा प्राचीन विचार पर आधारित है : वसुधैव कुटुंबकम, समूचा विश्व एक परिवार है। हम तर्क देते हैं कि क्योंकि हमने सबसे पहले ऐसा कहा, और मात्र हम ही इन उपदेशों का पालन करते हैं, इसलिए हम विश्व गुरु बनने के सही मायने में हकदार भी हैं और योग्य भी। भारत से दुनिया को एक नया सुपर लीडर मिल रहा है। क्या सुपर पावर मुल्क होने का दंभ भरने वाला अमेरिका, बात-बात पर दुनिया को आंखें दिखाने वाला चीन और दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक रूस जैसे देशों के बीच भारत ने एक बड़ा और असरदार देश न सिर्फ बनकर दिखाया है बल्कि संकट के समय में अन्य देशों के लिए सहयोग का हाथ भी बढ़ाया है।  भारत एक के बाद एक  अपने फैसले, नीतियों और सहयोग से परचम लहरा रहा है बल्कि विदेशी नेताओं और जनता को भी अपना कायल बना रहा है। कोरोना से लड़ाई हो या विदेशों से रेस्कयू, भारत बड़े भाई की भूमिका में न  सिर्फ नजर आया है बल्कि अपनी व्यवहारिकता से इस बात का भान भी दुनिया को कराया है। 

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इन दिनों चीन के वुहान शहर से शुरू हुए कोरोना वायरस ने दुनियाभर में तबाही मचा दी है। पूरी दुनिया में इसके संक्रमण से मरने वालों की संख्या 6 हजार के करीब पहुंच गई है जबकि 1.6 लाख से ज्यादा लोग इसके संक्रमण से जूझ रहे हैं। इसने सबसे ज्यादा तबाही चीन और इटली में मचाई है। भारत में भी कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या 110 पहुंच गई है। जिनमें से 13 लोगों को इलाज के बाद डिस्चार्ज किया जा चुका है। 

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विदेशों से अपने लोगों को रेस्क्यू करने में सबसे तेज

कोरोना वायरस के संक्रमण की खबर फैलते ही भारत ने सबसे पहले चीन के वुहान शहर से भारतीयों को एयरलिफ्ट किया। जिसके बाद बीते दिनों ईरान की राजधानी तेहरान में कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से फंसे 53 भारतीयों को भारत वापस लाया गया। आलम तो ऐसा भी देखने को मिला जब एक वीडियो में चीन में मौजूद पाकिस्तानी छात्र भारत से मदद मांगते नजर आए। 

अमेरिका से भी पहले भारत में एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग  

भारत ने अमेरिका से पहले ही देश लौटने वालों की एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग की व्यवस्था कर दी। न्यूजर्सी के डैलस से भारत आए पर्यटक भी एयरपोर्ट पर भारत सरकार की तैयारियों को देख कर दंग रह गए। बता दें कि जब भी कोई यात्री बाहर से आता है, तो वह एक सेल्फ डिक्लरेशन फॉर्म भरता है। इसके बाद उसकी थर्मल स्क्रीनिंग होती है। उसकी हिस्ट्री, लक्षण और थर्मल स्क्रीनिंग के नतीजों को जाना जाता है। कोरोना के लक्षण वाले कुछ लोगों को उसी समय अलग कर लिया जाता है। लेकिन कुछ लोगों पर जरा भी शक होता है, तो उनकी लिस्ट बनाई जाती है। ऐसे सारे यात्रियों का कंप्यूटराइज्ड डेटा रखा जाता है।

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वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मीटिंग का न्योता 

पीएम मोदी ने सार्क देशों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मीटिंग का न्योता दिया था, ताकि कोविड-19 के खिलाफ साथ मिलकर लड़ा जा सके। इस समय सार्क देशों में भारत के अलावा अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका हैं। पाकिस्तान की वजह से पिछले कुछ समय से सार्क सम्मेलन टल रहा था, लेकिन मौका देखते ही पीएम मोदी ने शानदार रणनीति के तहत सभी सार्क देशों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का न्योता दे दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर 7 देशों के राष्ट्र प्रमुख वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में शामिल हुए। लेकिन इसमें भी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की बेरुखी साफ नजर आई। वे चर्चा में शामिल नहीं हुए और अपने स्वास्थ्य मंत्री डॉ. जफर मिर्जा को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में भेज दिया। इसमें पाकिस्तान ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में भी कोरोना के संक्रमित मिले हैं। वहां सभी प्रतिबंध तत्काल हटाए जाने चाहिए। भारत ने मिर्जा के बयान पर आपत्ति जताई और कहा- पाकिस्तान ने अपने स्वास्थ्य मंत्री को कॉन्फ्रेंसिंग में भेजा, जो कि बोलने तक में असहज थे। क्या बोलना है, इसके लिए उन्हें एक चिट्ठी दी गई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि डब्ल्यूएचओ ने कोरोना को महामारी घोषित किया है। लेकिन घबराना नहीं और हमेशा तैयार रहना संक्रमण से लड़ने के लिए भारत का मूलमंत्र रहा है। उन्होंने कोरोना संकट से निपटने के लिए सार्क देशों के सामने 10 मिलियन डॉलर (74 करोड़ रुपए) का इमरजेंसी फंड बनाने का प्रस्ताव रखा।

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'साउथ एशिया सैटेलाइट' का तोहफा 

साल 2017 में भारत की अंतरिक्ष कूटनीति के तहत तैयार हुई दक्षिण एशिया सैटेलाइट को इसरो ने लॉन्च किया था। 50 मीटर ऊंचे रॉकेट के ज़रिए इस उपग्रह को अंतरिक्ष में भेजा गया। जिसके बाद नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सार्क देशों के राष्ट्रप्रमुखों को इसकी जानकारी दी। 450 करोड़ रुपए की लागत वाले 'साउथ एशिया सैटेलाइट' को मोदी ने सार्क देशों के लिए 'अनमोल तोहफ़ा' बताया। इसे भारत की ओर से एक 'कॉनफ़िडेंस-बिल्डिंग मेज़र' के तौर पर देखा गया। 

अगला टारगेट जी20

पीएम मोदी ने सार्क देशों को साथ लाकर दक्षिण एशिया में तो अपनी लीडरशिप का लोहा मनवा ही दिया है, अब उनका अगला टारगेट जी20 देश हैं। इस बात की पुष्टि खुद ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने की है। पीएम मोदी ने कोरोना वायरस से निपटने के लिए जी20 देशों के बीच संयुक्त रणनीति बनाने का प्रस्ताव दिया है।

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भारत का नमस्ते पहले ही पूरी दुनिया का फेवरेट हो गया है और लोग एक-दूसरे को नमस्ते कह रहे हैं। जब से कोरोना वायरस ने दुनिया में फैलना शुरू किया है और स्वास्थ्य एजेंसियों ने कहा है कि हाथ मिलाने या गले लगने के बजाय दूर से ही अभिवादन करें, तब से पूरी दुनिया ने नमस्ते को अपना लिया है। 'नमस्ते' दुनिया में भारत को लीडर के तौर पर तो पेश कर ही रहा है।

कुछ समय पहले तक ये दिखता था कि अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देश जी20 के लीडर की तरह सामने आते थे, लेकिन कोरोना से जूझने के इस दौर में भारत ने लीडरशिप की जिम्मेदारी उठाई है और पीएम मोदी इसे बखूबी निभाते नजर आ रहे हैं। 

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