उत्तर प्रदेश की खबरें: फिल्म विकास परिषद के अध्यक्ष राजू श्रीवास्तव ने CM से की मुलाकात

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jul 08, 2021

उप्र फिल्म विकास परिषद के अध्यक्ष राजू श्रीवास्तव ने कल 5-कालीदास मार्ग स्थित मुख्यमंत्री आवास पर योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। मुलाकात के दौरान फिल्म सिटी में तेजी से कराये जाने वाले कार्यों से अवगत कराया। राजू श्रीवास्तव ने भोजपुरी भाषा में बनने वाली फिल्मों/गानों में बढ़ती हुई अश्लीलता पर चिन्ता व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री जी से कहा कि ऐसी फिल्मों और गानों से हमारी संस्कृति और समाज पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है, जिसकी रोकथाम के लिए कोई ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ऐसी फिल्में और गाने जो अश्लीलता को बढ़ावा देते हैं, उन फिल्मों पर सरकार की तरफ से मिलने वाली सहायता धनराशि (अनुदान) पर तत्काल रोक लगाये जाने का उन्होंने निर्देश दिया। अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वेब सीरीज और टीवी सीरीयल को भी फिल्मों की भांति सब्सिडी के दायरें में लाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि वेब सीरीज और टीवी सीरीयल को कुछ शर्तों के साथ सब्सिडी देने पर सरकार विचार कर रही है। फिल्म विकास परिषद के अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री को जानकारी देते हुए यह भी बताया कि जिन 62 फिल्मों की स्क्रिप्ट का परीक्षण किया गया है, उनमें से कुछ फिल्मों की स्क्रिप्ट पर इसलिए रोक लगा दी गई क्योंकि यह फिल्मं अश्लीलता और अनैतिकता के साथ-साथ सरकार द्वारा बनाई गई फिल्म नीति के निर्धारित मानकों पर खरी नहीं उतरती। कुछ फिल्मों की स्क्रिप्ट को पुनः विचार के लिए समिति के सदस्यों के पास दोबारा भेज दिया गया है ताकि उसका गहन अध्ययन किया जा सके। श्रीवास्तव ने मुख्यमंत्री को इस बात से भी अवगत कराया कि जिन फिल्म निर्माताओं की फिल्में पहले से ही रिलीज हो चुकी हैं, उनके निर्माताओं को सब्सिडी का भुगतान जल्द ही किया जाएगा।

उत्तर प्रदेश सरकार ब्व्टप्क् रोगियों को उच्चतम गुणवत्ता- परक देखभाल प्रदान करने हेतु स्वास्थ्य कर्मियों को सभी आवश्यक सहायता प्रदान कर रही है।  इस दिशा में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, उ0प्र0, द्वारा 02 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें प्रथम दिन 7 जुलाई 2021 को अपरान्ह् 02ः30 से 04ः30 तक ब्व्टप्क्.19 महामारी के दौरान स्वास्थ्यकर्मियों के लिए मानसिक स्वास्थ्य पर एक राज्य स्तरीय वेबिनार का आयोजन किया गया, जिससे उन्हें तनाव को अधिक प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में मदद मिल सके। दिनांक  8 जुलाई, 2021 को अपरान्ह् 02ः30 से 04ः30 बजे तक प्रदेश में ब्वअपक-19 के दौरान मानसिक स्वास्थ्य और साइकोलॉजिकल सहायता पर मनोवैज्ञानिकों और मनोचिकित्सकों की क्षमता वर्धन हेतु कार्यशाला आयोजित की गयी।

डॉ0 राजेश कुमार, मनोचिकित्सा विभाग प्रमुख, आईजीआईएमएस पटना और डॉ0 जनार्दन, प्रोफेसर, निमहंस बैंगलरू के विशेषज्ञ पैनल ने कार्यक्रम के दौरान मानसिक रूप से स्वस्थ्य रहने के विभिन्न आयामों के बारे में बताया।

डॉ0 राजेश कुमार, प्रमुख, मनोचिकित्सा विभाग, आईजीआईएमएस पटना ने बताया कि ब्वअपक.19  महामारी से लड़ने में स्वास्थ्य कर्मियों ने अथक प्रयास किए गए हैं। सबसे अहम समूहों में से एक फ्रंटलाइन कर्मचारी हैं जो महामारी से प्रभावित हुए हैं। डॉक्टर और नर्सों का मनोबल कमजोर हो सकता है, क्योंकि उन्हें दिन-रात मौत का सामना करना पड़ रहा है। शवदाह गृह में काम करने वाले सरकारी कर्मचारी, एम्बुलैंस चालक, कार्मिकों को भी भारी तनाव से गुजरना पड़ रहा है। उन्होंने कहा, “वे सभी भारी तनाव से गुजर रहे हैं। इसलिए, हमें उनकी भूमिका को स्वीकार करने की जरूरत है, जो अपनी सर्वश्रेष्ठ क्षमता से कर्तव्य निभा रहे हैं। कार्यस्थलों पर उन्हें बड़ी संख्या में सहयोगी समूह का समर्थन भी आवश्यक है।

