किसान भी समझ गये कर्जमाफी का खेल, कर्ज के पैसे का हो रहा दुरुपयोग

By डॉ. वेदप्रताप वैदिक | Dec 21, 2018

तीन हिंदी प्रदेशों में चुनाव जीतने से ही तीनों कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों ने किसानों की कर्जमाफी कर दी है। इस कर्जमाफी से इन तीनों सरकारों पर लगभग 50 हजार करोड़ का बोझ आन पड़ा है। कर्जमाफी के इस वादे ने ही कांग्रेसी जीत की नींव रखी है। मप्र, राजस्थान और छत्तीसगढ़- ये तीनों कृषि-प्रधान प्रांत हैं। किसानों ने कांग्रेस को जमकर वोट दिए हैं। तीनों मुख्यमंत्रियों ने शपथ लेते ही जो कर्जमाफी की घोषणा कर दी, इसने कांग्रेस की छवि आम नागरिकों के मन में चमका दी है। लोगों के मन में यह धारणा बन रही है कि कांग्रेसी जो कहते हैं, वह करते हैं जबकि भाजपा नेता सिर्फ जुमलेबाजी करते हैं ? 

 

इसे भी पढ़ेंः कर्जमाफी से अर्थव्यवस्था पर पड़ता है विपरीत प्रभाव, स्थायी हल कोई नहीं निकालता

 

लेकिन यहां पहला सवाल उठता है कि ये तीनों राज्य इस 50-60 हजार करोड़ रु. की राशि लाएंगे कहां से ? अपने बजट में ये मुख्यमंत्री क्या काटेंगे और क्या जोड़ेंगे ? भाजपा की केंद्र सरकार तो इनको कोई टेका लगाने वाली नहीं है ? इसके अलावा एक सवाल यह भी है कि ज्यादातर किसान बैंकों तक पहुंच ही नहीं पाते। वे तो अपने गांवों के सूदखोरों के कर्जदार बने रहते हैं। उनका कर्ज माफ कैसे होगा ? नीति आयोग का कहना है कि कर्जमाफी का लाभ मुश्किल से 10-15 प्रतिशत किसानों को ही मिल पाता है। पिछले 15-20 साल से कर्जमाफी के इस रामबाण को सभी पार्टियां चला रही हैं लेकिन क्या देश के किसानों की गरीबी दूर हो रही है ? उनकी गरीबी दूर हो न हो, कर्जमाफी का वादा इतना बड़ा लालच है कि उसके कारण नेताओं की गरीबी दूर हो जाती है। वे वोटों की फसल काट ले जाते हैं।

 

इसे भी पढ़ेंः चुनाव करीब आते ही जातिगत और धार्मिक मुद्दे हावी होते जा रहे हैं

 

मनमोहन सिंह सरकार ने 2008-09 में 70 हजार करोड़ के कर्ज माफ करके अपनी वापसी पक्की करा ली थी। इसलिए अब राहुल गांधी ने कहा है कि यदि मोदी ने माफ नहीं किया तो 2019 में हम माफ करेंगे। इसमें शक नहीं कि कर्जमाफी के कारण हजारों किसान आत्महत्या करने से रुकेंगे लेकिन हम यह भी न भूलें कि कई किसान इस कर्ज का उपयोग खेती पर करने की बजाय मकान बनाने, कार और बाइक खरीदने और दिखावे पर ज्यादा करते हैं। किसानों को तात्कालिक राहत मिले, इस दृष्टि से एकाध बार कर्जमाफी ठीक है लेकिन उनकी दशा वास्तव में सुधारना हो तो उनकी उपज के लिए कठोर दाम बांधो नीति और फसल बीमा होना चाहिए। उनके लिए बीज, खाद और सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए। यदि यह सब हो तो आखिर किसान का भी स्वाभिमान होता है। वह आपसे कर्ज लेगा ही क्यों ?

 

- डॉ. वेदप्रताप वैदिक

 

प्रमुख खबरें

PM Narendra Modi के कुवैत दौरे पर गायक मुबारक अल रशेद ने गाया सारे जहां से अच्छा

Christmas Decoration Hacks: क्रिसमस सजावट के लिए शानदार DIY हैक

Delhi Water Crisis| यमुना में बढ़ा Ammonia का स्तर, कई इलाकों में हुई पानी की कमी

Pegasus Spyware मामले पर अमेरिकी कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला, Randeep Singh Surjewala ने मोदी सरकार को घेरा