By अभिनय आकाश | Jan 04, 2025
साल 2025 में सुप्रीम कोर्ट भी कई बदलाव के दौर से गुजरने वाला है। जहां एक तरफ शीर्ष अदालत को 3 चीफ जस्टिस मिलेंगे। वहीं दूसरी ओर कई न्यायधीश अदालत को अलविदा कहेंगे। साल 2025 में सुप्रीम कोर्ट में कुल 7 न्यायधीश रिटायर होंगे। इनमें से कुछ जज ऐसे भी होंगे जो चीफ जस्टिस बनेंगे और रिटायर होंगे। सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा चीफ जस्टिस संजीव खन्ना 13 मई 2025 को रिटायर हो रहे हैं। उनके बाद जस्टिस बीआर गवई सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बनेंगे. बीआर गवई का कार्यकाल नबंवर 2025 तक होगा। बीआर गवई इसी साल नवंबर में रिटायर हो जाएंगे, उनके बाद जस्टिस सूर्यकांत देश के चीफ जस्टिस का पद संभालेंगे। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट साल 2025 में कई अहम मामलों की सुनवाई भी करेगा। जिन पर पूरे देश की निगाहें टिकी होंगी। ऐसे मामले में जिनका देश पर दूरगामी सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक असर देखने को मिलेगा।
दिल्ली में सर्विसेज का विवाद
केंद्र सरकार ने कानून बनाकर दिल्ली में सर्विसेज का कंट्रोल एलजी के हाथ में दिया था। इस मामले को दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट में ले गया। साल 2025 में दिल्ली में सर्विसेज से जुड़े केंद्र सरकार के कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट को सुनवाई करनी है। सुप्रीम कोर्ट ने 19 मई 2024 को मामले को पांच जजों की संवैधानिक पीठ को रेफर कर दिया था।
मैरिटल रेप केस
अक्टूबर 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई टाल दी। इसके पीछे सीजेआई चंद्रचूड़ ने 10 नवंबर, 2024 को अपनी सेवानिवृत्ति का हवाला दिया। चंद्रचूड़ ने इस विवादास्पद मुद्दे को एक अलग पीठ को सौंपने का फैसला किया था, जिससे यह निष्कर्ष निकला कि उनके कार्यालय छोड़ने से पहले शीर्ष अदालत की पीठ के पास सुनवाई पूरी करने और निर्णय जारी करने के लिए पर्याप्त समय नहीं होगा। इस मामले ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 375 के तहत विवाह के भीतर बलात्कार के लिए पतियों को अभियोजन से बचाने वाली संवैधानिक छूट की वैधता पर समाज के भीतर बहुत बहस छेड़ दी। सीजेआई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ, जिसमें जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल थे। एक साल से अधिक के अंतराल के बाद अक्टूबर में मामले की अंतिम सुनवाई की थी। अब मैरिटल रेप मामले में पति को अपवाद में रखे जाने के खिलाफ दाखिल अर्जी सुप्रीम कोर्ट सुनेगा।
मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट पर सुनवाई
मनी लॉन्ड्रिग ऐक्ट के प्रावधानों को चुनौती देते हुए दाखिल रिव्यू पिटिशन पर सुप्रीम कोर्ट नए साल में सुनवाई करेगा। कोर्ट ने पीएमएलए ऐक्ट के प्रावधान को चुनौती वाली अजर्जी 2022 में खारिज की थी। इसके बाद रिव्यू पिटिशन आई। कोर्ट ने कहा था कि आरोपी की गिरफ्तारी के वक्त उसे ECIR (प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट) देने की अनिवार्यल नहीं है। आरोपी पर निर्दोष साबित करने का बोझ डाले जाने के प्रावधान को दोबारा देखने की जरूरत है।
चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर सुनवाई
मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए बनाए गए कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाईहोगी। कोर्ट ने केंद्र और चुनाव आयोग से इस मामले में अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। कोर्ट में अर्जी दाखिल कर इनकी नियुक्ति के लिए बनाए गए नए कानूनों को चुनौती दी गई है। चीफ इलेक्शन कमीश्नर एंड इलेक्शन कमीश्नर एक्ट 2023 को चुनौती दी गई है।
प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट पर सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, महाराष्ट्र के विधायक जितेंद्र सतीश अव्हाड, मनोज झा सहित अन्य ने प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के समर्थन में याचिका दायर की है। 2020 से यह मामला कोर्ट में लंबित है। वही मुश्लिम पक्ष जमीयत उलेमा ए हिंद की ओर से दायर याचिका में प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के स्पोर्ट में दायर की गई है।