डॉ0 जनार्दन ने बताया मानसिक स्वास्थ्य को शारीरिक स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से ही देखना चाहिए। तनाव को दूर करने में उपयुक्त दिनचर्या एक अहम भूमिका निभाती है। यह ऐसा काम है, जिस पर हमारा नियंत्रण है। अच्छा खान-पान, अच्छी नींद, संगीत, सांस लेने से जुड़े व्यायाम, बच्चों तथा परिवार के साथ समय व्यतीत करना, दूसरों के साथ जुड़ना आदि बहुत महत्वपूर्ण हैे। उन्होंने सुझाया कि एक डायरी या बॉक्स बनाएं जिसमें आप अपनी चिंताओं को जमा करें और उन्हें अपने दिमाग में रखने के बजाय उनकी चिट बनालें। इससे आपको ज्यादा ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा वास्तविक समाचार स्रोतों से जुड़ना और नकारात्मक व अवास्तविक जैसे अन्य स्रोतों, जो आपकी चिंता बढ़ाते हैं, से दूर होना जरूरी है। विकसित किया गया है, जिसका  उपयोग तनाव को प्रभावी रूप से कम किये जाने में  सहायक होगा। कार्यशाला में प्रशिक्षकों द्वारा प्रतिभागियों के प्रश्नों का निराकरण किया गया जिसकी प्रतिभागियों द्वारा सराहना की गयीं प्रशिक्षकों द्वारा भविष्य में भी इस प्रकार की कार्यशाला आयोजन हेतु सहमति व्यक्त की गयी।

प्रतापगढ़ के बाबा बेलखरनाथ धाम पर पक्के स्नान घाट के निर्माण हेतु 310.42 लाख रूपये अवमुक्त

सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग द्वारा जनपद प्रतापगढ़ में सई नदी के बायें किनारे पर स्थित बाबा बेलखरनाथ धाम पर पक्के स्नान घाट के निर्माण की परियोजना हेतु 310.42 लाख रूपये प्रथम किस्त के रूप में अवमुक्त की गई है। इस संबंध में विशेष सचिव सिंचाई श्री मुश्ताक अहमद की ओर से 06 जुलाई, 2021 को आवश्यक शासनादेश जारी कर दिया गया है। शासनादेश में कहा गया है कि परियोजना पर तकनीकी स्वीकृति प्राप्त करने के बाद ही कार्य शुरू कराया जाए। इसके अलावा निर्माण कार्य गुणवत्ता के साथ समय से पूरा कराया जाए। धनराशि व्यय करते समय वित्तीय निर्देशों का कड़ाई से पालन करना जरूरी है। स्वीकृति धनराशि का उपयोग इसी परियोजना पर ही किया जाए। अन्यथा की स्थिति में किसी प्रकार की गड़बड़ी होने पर इसका पूरा उत्तरदायित्व विभाग पर होगा। इसके अलावा प्रस्तावित कार्यों की डुप्लीकेसी को रोकने की दृष्टि से प्रमुख अभियन्ता एवं विभागाध्यक्ष द्वारा यह सुनिश्चित किया जायेगा कि यह कार्य पूर्व में किसी अन्य योजना अथवा कार्यक्रम के अन्तर्गत न तो स्वीकृत है और न वर्तमान में किसी अन्य योजना अथवा कार्यक्रम में आच्छादित किया जाना प्रस्तावित है।

दिल्ली स्थित कैनाल कालोनी ओखला के अतिथि गृहों एवं गेस्ट हाउस परिसर में स्थित झील के पुनरोद्धार हेतु 01 करोड़ 46 लाख 80 हजार रूपये स्वीकृत

सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग द्वारा दिल्ली स्थित कैनाल कालोनी ओखला के अन्तर्गत स्थित विशिष्ठ एवं अतिविशिष्ठ श्रेणी के अतिथि गृहों एवं गेस्ट हाउस परिसर में स्थित झील के पुनरोद्धार/पुनर्स्थापना की परियोजना हेतु प्रावधानित धनराशि 293.60 लाख रूपये में से 1,46,80,000.00 रूपये परियोजना के कार्याें पर व्यय करने हेतु प्रमुख अभियन्ता एवं विभागाध्यक्षसिंचाई एवं जल संसाधन निवर्तन पर रखे जाने की स्वीकृति प्रदान की गई है। इस संबंध में विशेष सचिव सिंचाई श्री मुश्ताक अहमद की ओर से 07 जुलाई, 2021 को आवश्यक शासनादेश जारी कर दिया गया है। शासनादेश में कहा गया है कि परियोजना पर तकनीकी स्वीकृति प्राप्त करने के बाद ही कार्य शुरू कराया जाए। इसके अलावा निर्माण कार्य गुणवत्ता के साथ समय से पूरा कराया जाए। धनराशि व्यय करते समय वित्तीय निर्देशों का कड़ाई से पालन करना जरूरी है।

स्वीकृति धनराशि का उपयोग इसी परियोजना पर ही किया जाए। अन्यथा की स्थिति में किसी प्रकार की गड़बड़ी होने पर इसका पूरा उत्तरदायित्व विभाग पर होगा। इसके अलावा प्रस्तावित कार्यों की डुप्लीकेसी को रोकने की दृष्टि से प्रमुख अभियन्ता एवं विभागाध्यक्ष द्वारा यह सुनिश्चित किया जायेगा कि यह कार्य पूर्व में किसी अन्य योजना अथवा कार्यक्रम के अन्तर्गत न तो स्वीकृत है और न वर्तमान में किसी अन्य योजना अथवा कार्यक्रम में आच्छादित किया जाना प्रस्तावित है।

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राज्यमंत्री ने की विश्व बैंक सहायतित उत्तर प्रदेश प्रो-पुअर पर्यटन विकास परियोजनाओं की समीक्षा

राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पर्यटन, संस्कृति एवं धर्मार्थ कार्य, उत्तर प्रदेश सरकार डॉ. नीलकंठ तिवारी द्वारा विश्व बैंक सहायतित उत्तर प्रदेश प्रो-पुअर पर्यटन विकास परियोजनाओं की समीक्षा बैठक पर्यटन निदेशालय के सभागार में की गई। समीक्षा बैठक में राज्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश इस कारण महिमामण्डित है कि भगवान बुद्ध के जीवन से जुड़ी अधिकांश महत्वपूर्ण घटनाएं इस प्रदेश की धरा पर सम्पन्न हुई हैं, परन्तु अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की अवस्थापन सुविधाओं का अभाव होने के कारण पर्यटकों की संख्या में कमी है। बैठक में डॉ0 नीलकंठ ने सुझाव दिया कि सारनाथ एवं कुशीनगर में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के विपश्यना केंद्रों की स्थापना की जानी चाहिए, जिससे अधिक से अधिक पर्यटक भगवान बुद्ध की धरती पर आकर शांति प्राप्त कर सकें।  

समीक्षा के दौरान राज्यमंत्री ने निर्देश देते हुए कहा कि पर्यटन विभाग द्वारा कराए जा रहे कार्यों के निर्माण कार्य मानक के अनुरूप गुणवत्तापरक कराये जाए, जिससे अगले 50 साल तक वहाँ कुछ कराने की आवश्यकता न हो। उन्होंने कहा कि आगरा एवं ब्रज क्षेत्र में कराए जा रहे कार्यों में लापरवाही किसी भी दशा में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि किसी भी निर्माण कार्य में शिथिलता न बरती जाए।राज्यमंत्री ने प्रमुख सचिव पर्यटन मुकेश मेश्राम को निर्देश दिया कि विश्व बैंक सहायतित उ0प्र0 प्रो-पुअर पर्यटन विकास परियोजनाओं की माइक्रो स्तर पर समीक्षा स्वयं करें। विश्व बैंक सहायतित उ0प्र0 प्रो-पुअर पर्यटन विकास परियोजना एक अभिनव परियोजना है। इस परियोजना में प्रदेश के दो प्रमुख पर्यटन क्षेत्रों-आगरा एवं ब्रज के अन्तर्गत पर्यटन विकास सम्बन्धी गतिविधियों के माध्यम से गरीबी-उन्मूलन तथा रोजगार-सृजन करने की योजना है। इसके अन्तर्गत चिन्हित क्षे़त्रों में स्थित पर्यटन स्मारकों/स्थलों पर मूलभूत पर्यटक वाले स्थानीय लोगों के आर्थिक/सामाजिक स्तर के उन्नयन तथा रोजगारपरक अवसर हेतु विभिन्न गतिविधियाँ की जाती हैं। उक्त परियोजना के अन्तर्गत जनपद-आगरा की दो परियोजनाएं कछपुरा एवं मेहताब बाग क्षेत्र के समेकित पर्यटन विकास एवं सौन्दर्यीकरण, शाहजहां पार्क तथा ताजमहल एवं आगरा फोर्ट के मध्य विशिष्ट पर्यटक मार्ग का निर्माण एवं सौन्दर्यीकरण का कार्य तथा जनपद मथुरा की दो परियोजनाएं श्री बांके बिहारी जी मन्दिर क्षेत्र का समेकित पर्यटन विकास,  श्री बांके बिहारी जी मन्दिर को आने-जाने वाली चिन्हित 22 गलियांे के ओवरहेड विद्युत लाइनों को भूमिगत करने का कार्य प्रगति पर है। उपरोक्त के अतिरिक्त उ0प्र0 शासन एवं विश्व बैंक के अनुमोदनोपरान्त परियोजना के अन्तर्गत सारनाथ एवं कुशीनगर के कार्याें को भी सम्मिलित किया गया है, जिसका एक विस्तृत प्रस्तुतीकरण कराए जाने की अपेक्षा डॉ0 नीलकंठ तिवारी द्वारा की गई है। बैठक में विशेष सचिव पर्यटन, शिवपाल सिंह तथा अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

मा0 न्यायमूर्ति यू0यू0 ललित न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय/मा0 कार्यपालक अध्यक्ष राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा भारत वर्ष में मा0 उच्चतम न्यायालय से तहसील स्तर तक 10 जुलाई, 2021 को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किये जाने हेतु निर्देशित किया गया है। जिसके अनुपालन में उ0प्र0 विधिक सेवा प्राधिकरण के मा0 कार्यपालक अध्यक्ष/मा0 कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति इलाहाबाद उच्च न्यायालय, श्री मुनीश्वर नाथ भण्डारी द्वारा उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोक अदालत की व्यापक सफलता एवं आम जनता के हित में वादों का निस्तारण हेतु राष्ट्रीय लोक अदालत के माध्यम से किए जाने हेतु निर्देशित किया गया है। यह जानकारी उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के उप सचिव, सुबोध भारती (ए0जे0एस0) ने आज यहाँ दी। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत में अपराधिक शमनीय वाद, लघु अपराधिक वाद/ई-चालान, धारा-138 परक्राम्य लिखत अधिनियम के वाद, बैंक वसूली वाद, मोटर दुर्घटना वाद, श्रम मामलों का निस्तारण किया जायेगा। इसके अलावा विद्युत बिल तथा जलकर वाद, पारिवारिक/वैवाहिक मामले, भूमि अधिग्रहण वाद, सेवा/वेतन सम्बन्धी वाद, राजस्व वाद तथा अन्य दिवानी वाद का भी निस्तारण किया जाता है। उल्लेखनीय है कि लोक अदालत में वादों को निस्तारित कराने से न्यायालय से निस्तारित वादों की तुलना में वादकारियों को कई लाभ मिलते हैं। जैसे कि सभी प्रकार की सिविल वाद या ऐसे अपराधों को छोड़कर जिनमें समझौता वर्जित है, सभी अपराधिक मामले भी लोक अदालतों द्वारा निपटाये जा सकते हैं। लोक अदालत के फैसलों को अदालत का फैसला माना जाता है। जिसे कोर्ट की डिक्री की तरह सभी पक्षों पर अनिवार्य रूप से बाध्य होते हुए लागू कराया जाता है। लोक अदालत के फैसले के विरूद्ध किसी भी न्यायालय में अपील नहीं की जा सकती है। इस प्रकार लोक अदालत के फैसले अंतिम होते हैं। लोक अदालत में समझौते के माध्यम से निस्तारित मामलों में अदा की गई कोर्ट फीस वापस कर दी जाती है।

