इंदौर में राशन घोटाले को लेकर 31 के विरुद्ध एफआईआर दर्ज, तीन पर रासुका की कार्रवाई

By दिनेश शुक्ल | Jan 20, 2021

इंदौर। मध्य प्रदेश में इंदौर के कलेक्टर मनीष सिंह के निर्देशन में माफियाओं के विरुद्ध लगातार बड़ी कार्रवाई की जा रही है। इसी सिलसिले में शासकीय उचित मूल्य दुकान के माध्यम से गरीबों के राशन की हेराफेरी करने का एक बड़ा मामला उजागर किया गया है। जिला प्रशासन द्वारा मिलावटखोरों तथा राशन माफियाओं के विरूद्ध की जा रही कार्यवाही में बड़ी सफलता अर्जित की गई है। 79 लाख के राशन घोटाले मामले में 31 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, जबकि तीन पर रासुका की कार्रवाई की गई है। इसके साथ ही जिला आपूर्ति नियंत्रक के खिलाफ भी प्रकरण दर्ज किया गया है। 

 

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इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह ने मंगलवार को कलेक्ट्रेट में आयोजित प्रेसवार्ता में बताया कि आरोपित भरत दवे और प्रमोद दहीगुडे के सहयोग से उनके परिजनों तथा परिचितों द्वारा संचालित की जा रही उचित मूल्य दुकानों से सामग्री वितरण नहीं करने या कम मात्रा में देने की शिकायतें प्राप्त हो रही थी। इस संबंध में मिली शिकायतों की जांच के बाद 12 शासकीय उचित मूल्य की दुकानों को चिन्हित किया गया। दुकानों की जांच के लिए अनुविभागीय अधिकारियों के नेतृत्व में दल गठित किया गया। गठित दल द्वारा 12 जनवरी को इन 12 दुकानों के कारोबार स्थलों पर जाकर उनके रिकॉर्ड और पीओएस मशीन की जांच कर भौतिक सत्यापन किया गया तो कई अनियमितताएं सामने आई। साथ ही मप्र सार्वजनिक वितरण प्रणाली (नियंत्रण) आदेश 2015 के प्रावधानों का उल्लंघन होता पाया गया।

 

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उन्होंने बताया कि जांच के दौरान उक्त दुकानों के संचालन में आरोपित भरत दवे की संलिप्तता राशन माफिया के रूप में पायी गयी। आरोपित भरत दवे द्वारा राशन दुकान संघ का अध्यक्ष होने के कारण दुकान संचालकों के साथ गरीबों के राशन की चौरी कर उसे अधिक दर पर बाजार में बेचकर धन अर्जित किया जाता था। कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारियों ने बताया कि छात्र प्राथमिक उपभोक्ता सहकारी समिति का उपाध्यक्ष श्याम दवे भी राशन घोटाले के कार्य में भरत दवे का निकटतम सहयोगी था। इसी तरह तीसरा आरोपित प्रमोद दहीगुडे भी तीन दुकानों का संचालन करता है, उसके द्वारा भी राशन की हेरा-फेरी कर आर्थिक लाभ कमाया जा रहा है।

 

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जांच में पाया गया कि राशन की हेराफेरी की शिकायतों के उपरांत भी संभागायुक्त द्वारा निलंबित किये गये प्रभारी खाद्य नियंत्रक आरसी मीणा ने अपने दायित्वों का निर्वाहन नहीं किया, बल्कि राशन माफियों का साथ देते रहे। उनके द्वारा राशन माफियों के खिलाफ कार्रवाई करने से अपने कनिष्ठ अधिकारियों को भी रोका गया। निलंबित फूड कंट्रोलर आरसी मीणा की भूमिका उक्त राशन माफियों के साथ सलिप्तता एवं संगमत होने की पायी गयी है। जिस कारण उनके विरूद्ध धारा 120-बी भारतीय दण्ड संहिता के तहत अपराध पंजीबध्द किया गया है। इसी तरह उक्त पूरे राशन घोटाले के प्रकरण में कुल 31 व्यक्तियों के विरूद्ध आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3/7 सहित आईपीसी की धारा 420, 409, 120बी के तहत कार्यवाही की गई है। साथ ही आरोपित भरत दवे, श्याम दवे एवं प्रमोद दहीगुड़े के विरुद्ध राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) की कार्यवाही की जा रही है।

 

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जांच दल द्वारा 12 उचित मूल्य दुकानों के निरीक्षण के दौरान 1,85,625 किलो गेहूं, 69,855 किलो चावल, नमक 3,169 किलो, शक्कर 423 किलो, चना दाल 2201 किलो, साबुत चना 1025 किलो, तुअरदाल 472 किलो, केरोसीन 4050.5 लीटर के रिकार्ड में गड़बड़ी पायी गयी। इस तरह राशन माफियाओं ने कुल 255480 किलो खाद्यान्न का गबन कर 79 लाख 4 हजार 479 रुपये का आर्थिक घोटाला किया गया। इस तरह राशन माफियाओं ने 51,096 हितग्राहियों को राशन जैसी जीवन की प्राथमिक आवश्यकता से वंचित किया, जो ना सिर्फ कानूनन बल्कि नैतिक रूप से भी अक्षम्य अपराध है।

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