Pranab Mukherjee Birth Anniversary: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने लिए अनूठे और अविस्मरणीय फैसले, जानिए दिलचस्प बातें

By अनन्या मिश्रा | Dec 11, 2024

आज ही के दिन यानी की 11 दिसंबर को भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का जन्म हुआ था। प्रणब मुखर्जी साल 2012 से 2017 तक देश के 13वें राष्ट्रपति पद पर आसानी रहे थे। प्रणब मुखर्जी को उनकी विद्वता और शालीनता के लिए याद किया जाता है। उन्होंने राष्ट्रपति रहते हुए लीक से हटकर अनूठे और अविस्मरणीय फैसले किए। जिन्हें आज भी याद किया जाता है। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...


जन्म और शिक्षा

पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के मिराटी में 11 दिसंबर 1935 को प्रणब मुखर्जी का जन्म हुआ था। प्रणब मुखर्जी के पिता का नाम किंकर मुखोपाध्याय सरानी था और वह एक स्वतंत्रता सेनानी थे। साथ ही इंडियन नेशनल कांग्रेस के सक्रिय सदस्य थे। उन्होंने इतिहास में एमए, राजनीतिक विज्ञान में एमए किया। वहीं एलएलबी और डी लिट की उपाधि हासिल की। प्रणब मुखर्जी ने कलकत्ता यूनिवर्सिटी से अपनी शिक्षा पूरी की। 

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राजनीतिक सफर

साल 1969 में मिदनापुर उपचुनाव के दौरान प्रणब मुखर्जी निर्दलीय कैंडिडेट के लिए कैंपेनिंग कर रहे थे। इस दौरान जब देश की तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने उनके जोश और जज्बे को देखा, तो उनको कांग्रेस पार्टी का सदस्य बनने के लिए आमंत्रित किया। यहीं से प्रणब मुखर्जी का राजनीति में पदार्पण हो गया। साल 1969 में वह राज्यसभा के सदस्य बनाए गए और साल 1982 में वह भारत के सबसे युवा वित्त मंत्री बनें। फिर आगे चलकर वह विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री और वाणिज्य मंत्री भी रहे।


प्रणब मुखर्जी ने करीब 6 दशक तक अपनी शानदार राजनीतिक पारी खेली। इस दौरान उन्होंने इंदिरा गांधी, पी वी नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह जैसे प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया था। वह एक मात्र ऐसे नेता थे, जिनको सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। वह साल 1980 से 1985 के बीच राज्यसभा में भी कांग्रेस पार्टी के नेता रहे।


विश्वास का रिश्ता

जब साल 2012 में प्रणब मुखर्जी देश के 13वें राष्ट्रपति बने, तो उस दौरान वह केंद्र सरकार के मंत्री के रूप में कुल 39 मंत्री समूहों में से 24 का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। साल 2004 से लेकर 2012 के दौरान उन्होंने 95 मंत्री समूहों की अध्यक्षता की। बता दें कि राजनीतिक हलकों में मुखर्जी की पहचान आम सहमति बनाने की क्षमता रखने वाले एक ऐसे नेता के तौर पर थी, जिन्होंने सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ विश्वास का रिश्ता कायम किया था। उनके द्वारा बनाए गए विश्वास के रिश्ते राष्ट्रपति पद पर उनके चयन के समय काम आए।


निधन

भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का निधन 31 अगस्त 2020 में हुआ था। उनका अंतिम संस्कार दिल्ली में पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया था।

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