By अनन्या मिश्रा | Nov 02, 2024
भाई दूज का पर्व भाई-बहन के खूबसूरत रिश्ते को दर्शाता है। मान्यता है कि इस दिन जो भी भाई अपनी विवाहित बहन के घर जाकर उनसे टीका करवाते हैं और बहनें अपने हाथ से बना खाना भाई को खिलाते हैं। उन्हें शुभ फल की प्राप्ति होती है और भाई के जीवन में सुख-समृद्धि और धन-धान्य का आगमन होता है। वहीं जिन बहनों की शादी नहीं हुई, वह अपने घर में ही भाई को टीका कर भाई दूज का पर्व मनाती हैं।
बता दें कि हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। इस बार 03 नवंबर को भाई दूज का पर्व मनाया जा रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर भाई दूज का पर्व क्यों मनाया जाता है और इस पर्व की क्या कहानी है।
भाई दूज की कहानी
पौराणिक कथा के अनुसार, सूर्य भगवान की पत्नी का नाम संज्ञा था। उनके दो बच्चे यमराज और यमुना थे। यमुना अपने भाई यमराज से बहुत प्यार करती थीं। यमुना बार-बार अपने भाई यमराज से घर आकर भोजन करने का निवेदन करती थीं। लेकिन काम में व्यस्त होने के कारण यम देव कभी बहन यमुना के घर नहीं जा पाते थे। लेकिन एक दिन यमुना ने एक बार फिर कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यमराज से घर आकर भोजन करने का निमंत्रण दिया। इस बार यमराज ने अपनी बहन से उनके घर जाने का वादा किया।
बहन यमुना के घर जाते हुए यमराज ने नर्क में रहने वाले जीवों को मुक्त कर दिया। जब यमदेव अपनी बहन यमुना के घर पहुंचे, तो वह बहुत खुश हुईं। उन्होंने अपने भाई का पूजन कर टीका किया और उन्हें तरह-तरह के व्यंजन खिलाएं। बहन की इस आवभगत से खुश होकर उन्होंने यमुना से वर मांगने के लिए कहा। जिस पर देवी यमुना ने कहा कि अब से वह इस दिन हर साल उनके घर आएं। यमराज ने तथास्तु कहकर अपनी बहन से विदा ली। मान्यता है कि तभी से भाई दूज का पर्व मनाने की परंपरा की शुरूआत हुई।
भाई दूज का महत्व
बता दें कि हिंदू धर्म में भाई दूज के पर्व का विशेष महत्व होता है। इस पर्व को यम द्वितीया और भ्राता द्वितीया भी कहा जाता है। देश के अलग-अलग हिस्सों में इस पर्व को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन भाई-बहन यमुना में एक साथ स्नान करते हैं, तो उनको शुभ फल मिलता है। वहीं बहनों को इस दिन अपने भाई को अपने हाथ से भोजन जरूर कराना चाहिए। भाई दूज के लिए भाई को तिलक करने से पहले यमुना, यमराज और यमदूतों की भी पूजा की जाती है।