पहली बार किसी हिंदी उपन्यास को मिला अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार, भारत की गीतांजलि श्री ने रचा इतिहास

By रेनू तिवारी | May 27, 2022

दिल्ली की लेखिका गीतांजलि श्री और अमेरिकी अनुवादक डेज़ी रॉकवेल ने अपने उपन्यास 'टॉम्ब ऑफ सैंड' (Tomb of Sand) के लिए गुरुवार को अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीता। अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज गीतांजलि श्री सहित पूरे भारत के लिए सम्मान की बात है। पहली बार किसी हिंदी भाषा की किताब को यह पुरस्कार दिया गया है।

 

इसे भी पढ़ें: पहले फिल्मों में नहीं आना चाहती थी, लेकिन अब सेट पर सहज महसूस करती हूं : मानुषी छिल्लर

 

मूल रूप से हिंदी में लिखी गई, 'टॉम्ब ऑफ सैंड' प्रतिष्ठित पुरस्कार जीतने वाली  भारतीय भाषा की पहली पुस्तक है। द बुकर प्राइज ने एक ट्वीट में कहा, "हमें यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि गीतांजलि श्री द्वारा लिखी गयी किताब 'रेत का मकबरा' इंटरनेशनल बुकर पुरस्कार की विजेता है जिसका अनुवाद  डेज़ी रॉकवेल द्वारा हिंदी से अंग्रेजी में किया गया है और tiltedaxispress द्वारा प्रकाशित किया गया है।"

 

इसे भी पढ़ें: कश्मीरी TV एक्ट्रेस की हत्या 24 घंटे में सुरक्षा बलों ने लिया बदला! हत्या में शामिल दोनों आतंकी ढेर, 3 दिनों में 10 आतंकियों को मारा गया

 

पहली हिंदी भाषा की किताब जिसे 50,000 पाउंड के पुरस्कार के लिए चुना गया था। पुरस्कार राशि गीतांजलि और रॉकवेल के बीच बांटी जाएगी। 'टॉम्ब ऑफ सैंड' एक 80 वर्षीय महिला की कहानी है जो अपने पति की मौत के बाद उदास रहती है। आखिरकार, वह अपने अवसाद पर काबू पाती है और विभाजन के दौरान अपने पीछे छोड़े गए अतीत का सामना करने के लिए पाकिस्तान जाने का फैसला करती है।


श्री तीन उपन्यासों और कई कहानी संग्रहों की लेखिका हैं, जिनका अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, सर्बियाई और कोरियाई में अनुवाद किया गया है।

प्रमुख खबरें

Christmas Decoration Hacks: क्रिसमस सजावट के लिए शानदार DIY हैक

Delhi Water Crisis| यमुना में बढ़ा Ammonia का स्तर, कई इलाकों में हुई पानी की कमी

Pegasus Spyware मामले पर अमेरिकी कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला, Randeep Singh Surjewala ने मोदी सरकार को घेरा

Akhilesh Yadav के विधायक का विवादित बयान- भाजपा को बता दिया हिंदू आतंकवादी संगठन