पंचायत सशक्तीकरण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाली ग्राम पंचायतों को मुख्यमंत्री पंचायत प्रोत्साहन पुरस्कार योजना अन्तर्गत प्रत्येक वर्ष पुरस्कृत किया जा रहा है

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की घोषणा के क्रम में पंचायत सशक्तीकरण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाली ग्राम पंचायतों को मुख्यमंत्री पंचायत प्रोत्साहन पुरस्कार योजना अन्तर्गत प्रत्येक वर्ष पुरस्कृत किया जा रहा है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में इस योजनान्तर्गत पंचायतों द्वारा किये गये उत्कृष्ट कार्यों के आधारपर ग्राम पंचायतों को पुरस्कृत किये जाने हेतु ऑनलाइन आवेदन ’’हमारी पंचायत पोर्टल’’;ूूूण्ींउंतपचंदबींलंजण्नचण्हवअण्पदद्ध पर 01 जुलाई, 2021 से प्राप्त किये जा रहे हैं। पंचायती राज विभाग द्वारा इस सम्बन्ध में प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को आवश्यक निर्देश जारी कर दिये गये हैं। जारी निर्देश में कहा गया है कि ’’मुख्यमंत्री पंचायत प्रोत्साहन पुरस्कार’’ वित्तीय वर्ष 2021-22 में नियमानुसार एवं निर्धारित प्रक्रियानुसार ग्राम पंचायतांे द्वारा किये गये उत्कृष्ट कार्यों के आधार पर पुरस्कृत की जाने वाली ग्राम पंचायतों का चयन किया जाये। ’’मुख्यमंत्री पंचायत प्रोत्साहन पुरस्कार’’ योजना का उद्देश्य इस प्रकार है, पंचायतों को अपने उत्तरदायित्वों के प्रति सजग एवं जन सामान्य के प्रति उत्तरदायी संस्था के रूप में विकसित किये जाने हेतु प्रोत्साहित किया जाना, पुरस्कृत पंचायतों के कार्यों को आदर्श मानकर अन्य ग्राम पंचायतें भी इन पुरस्कृत पंचायतों को आदर्श मानकर स्वयं की प्रेरणा स्रोत के रूप में कार्य करेगी। पंचायतों को पूर्व निर्धारित शासकीय अधिनियम व नियम के अनुसार कार्यवाही किये जाने हेतु प्रोत्साहित किया जाना, पंचायतों में उत्कृष्ट कार्य करने की प्रतिस्पर्धा जागृत कर उत्कृष्ट कार्य करने वाली पंचायतों को पुरस्कृत किया जाना, ग्राम पंचायतों को स्मार्ट ग्राम पंचायत के रूप में विकसित किया जाना है। जारी निर्देश के अनुसार ग्राम पंचायतों द्वारा सम्पूर्ण वित्तीय वर्ष 2020-21 में किये गये उत्कृष्ट कार्याें के आधार पर निर्धारित प्रश्नावलियों को आनलाइन ’’हमारी पंचायत पोर्टल’’ के माध्यम से स्वः मूल्यांकन कर 15 अगस्त, 2021 तक जनपद परफारमेन्सअसेसमेन्ट समिति हेतु फ्रीज किया जाना होगा।

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बी फार्मा एवं डी फार्मा कोर्सेज के साथ मेडिसिन मैन्युफैक्चरिंग यूनिट चलाये जाने की अनुमति

