हरित प्रदेश से पूर्वांचल तक, UP के चार भागों का ऐसा रहा है चुनावी योग, पिछला प्रदर्शन दोहराएगी बीजेपी?

By अभिनय आकाश | Mar 10, 2022

403 विधानसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश को राजनीतिक और सांस्कृतिक रूप से चार क्षेत्रों में वर्गीकृत किया जाता है। पश्चिम, मध्य, बुंदेलखंड और पूर्वांचल। समय-समय पर यूपी के बंटवारे की मांग उठती रही है। नवंबर 2011 में तत्कालीन मायावती सरकार ने उत्तर प्रदेश को पूर्वाचल, बुंदेलखंड, पश्चिमी प्रदेश और अवध प्रदेश में बांटने का प्रस्ताव विधानसभा से पारित कराकर केंद्र को भेजा था। लेकिन केंद्र ने राज्य के इस प्रस्ताव को वापस कर दिया था।  पिछले साल, राज्य को विभाजित करने की योजना की चर्चा के बाद, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसका खंडन करते हुए एक बयान दिया था, जिसमें कहा गया था कि "विभाजन" में विश्वास नहीं करते हैं। 10 मार्च की वो तारीख जिसका बेसब्री से इंतजार नेताओं, वोटरों को था। विधानसभा चुनाव 2022 के वोटों की गिनती जारी है। पहले पोस्टल बैलेट की गिनती हो रही है। शुरुआती रूझानों में बीजेपी आगे चल रही है। ऐसे में आपको बताते हैं यूपी के चार हिस्सों में पिछले बार का परिणाम क्या रहा था और क्या यहां के प्रमुख मुद्दे रहे। 

यूपी पश्चिम (हरित प्रदेश)

जिले: 26; निर्वाचन क्षेत्र: 136

2017 परिणाम: 110 भाजपा, 20 सपा, 3 बसपा, 2 कांग्रेस, 1 रालोद

इस बार के पहले दो चरणों गन्ना बेल्ट के नाम से मशहूर इस क्षेत्र में पहले मतदान हुआ था। यूपी में कृषि कानूनों का विरोध इस क्षेत्र तक ही सीमित था और सपा ने इसे भुनाने के लिए रालोद के साथ गठजोड़ किया। कागज पर उनका गठबंधन क्षेत्र के दो प्रमुख समुदायों, मुसलमानों और जाटों के साथ आने को दर्शाता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित भाजपा के अभियान का यहां 2013 के मुजफ्फरनगर दंगे के मुद्दे पर केंद्रीत था। जिसमें मुसलमानों और जाटों के बीच हिंसा देखी गई थी। पार्टी ने लोगों को चेतावनी दी थी किसपा दोबारा जीती तो "माफियावादी और अपराधी सत्ता में आएंगे। 

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बुंदेलखंड

जिले 7; निर्वाचन क्षेत्र: 19

2017: सभी सीटें बीजेपी, सहयोगी दलों को

2012 में  भाजपा को 3 सीटें, सपा को 6, बसपा को 5, कांग्रेस को 4 सीटें मिली थी। 2017 में भाजपा के लिए पूरे दिल से वोट को पिछड़े और पानी की कमी वाले क्षेत्र द्वारा बदलाव के लिए वोट के रूप में देखा गया था। बीजेपी उम्मीद कर रही है कि उसका बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे, इसके साथ एक रक्षा गलियारे जैसे विषय पार्टी के लिए फिर से इस क्षेत्र में जीत हासिल करने में मददगार साबित होंगे। 

मध्य उत्तर प्रदेश (अवध)

जिले: 14, निर्वाचन क्षेत्र: 85

2017: 71 भाजपा, 9 सपा, 2 बसपा, 3 कांग्रेस

यूपी का मध्य क्षेत्र न केवल राज्य की राजधानी बल्कि गांधी और यादव परिवार का गढ़ भी हैं। यहां भाजपा ने 2008 के अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट मामले में अदालत के फैसले को लेकर जोर शोर से प्रचार किया। इसके साथ ही बीजेपी ने सपा पर "आतंकवादियों" को बचाने का आरोप लगाया। सपा उम्मीद कर रही है कि लखीमपुर खीरी की घटना, जहां कथित तौर पर भाजपा के केंद्रीय मंत्री के बेटे द्वारा गाड़ी से कुचल कर किसान की मौत हो गई थी। 

पूर्वांचल

जिले: 28; सीटें : 164

2017: भाजपा 115, सपा 17, बसपा 14, कांग्रेस 2, अन्य 16

इस क्षेत्र को कभी सपा का गढ़ माना जाता था, जब पार्टी ने 2012 में सरकार बनाई थी, तब यहां 102 सीटें जीती थीं। हालांकि, 2017 में भाजपा ने अधिकांश सीटों पर कब्जा कर लिया था।  यहां कोविड लॉकडाउन और परिणामी समस्याओं का सामना करना पड़ा, जो इन चुनावों में सामने आएगा। यहां तक ​​कि कांग्रेस भी उम्मीद से देख रही है, क्योंकि पूरे यूपी में अपनी गिरावट के बावजूद, 2012 में इस क्षेत्र से उसे लगभग 15 सीटें मिली थीं। पूर्वांचल का इलाका बीजेपी के लिए खासी अहमियत रखता है। गोरखपुर शहरी सीट से खुद आदित्यनाथ चुनाव लड़ रहे वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में डेरा डाला था। 


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