By रेनू तिवारी | Dec 11, 2021
एक साल से अधिक समय के विरोध प्रदर्शन के बाद दिल्ली की सीमाओं पर जमा हुए किसान अब अपने घर जाने की तैयारी कर रहे हैं। आंदोलनकारी किसानों को उनकी लंबित मांगों पर विचार करने के लिए केंद्र से एक औपचारिक पत्र प्राप्त होने के बाद इस सप्ताह के शुरू में आधिकारिक तौर पर विरोध प्रदर्शन बंद करने का ऐलान कर दिया गया। प्रदर्शनकारियों ने घोषणा की थी कि वे शनिवार सुबह करीब नौ बजे बॉर्डर खाली कर देंगे और उन्होंने ऐसा ही किया। किसानों ने बॉर्डर खाली कर दिए हैं।
केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ साल भर से चल रहा किसान आंदोलन खत्म
केंद्र की सहमति के बाद कई किसानों ने पहले ही विरोध स्थलों को खाली कर दिया था लेकिन सिंघू सीमा पर, कई लोगों को शुक्रवार को उनके द्वारा बनाए गए अस्थायी आवासों को तोड़ने के लिए लंबे समय तक काम करते हुए भी देखा गया था। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने कृषि समूहों के एक छत्र निकाय ने गुरुवार को विरोध प्रदर्शन बंद कर दिया था, यह घोषणा करते हुए कि किसान 11 दिसंबर को विजय मार्च में घर वापस जाएंगे। हालांकि आंदोलनकारी 15 जनवरी को एक समीक्षा बैठक बुलाएंगे।
किसान विरोध की ताजा अपडेट
पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह करेंगे किसानों का भव्य स्वागत
पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने शुक्रवार को कहा कि राज्य सरकार दिल्ली की सीमाओं से ‘‘विजयी’’ वापसी पर अपनी ‘‘माटी के बेटों’’ का स्वागत करेगी। किसानों, कृषि मजदूरों और संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं को बधाई देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह लोगों की जीत है और समाज के विभिन्न वर्गों की एकता ने मोदी सरकार को ‘‘कठोर काले कानूनों’’ को वापस लेने पर मजबूर कर दिया।
चन्नी ने कहा कि उन्होंने लगभग एक साल तक किसानों की मांगों पर ध्यान नहीं दिया लेकिन अब भारतीय जनता पार्टी के नेता ‘‘किसानों की जीत को भुनाना’’ चाहते हैं और इसे पंजाब में चुनावी कार्ड के तौर पर इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि देश के किसान और लोग एक साल से अधिक समय तक उनके धैर्य की परीक्षा लेने के लिए मोदी सरकार तथा उसके नेताओं को कभी माफ नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि यह जीत किसानों के लिए आसान नहीं रही, क्योंकि आंदोलन के दौरान 700 से अधिक किसानों ने अपना बलिदान दिया।
चन्नी ने कहा कि सरकार हमेशा किसानों और मजदूरों के साथ खड़ी रही है और उनके ‘‘ऐतिहासिक’’ और ‘‘अच्छे’’ काम में उनकी हरसंभव मदद की है। उन्होंने कहा कि सरकार ने उन करीब 350 किसानों के परिवार के सदस्यों को नौकरियां तथा वित्तीय सहायता दी जिन्होंने आंदोलन के दौरान जान गंवा दी और बाकी के परिवारों को भी जल्द ही मुआवजा दिया जाएगा।