अपर मुख्य सचिव, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम डा0 नवनीत सहगल की अध्यक्षता में आयोजित उद्यमिता विकास संस्थान के संचालक मण्डल की 66 वीं बैठक में संस्थान के निदेशक श्री देवेन्द्र पाल सिंह का कार्यकाल आगामी दो वर्षों तक बढ़ाये जाने के प्रस्ताव पर संस्तुति प्रदान की गई। साथ ही उत्तर प्रदेश एवं अन्य प्रदेशों के विश्वविद्यालयों व कालेजों में अध्ययनरत एमबीबीएस, बीडीएस एवं बी0एस0सी0 नर्सिंग छात्रों हेतु शिक्षण तथा अध्ययन को सरल बनाने के उद्देश्य से विशेष पैकेज संचालित करने पर निर्णय लिया गया। इसके अलावा संस्थान को आईएसओ 9001 सर्टिफिकेट प्राप्त कराने के प्रस्ताव पर भी सहमति प्रदान की गई। अपर मुख्य सचिव ने बताया कि संस्थान में आगामी प्रोफेशनल गतिविधियों एवं निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु निदेशक के कार्यकाल का विस्तार किया जायेगा। जिससे संस्थान की गतिविधियां निर्बाध रूप से संचालित हो सकें। उन्होंने बताया कि एमबीबीएस, बीडीएस एवं बी0एस0सी0 नर्सिंग छात्रों हेतु शिक्षण व अध्ययन को सरल बनाने के लिए एक विशेष पैकेज तैयार किये जाने की योजना है, जिसमें लेक्चर के अतिरिक्त एनीमेशन, लाइन डाईग्राम, चित्रण, वीडियो आदि विधियों के माध्यम से छात्र स्वयं इंटरैक्वि ढंग से सीख सकेंगे। यह पैकेज राष्ट्रीय नियंताओं द्वारा निर्धारित किये गये पाठ्यक्रम पर ही आधारित होगा। इसमें स्किल डेवलपमेंट, बेडसाइड क्लीनिक, प्रारंभिक नैदानिक जोखिम मॉड्यूल आदि सम्मिलित होंगे। उन्होंने बताया कि इससे सीखने के परिणाम में सुधार के साथ-साथ उत्पादकर्ता एवं प्रभावशीलता में वृद्धि होगी। डा0 सहगल ने बताया कि आईएसओ 9001 प्रमाण-पत्र प्राप्त होने पर संस्थान की प्रक्रियाओं और तौर तरीकों को मानकीकरण में सहयता होगी और प्रायोजक संस्थाओं तथा स्टेक होल्डर्स के समक्ष प्रोफेशनल छवि प्रस्तुत की जा सकेगी। इसके लिए एक विशेषज्ञ संस्था को मानदेय के आधार पर अनुबंधित भी किया जायेगा। उन्होंने कहा कि संस्थान में बी फार्मा एवं डी फार्मा कोर्सेज चलाये जाने की अनुमति पहले ही दी चुकी है। कोविड-19 महामारी दौर में दवाओं की उपलब्ध सुनिश्चित करने के उद्देश्य से इन्हीं कोर्सेज की प्रयोगशालाओं एवं उपकरणों का प्रयोग करके मेडिसिन मैन्युफैक्चरिंग यूनिट चलाये जाने की भी अनुमति प्रदान कर दी गई है। अपर मुख्य सचिव ने कहा कि संस्थान द्वारा लखनऊ स्मार्ट सिटी लिमिटेड (एलएससीएल) के साथ मिलकर रोजगार एवं स्वरोजगार परक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे। इसके लिए एलएससीएल के साथ एम0ओ0यू0 भी किया गया है। इसके तहत उद्योगों एवं विभागों की आवश्यकता के अनुरूप कुशल मानव संसाधन उपलब्ध कराने के लिए कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से युवाओं को रोजगार से जोड़ा जायेगा।

मोबाईल एप ‘‘यू0पी0 फिश फार्मर’’ पर मत्स्य पालन संबंधी समस्त कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी उपलब्ध

प्रदेश के मछुओं, मत्स्य पालकों, मत्स्य उद्यमियों एवं मत्स्य गतिविधियों से जुड़े व्यक्तियों के पंजीकरण एवं विभाग की गतिविधियों से उन्हें जोड़ने के उद्देश्य से प्रदेश के मत्स्य विभाग द्वारा मोबाईल एप ‘‘यू0पी0 फिश फार्मर’’ का संचालन किया जा रहा है। यह एप गूगल के प्ले स्टोर पर निःशुल्क उपलब्ध है। इस एप के माध्यम से मत्स्य पालकों को मुख्यतः मत्स्य कृषक क्रेडिट कार्ड, निःशुल्क मछुआ दुर्घटना बीमा योजना और भारत सरकार द्वारा मछुआ समुदाय के व्यक्तियों को विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से लाभान्वित किया जा रहा है।वमत्स्य विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार विभागीय योजनाओं को आनलाइन पोर्टल ीजजचरूध्ध्लिउपेण्नचेकबण्हवअण्पद के माध्यम से पारदर्शी ढंग से लागू किया जा रहा है। इस पोर्टल के माध्यम से लाभार्थियों का आनलाइन पंजीकरण आवेदन पत्रों की प्राप्ति तथा धनराशि को लाभार्थियों के बैंक खाते में सीधे एम.आई.एस. द्वारा सूचनाओं का संकलन आदि कार्य किये जा रहे हैं।

उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री वीरभद्र सिंह के निधन पर व्यक्त किया गहरा शोक

उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री  केशव प्रसाद मौर्य ने हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री वीरभद्र सिंह के निधन पर गहरा शोक प्रकट किया है। मौर्य ने शोक संतप्त परिजनों के प्रतिसंवेदना व्यक्त करते हुये दिवंगत आत्मा की शांति की कामना की है।

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राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के लिए 60 करोड़ 07 लाख से अधिक रूपये की धनराशि मंजूर

