By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | May 26, 2022
अंकारा| स्वीडन और फिनलैंड के वरिष्ठ अधिकारियों ने बुधवार को यहां अपने समकक्षों के साथ मुलाकात की, ताकि नाटो में शामिल होने के नॉर्डिक देशों के प्रयास पर तुर्की की आपत्तियों को दूर किया जा सके। नाटो में शामिल होने के लिए स्वीडन और फ़िनलैंड ने पिछले सप्ताह अपने लिखित आवेदन प्रस्तुत किए थे।
तुर्की ने कहा है कि वह पश्चिमी सैन्य गठबंधन में उक्त दोनों देशों की सदस्यता का विरोध करता है, क्योंकि उसे स्वीडन से कुछ शिकायतें हैं, जबकि फिनलैंड कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी या पीकेके और उन अन्य संस्थाओं का समर्थक रहा है जिन्हें तुर्की अपने लिए सुरक्षा खतरे के रूप में देखता है।
तुर्की के कई सहयोगियों द्वारा आतंकवादी संगठन के रूप में सूचीबद्ध किया गया पीकेके तुर्की के खिलाफ दशकों से संघर्ष करता रहा है जिसमें हजारों लोगों की जान चली गई है। तुर्की सरकार ने फिनलैंड और स्वीडन पर अंकारा पर हथियार निर्यात प्रतिबंध लगाने और संदिग्ध ‘आतंकवादियों’ के प्रत्यर्पण से इनकार करने का भी आरोप लगाया है।
स्वीडन और फ़िनलैंड के प्रतिनिधिमंडलों ने तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन के प्रवक्ता इब्राहिम कालिन और तुर्की के उप विदेश मंत्री सेदात ओनल से मुलाकात की।
तुर्की नाटो का सदस्य है, जिसने कहा है कि स्वीडन और फिनलैंड उसके हितों के विपरीत काम करते रहे हैं तथा वह नहीं चाहता कि ये दोनों देश उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) में शामिल हों। किसी नए देश को सदस्य बनाने के लिए नाटो के सभी 30 देशों की सहमति आवश्यक है।
स्वीडन की प्रधानमंत्री मैग्डेलेना एंडरसन ने स्टॉकहोम में यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल के साथ एक बैठक के बाद कहा कि उनका देश तुर्की के आरोपों पर स्पष्ट करना चाहता है कि ‘हम आतंकवादी संगठनों को पैसे या हथियार नहीं भेजते हैं।