सेवा क्षेत्र में सबसे तेज गति से बढ़ती माँग अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत

By प्रह्लाद सबनानी | Dec 08, 2021

मार्च 2020 के बाद कोरोना महामारी की प्रथम एवं दूसरी लहर के दौरान देश के नागरिकों ने न केवल स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं का सामना किया बल्कि देश की अर्थव्यवस्था में भी भारी कमी देखने में आई जिसके चलते कई नागरिकों ने अपना रोजगार खोया एवं आर्थिक समस्याओं का सामना किया। परंतु, केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर लिए गए कई निर्णयों के चलते एवं भारतीय संस्कारों के बीच देश के नागरिकों ने इस बुरे समय का बहुत ही हिम्मत के साथ सामना किया एवं न केवल स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं, साथ ही आर्थिक समस्याओं के प्रभाव को भी कम करने में सफलता पाई थी। अब, जब विशेष रूप से कोरोना महामारी की दूसरी लहर का प्रभाव कम होता जा रहा है तब इसके बाद भारत में आर्थिक गतिविधियों में लगातार सुधार दृष्टिगोचर है एवं आर्थिक मोर्चे पर लगातार अच्छी खबरों का आना जारी है। 

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कोरोना महामारी के दौरान देश का उद्योग एवं सेवा क्षेत्र सबसे अधिक विपरीत रूप से प्रभावित हुआ था। यातायात, होटल, पर्यटन एवं निर्माण के क्षेत्र तो लगभग बंद ही हो गए थे। इन क्षेत्रों में रोजगार के अवसर सबसे अधिक प्रभावित हुए थे। उक्त क्षेत्र आज भी पूरे तौर पर उबर नहीं पाए हैं। आज देश में कोरोना महामारी के पूर्व के अर्थव्यवस्था के स्तर के 95.6 प्रतिशत भाग को प्राप्त कर लिया गया है परंतु व्यापार, होटल, यातायात, संचार एवं ब्रॉड्कास्टिंग से संबंधित सेवा क्षेत्र में अभी भी केवल 80 प्रतिशत के स्तर को ही प्राप्त किया जा सका है। परंतु, अब हम सभी के लिए हर्ष का विषय है कि अक्टूबर 2021 एवं नवम्बर 2021 माह में मांग के बढ़ने से सेवा क्षेत्र में भी गतिविधियां तेजी से आगे बढ़ी हैं। चीन एवं जापान के बाद एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, भारत में, सेवा क्षेत्र में पिछली तिमाही में मांग सबसे तेज गति से आगे बढ़ी है। यह देश में कोरोना टीकाकरण के कार्यक्रम में आई तेजी एवं केंद्र सरकार द्वारा अपने खर्चों में की गई बढ़ोतरी के चलते सम्भव हो पाया है। इसी गति को आगे बढ़ाते हुए सर्विसेज परचेसिंग मैनेजर्स इंडेक्स अक्टूबर 2021 एवं नवम्बर 2021 माह में क्रमशः 58.4 एवं 58.1 के स्तर पर बना रहा है। 58.4 का स्तर तो किसी भी माह में, पिछले दस वर्षों के दौरान, दूसरे स्थान पर सबसे अधिक पाया गया है। इस इंडेक्स का 50 के स्तर से अधिक होने का तात्पर्य वृद्धि होने के संकेत के रूप में माना जाता है।


अक्टूबर 2021 माह में विभिन्न त्योहारों के दौरान देश के इतिहास में प्रथम बार क्रेडिट कार्ड के माध्यम से एक लाख करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च की गई है। अक्टूबर 2021 माह में क्रेडिट कार्ड के माध्यम से सितम्बर 2021 (80,477 करोड़ रुपए) की तुलना में 25 प्रतिशत एवं अक्टूबर 2020 (64,892 करोड़ रुपए) की तुलना में 56 प्रतिशत अधिक खर्च किया गया है। जबकि कोरोना महामारी के पूर्व के समय में जनवरी 2020 एवं फरवरी 2020 माह में क्रमशः 67,402 करोड़ रुपए एवं 62,903 करोड़ रुपए की राशि क्रेडिट कार्ड के माध्यम से खर्च की गई थी। इसका आशय यह है कि देश के नागरिकों द्वारा अब वस्तुओं की क्रय राशि का भुगतान इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से अधिक किया जा रहा है, जोकि देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक अच्छा संकेत है।


भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी प्रतिवेदन के अनुसार, 19 नवम्बर 2021 को समाप्त एक वर्ष के समय में बैंकों की ऋणराशि में 6.97 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। बैंकों की ऋण राशि का स्तर पिछले वर्ष के 104.34 लाख करोड़ रुपए की राशि से बढ़कर 19 नवम्बर 2021 को 111.62 लाख करोड़ रुपए के स्तर पर पहुंच गया है। इसका आशय यह है कि देश की आर्थिक गतिविधियों में तेजी आती दिखाई दे रही है। बैंकों का भी अपना आकलन है कि अक्टूबर एवं नवम्बर माह में त्योहारों के चलते उनके द्वारा विभिन्न क्षेत्रों (कृषि, उद्योग एवं सेवा) में प्रदान किए जाने वाले ऋणों की गतिविधियों में तेजी आई है। 

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उधर विदेशी व्यापार के मोर्चे पर भी लगातार सुधार दिखाई दे रहा है। हालांकि अब भारत से निर्यात की तुलना में आयात अधिक तेजी के साथ बढ़ रहे हैं, इससे देश के चालू खाता घाटा पर दबाव दिखाई देने लगा है। नवम्बर 2021 माह में देश से निर्यात 26.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए 2,988 करोड़ अमेरिकी डॉलर के रहे जबकि देश में आयात 57.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए 5,315 करोड़ अमेरिकी डॉलर के रहे। इस प्रकार नवम्बर 2021 माह में चालू खाता घाटा 2,327 करोड़ अमेरिकी डॉलर का हो गया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भावों में आई तेजी, त्योहारों के दौरान स्वर्ण के आयात में तेजी एवं देश में आर्थिक गतिविधियों में आई तेजी के कारण नवम्बर 2021 माह में आयात में बहुत अधिक वृद्धि दृष्टिगोचर हुई है।


एक आकलन के अनुसार, केंद्र सरकार एवं कुछ राज्य सरकारों द्वारा जिस रफ्तार से पूंजीगत खर्चे किए जा रहे हैं, यह इस वर्ष के अंत तक कोरोना महामारी के पूर्व (वित्तीय वर्ष 2020) के स्तर को पार करते हुए 12 प्रतिशत आगे निकल जाएंगे। यह देश के लिए एक अच्छी खबर है। क्रिसिल द्वारा जारी एक प्रतिवेदन के अनुसार, भारत पूंजीगत खर्चों के मामले में कोरोना महामारी के प्रभाव से बहुत जल्दी बाहर निकल आया है। केंद्र सरकार के पूंजीगत खर्चे तो 31 प्रतिशत अधिक हो रहे हैं, अब समस्त राज्य सरकारों को भी केंद्र सरकार के साथ कदमताल करते हुए इस मामले में आगे बढ़ना जरूरी है। 

 

-प्रह्लाद सबनानी 

सेवानिवृत्त उप महाप्रबंधक

भारतीय स्टेट बैंक

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