शिव भक्त हैं तो जरूर दर्शन करें लखनऊ शहर के प्रसिद्ध शिवालयों के

By विंध्यवासिनी सिंह | Oct 30, 2020

भगवान शिव के विषय में यह बात प्रचलित है कि वो बहुत जल्दी अपने भक्तों से प्रसन्न हो जाते हैं। उन्हें प्रसन्न करने के लिए किसी विशेष आयोजन की जरुरत भी नहीं पड़ती है। कोई सच्चा भक्त अगर सोमवार के दिन सच्चे मन से भगवान शिव की आराधना ही कर ले तो उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है। यही कारण है कि हर शहर में, गाँव में छोटा-बड़ा शिवालय आपको मिल ही जायेगा।

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ऐसे में आज हम आपको नवाबों के शहर लखनऊ स्थित शिवालयों के बारे में बताएंगे, जिनकी महिमा अपरम्पार है।


श्री 'कोनेश्वर महादेव'

लखनऊ के गोमती नदी के तट पर 'कौण्डिन्य घाट' है, जिसे कुड़िया घाट भी कहा जाता है। यह स्थान प्राचीन समय में कौण्डिन्य ऋषि का आश्रम था, इसलिए इसे कौण्डिन्य घाट के नाम से जाना जाता है। ऋषि के आश्रम के पास ही 'कोनेश्वर महादेव' का मंदिर स्थित है। इस मंदिर को स्थानीय लोग को 'कोनेश्वर शिवाला' के नाम से जानते हैं। कहा जाता है कि यह शिवाला स्वयंभू शिवलिंग वाले शिव का स्थान है और इस मंदिर में स्थित शिवलिंग सदियों पुराना है। इस मंदिर का शिवलिंग जमीन के नीचे भी उतना ही धंसा हुआ है, जितना ऊपर दिखता है। इसके साथ ही यह खंडित शिवलिंग अपनी प्राचीनता और भव्यता की गाथा स्वयं बताता है।


बड़ा शिवाला

लखनऊ के रानी कटरा स्थित बड़ा शिवाला शिव भक्तों को अपनी ओर बखूबी आकर्षित करता है। बता दें कि रानी कटरा हिंदुओं की घनी आबादी वाला क्षेत्र है और यहीं कश्मीरियों द्वारा निर्मित यह मंदिर भी है जिसे 'बड़ा शिवाला' के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में स्थित सहस्त्र लिंग प्रतिमा सारे भारत में कहीं और आपको देखने को नहीं मिलेगी। वहीं कश्मीरी लोगों द्वारा निर्मित किए जाने की वजह से इस मंदिर के प्रांगण में आपको 'संकटा देवी', जो कि कश्मीरियों की आराध्य देवी हैं, उनकी भी एक प्रतिमा दिखेगी और ठाकुर द्वारे में शिव-पार्वती की प्रतिमा स्थापित की गई है। इस मंदिर को लेकर कहा जाता है कि यह 9वीं सदी से पहले का निर्मित है।


मनकामेश्वर मंदिर

गोमती नदी के ही तट पर बायीं तरफ मनकामेश्वर महादेव के मंदिर की स्थापना की गई है। यह मंदिर बेहद प्राचीन है और इसकी महत्ता भी इसीलिए बहुत है। इस मंदिर के शिखर पर 33 स्वर्ण कलश स्थापित किए गए हैं, तो वहीं इस मंदिर की स्थापना के विषय में कहा जाता है कि प्राचीन समय में राजा हिरण्यधनु ने जब अपने शत्रु पर विजय प्राप्त की तो उसी की खुशी में उन्होंने 'मनकामेश्वर मंदिर' की स्थापना की।  


देवरानी-जेठानी शिवाला

लखनऊ में स्थित इन दोनों शिवालयों को लेकर लोगों में बहुत क्रेज है और कहा जाता है कि इन दोनों मंदिरों का निर्माण किसी राजघराने की दो बहुएं जो आपस में देवरानी-जेठानी लगती थीं, ने करवाया। इसी कारण इस मंदिर का नाम 'देवरानी-जेठानी' शिवाला पड़ गया। बता दें कि यह मंदिर मोहान रोड के बाएं और सरोसा-भरोसा नाम के मशहूर गांव में है। इसके पास ही नकटी बावली है और उसी के पीछे इस सुंदर शिव-मंदिर का निर्माण कराया गया है।

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सिद्धनाथ जी का शिवाला

सिद्धनाथ मंदिर को लेकर कहा जाता है कि यह मंदिर मनोकामना को पूर्ण करने वाला मंदिर है। इस मंदिर में जो भी सच्चे मन से अपनी मनोकामना मांगता है और महामृत्युंजय का जाप करता है तो उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है। यह मंदिर रकाबगंज से नक्खास जाने वाली नादान महल रोड पर स्थित है। इस मंदिर में लगे शिवलिंग के बारे में कहा जाता है कि यह शिवलिंग लंबे समय से भूमिगत था जिस पर लोगों की नजर पड़ी और स्वयंभू शिवलिंग को स्वयंभू विग्रह की तरह स्थापित कर दिया गया। तभी से यह मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है।


इन मंदिरों के अलावा भी लखनऊ में आपको कई शिव मंदिर मिलेंगे, जिनमें लोगों की आस्था अपरम्पार है। इनमें प्रमुख नाम हैं श्री बुद्धेश्वर महादेव, श्रीकल्याणगिरि मंदिर, महाराजा बालकृष्ण का शिवाला, सोनी शाह का शिवाला आदि। 


तो अगर आप लखनऊ जाएँ तो इन शिव मंदिरों में दर्शन-पूजन करना न भूलें।


विंध्यवासिनी सिंह

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