उत्तर प्रदेश सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 में राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के लिए अवमुक्त केन्द्रांश के सापेक्ष राज्यांश 40 प्रतिशत की धनराशि साठ करोड़ सात लाख नवासी हजार रूपये अवमुक्त कर दी है। योजना के अन्तर्गत 60 प्रतिशत केन्द्रांश एवं उसके सापेक्ष 40 प्रतिशत राज्यांश की व्यवस्था है। इस सम्बन्ध में ग्राम्य विकास विभाग द्वारा आवश्यक आदेश जारी कर दिया गया है, जिसमें उल्लिखित है कि स्वीकृत की जा रही धनराशि के नियम संगत व्यय व स्वीकृत धनराशियों के निर्धारित प्रारूप पर उपयोगिता प्रमाण पत्र प्राप्त किये जाने का दायित्व आयुक्त, ग्राम्य विकास/मिशन निदेशक, राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन का होगा।

जल जीवन मिशन कार्यक्रम का व्यापक प्रचार-प्रसार इम्पैनल्ड एजेंसियों के माध्यम से कराया जाय-अनुराग श्रीवास्तव

प्रमुख सचिव नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति श्री अनुराग श्रीवास्तव ने समस्त जिलाधिकारियों को निर्देश दिये है कि भारत सरकार एवं प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी जल जीवन मिशन कार्यक्रम को इम्पैनल्ड एजेंसियों के माध्यम से सूचना शिक्षा एवं संचार (प्म्ब्) का कार्य कराये जाने के निर्देश दिये है। प्रमुख सचिव ने इस सम्बन्ध में 06 जुलाई, 2021 को प्रदेश के समस्त जिलाधिकारियों को परिपत्र भेजते हुए प्ण्म्ण्ब्ण् के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार आम जनमानस में किये जाने की अपेक्षा की हैं। उन्होने कहा है कि जलजीवन मिशन के अन्तर्गत मार्च 2024 तक हर घर को नल से जल उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए युद्ध स्तर पर कार्यवाही की जा रही है। अनुराग श्रीवास्तव ने परिपत्र मे यह भी कहा है कि जल जीवन मिशन के प्रति आम जनमानस में जागरूकता प्राथमिकता के आधार पर उत्पन्न करना है, उन्होंने इस कार्यक्रम से जनमानस कोे जोड़ने पर जोर दिया है। उन्होंने यह भी कहा है कि प्रत्येक जनपद में जिला पेयजल एवं स्वच्छता समिति के अधीन ( आई0एस0ए0)विभिन्न सपोर्ट गतिविधियों के संचालन हेतु क्रियाशील है। उन्होंने यह भी कहा कि अन्तर-व्यैक्तिक संचार गतिविधि (प्दजमत चतवबमेे बवउउनदपबंजपवद) पूर्वसे ही मौजूद है। इसके अलावा दीवारों पर राइटिंग, सांस्कृतिक गतिविधियों, नुक्कड़ नाटक के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार सुनिश्चित कराया जाय।

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पुलिस, प्रशासन और आबकारी की संयुक्त टीम करेगी अभियान का संचालन

उत्तर प्रदेश में विगत माह जनपद अलीगढ़ में अवैध शराब के सेवन से कोई जनहानि एवं भारी मात्रा में अवैध मदिरा की  बरामदगी के दृष्टिगत अवैध एवं कच्ची मदिरा के निर्माण व बिक्री रोकने के लिए आबकारी विभाग की टीम द्वारा प्रत्येक जनपद में 07 जुलाई से 13 जुलाई तक एक सप्ताह का विशेष अभियान चलाने का निर्णय लिया गया है। यह जानकारी देते हुए अपर मुख्य सचिव आबकारी, श्री संजय आर. भूसरेड्डी ने बताया कि अवांछित लोग अनियमित ढंग से कच्ची शराब को घरों में बनाने का कार्य करते हैं, जिसे प्रभावी रूप से रोका जाना आवश्यक है। इसके लिए यह अभियान चलाया जा रहा है, ताकि किसी भी रूप में अवैध और कच्ची शराब का निर्माण व बिक्री न हो सके। भूसरेड्डी ने बताया कि इस संबंध में समस्त जनपदों में  आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिये गये हैं। उन्होंने बताया कि इस अभियान के लिए आबकारी विभाग की टीम को जिला स्तर पर आवश्यकतानुसार पुलिस विभाग भी सहयोेग प्रदान करेगा, जिससे प्रत्येक दशा में अवैध कच्ची शराब का निर्माण, बिक्री एवं उसके परिवहन पर प्रभावी रोक लगायी जा सके। अपर मुख्य सचिव ने बताया कि जिलाधिकारी के माध्यम से पुलिस, प्रशासन एवं आबकारी की संयुक्त टीमों का गठन कराया जाय तथा आवश्यकतानुसार प्रवर्तन इकाईयों द्वारा इन टीमों को सहयोग प्रदान किया जाय। ये टीमें अवैध शराब एवं नारकोटिक्स के कुख्यात अड्डों पर निरन्तर छापेमारी कर अवैध कारोबार को समूल नष्ट करें तथा पकड़े गये आरोपियों पर आईपीसी सहित अन्यान्य अधिनियमों की कठोरतम धाराओं में कार्यवाही सुनिश्चित करें। अवैध एवं जहरीली मदिरा के विरुद्ध प्रिन्ट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार करते हुए जनसामान्य में मिथाइल के घातक विष होने एवं उससे निर्मित अवैध मदिरा के सेवन से मृत्यु होने संबंधी जागरूकता फैलायें। असेवित क्षेत्रों में सतर्क दृष्टि रखी जाय तथा बन्द पड़ी फैक्ट्रियों व प्लाण्टों पर विशेष निगरानी रखी जाय। आर0ओ0 प्लाण्ट्स की भी निगरानी की जाय ताकि छिपकर अवैध मदिरा निर्माण करने की संभावना को समाप्त किया जा सके। राष्ट्रीय एवं राज्य राजमार्गों पर स्थित ढाबों पर विशेष दृष्टि रखी जाय क्योंकि टैंकर्स द्वारा अल्कोहल चोरी की घटना को यही अंजाम दिया जाता है। भूसरेड्डी ने कहा कि आबकारी दुकानों की अत्यंत सतर्कता एवं सूक्ष्मता से निरीक्षण किया जाय तथा इस बात का पूर्ण सार्थक प्रयास किया जाय कि दुकानों से किसी भी स्थिति में मिलावटी या अपमिश्रित मदिरा की बिक्री न हो। दुकानों से जहरीली शराब की बिक्री सर्वाधिक घातक है। ऐसी किसी भी संभावना का शत-प्रतिशत उन्मूलन अनिवार्य है। आप मुख्य सचिव ने आदेश दिया है कि जोन स्तर पर संयुक्त आबकारी आयुक्त, जोन्स तथा प्रभार स्तर पर उप आबकारी आयुक्त, प्रभार इस प्रवर्तन अभियान का नेतृत्व/निर्देशन करेंगे तथा यह सुनिश्चित करेंगे कि अवैध स्रोतों को शत-प्रतिशत समूल नष्ट किया जाय। यदि किसी जनपद में अपेक्षा अनुरूप प्रवर्तन कार्यवाही नहीं की जाती है, तो संबंधित जिला आबकारी अधिकारी के विरुद्ध कठोरतम कार्यवाही की जायेगी।

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राज्य सड़क निधि योजना के अन्तर्गत विभिन्न जनपदों के 44 मार्गों के चालू कार्यों हेतु रू0 39 करोड़ 87 लाख 05 हजार की अवशेष धनराशि की गयी आवंटित

उ0प्र0 के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के निर्देशों के क्रम में राज्य सड़क निधि योजना के अन्तर्गत विभिन्न जनपदों के 44 मार्गों के चालू कार्यों हेतु रू0 39 करोड़ 87 लाख 05 हजार की अवशेष धनराशि का आवंटन किया गया है। इस सम्बन्ध में आवश्यक शासनादेश लोक निर्माण विभाग द्वारा जारी कर दिया गया है। इन 44 चालू कार्यों में जनपद लखीमपुर-खीरी में 07, इटावा में 06, लखनऊ में 05, आजमगढ़ व उन्नाव में 04-04, गाजियाबाद में 03, बरेली, हरदोई, फिरोजाबाद व चित्रकूट में 02-02 तथा मैनपुरी, बाराबंकी, बस्ती, वाराणसी, सहारनपुर, प्रयागराज व चन्दौली में 01-01 कार्य शामिल हैं। जारी शासनादेश में आवंटित धनराशि का उपयोगिता प्रमाण-पत्र बजट मैनुअल के प्राविधानों के अनुसार अनिवार्य रूप से शासन को उपलब्ध कराया जाय तथा अवशेष कार्यों को पूर्ण कराते हुये पूर्णता प्रमाण-पत्र एवं फोटोग्राफ्स शासन को प्रेषितकराया जाय। शासनादेश में यह भी निर्देश दिये हैं कि इन कार्यों में वित्तीय नियमों का अक्षरसः अनुपालन सुनिश्चित किया जाय तथा जारी शासनादेशों में उल्लिखित दिशा-निर्देशों का अनुपालन हर हाल में सुनिश्चित किया जाय।

पीएम कुसुम योजनान्तर्गत प्रदेश के 22 हजार से अधिक किसान सोलर पम्प लगाकर हो रहे हैं लाभान्वित

भारत सरकार किसानों को हर तरह की सुविधा फसलोत्पादन के लिए दे रही है। देश के प्रधानमंत्री जी ने किसान ऊर्जा सुरक्षा और उत्थान महाअभियान यानी कुसुम योजना का ऐलान किया था। जिसके अन्तर्गत किसानों को अपनी भूमि पर सौर ऊर्जा से संचालित पम्प लगाने हेतु अनुदान दिये जाने की व्यवस्था है। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में इस योजना को लागू करते हुए किसानों को लाभान्वित किया जा रहा है। इस योजना के अंतर्गत किसानों को खेतांे में फसलों की सिंचाई के लिए सोलर पम्प स्थापित कराए जाने का प्राविधान किया गया है। प्रदेश सरकार की इस कुसुम योजना से बिजली की समस्या एवं किसानों की बिजली पर निर्भरता भी दूर हो रही है। प्रदेश के किसान अपनी खाली व बंजर पड़ी जमीन का इस्तेमाल सौर ऊर्जा के लिए कर सकते हैं। किसान सौर ऊर्जा से उत्पादित बिजली को बेच कर अतिरिक्त आमदनी भी कर सकते हैं। कुसुम योजना के अंतर्गत केन्द्र एवं प्रदेश सरकार मिल कर किसानों को अनुदान के रूप में सोलर पम्प की कुल लागत का 60 प्रतिशत दे रहे हैं। इस योजना के संचालन के लिए कृषि विभाग नोडल नामित है। भारत सरकार के मिनिस्ट्री आफ न्यू एण्ड रिन्यूवेबल एनर्जी के निर्देशानुसार विभिन्न क्षमता के 7.5 एचपी तक के स्टैण्ड एलोन सोलर पम्प की स्थापना पर सरकार 30 फीसदी केन्द्रांश एवं 30 फीसदी राज्यांश के रूप में कुल 60 फीसदी अनुदान की अनुमति प्रदान की है। लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के निर्देश पर प्रदेश सरकार ने राज्यांश बढ़ा कर गाइडलाइन में दिए गए निर्देशानुसार 2 एचपी और 3 एचपी के सोलर पम्प पर अनुदान 30 प्रतिशत के बजाय 45 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है। प्रदेश सरकार की संचालित इस योजनान्तर्गत 1800 वाट 2 एचपी0 डीसी सरफेस सोलर पम्प के लिए किसान को 28376 रूपये देना होगा। 3000 वाट 3 एचपी0 डीसी सरफेस सोलर पम्प के लिए किसानों को 38,882 रूपये तथा 4800 वाट 5 एचपी0 एसी समर्सिबल सोलर पम्प के लिए किसानों को 87020 रूपये देना होगा शेष धनराशि सरकार दे रही है। इस योजनान्तर्गत पम्प के लिए इच्छुक किसान पहले आओ-पहले पाओ की तर्ज पर सोलर पम्प के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। प्रदेश में पी0एम0 कुसुम योजनान्तर्गत मई, 2021 तक 22,605 सोलर पम्पों की स्थापना कराते हुए किसानों को सिंचाई व अन्य विद्युत उपयोग हेतु लाभान्वित किया गया है। किसानों के फसल उत्पादन में सिंचाई हेतु सोलर पम्प बहुत ही सहायक सिद्ध हो रहे हैं।

प्रदेश सरकार स्वच्छ भारत मिशन के अन्तर्गत सामुदायिक शौचालयों का निर्माण कराकर गाँवों को बना रही है स्वच्छ और स्वस्थ

स्वच्छता का सम्बन्ध स्वास्थ्य से जुड़ा होता है। जहाँ सफाई रहती है, वहाँ बीमारियों के कीटाणु नहीं आते और व्यक्ति, परिवार, समाज स्वस्थ रहता है। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के निर्देशन में पंचायतीराज विभाग प्रदेश के समस्त ग्राम पंचायतों में एक-एक सामुदायिक शौचालयों के निर्माण का अमलीजामा पहना रहा है। इन सामुदायिक शौचालयों के निर्माण का मुख्य उद्देश्य है कि जिन लोगों के पास व्यक्तिगत शौचालय नहीं है, वे इसका उपयोग कर सकते हैं। इन सामुदायिक शौचालयों के निर्माण से गाँवों में गन्दगी नहीं होगी और गाँव स्वच्छ रहेंगे। प्रदेश के गोरखपुर जनपद के 1294 ग्र्राम पंचायतों में सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया गया है। 1145 सामुदायिक शौचालयों का जियो टैग किया जा चुका है। 119 सामुदायिक शौचालय का निर्माण अंतिम चरण में है। इस महीने के अंतिम सप्ताह में पूर्ण हो जाएगा। सामुदायिक शौचालयों में पानी की उपलब्धता बनाए रखने के लिए रनिंग वाटर टैंकों का निर्माण कराया गया है। सामुदायिक शौचालयों का निर्माण ग्राम पंचायत की भूमि पर ऐसे स्थान पर बनाया जा रहा है जहाँ लोग उपयोग कर सकें। अक्सर गॉवों में वर्षात, ठन्डी, कुहरा या गर्मी जहाँ फसले कटने के बाद जमीन खाली रहने के कारण लोग शौचालय नहीं जाते, पेट खराब होने, जैसी तत्काल शौचालय की आवश्यकता पड़ने पर यह शौचालय उपयोग में आता है। गाँवों के लोगों को शौचालय की पूरी सुविधा देने के लिए ही प्रदेश सरकार सामुदायिक शौचालयों का निर्माण करा रही है। प्रदेश सरकार ने सामुदायिक शौचालयों में स्वच्छता बनाए रखने और रखरखाव का दायित्व राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन में गठित महिला स्वयं सहायता समूह को दिया गया है। यह महिला स्वयं सहायता समूह हर गाँव में एक महिला केयर टेकर की नियुक्ति भी करेगा। जिसे 06 हजार रू0 मासिक मानदेय दिया जायेगा। इन्हीं महिला केयर टेकर के पास शौचालय का मेंटीनेंस का जिम्मा भी होगा, जिसके रखरखाव सामग्री आदि हेतु 03 हजार रू0 अतिरिक्त दिया जायेगा। जहां पर यह समूह गठित नहीं है, वहां की ग्राम पंचायत में सफाई कर्मी की नियुक्ति कर देखरेख किया जायेगा। शौचालय की सफाई व्यवस्था बनाए रखने और रखरखाव के लिए ग्राम पंचायत हर माह तीन हजार रूपये भी महिला स्वयं सहायता समूह को अतिरिक्त के रूप में दिया जायेगा। यह धनराशि 15वें वित्त आयोग से ग्राम पंचायतें खर्च करेंगी और दो किस्तों में प्रदान किया जाएगा। सामुदायिक शौचालयों का सिर्फ वही ग्रामीण इस्तेमाल कर सकेंगे जिनके घर शौचालय नहीं हैं। सामुदायिक शौचालय शुरू हो जाने से गाँव के बाहर होने वाली गंदगी पर लगामलगेगी।

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