By अभिनय आकाश | Apr 11, 2025
मध्य प्रदेश के दमोह से एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसने पूरे देश को चौंका दिया है। मध्य प्रदेश के दमोह के फर्जी हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर नरेंद्र जॉन कैम को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले से गिरफ्तार किया गया। नरेंद्र जॉन कैम को पांच दिन की पुलिस रिमांड में भेजा गया। लेकिन आपको हैरानी होगी कि उसने न केवल मध्य प्रदेश में अपने नियोक्ता को बेवकूफ बनाया, बल्कि कुछ मेडिकल पत्रिकाओं को भी ठगा। उसने भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म पुरस्कार प्राप्त करने की महत्वाकांक्षा भी पाल रखी थी। 2020 और 2022 में प्रकाशित कम से कम दो शोध लेख नकल करके बनाए गए थे। दोनों लेखों का लगभग पूरा टेक्स्ट, डायग्राम और चार्ट सालों पहले प्रकाशित शोध पत्रों से चुराए गए थे। यादव ने जिन दो शोध पत्रों से सामग्री चुराई थी, वे क्रमशः 2016 और 2011 में प्रकाशित हुए थे। यादव जैसी हिम्मत बहुत कम लोगों में होगी। गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध रिकॉर्ड के अनुसार, 2020 में दिव्या रावत (एक अनिवासी भारतीय) नामक महिला ने पद्म पुरस्कारों के लिए “नरेंद्र जॉन कैम” की सिफारिश की थी। आवेदन में उनका निवास स्थान दिल्ली बताया गया था।
दमोह के फर्जी डॉक्टर का कैसे हुआ पर्दाफाश
पुलिस ने यादव के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) और मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल एक्ट की कई धाराओं के तहत आरोप दर्ज किए हैं, जिसमें उन पर जालसाजी, अनधिकृत चिकित्सा पद्धति और मरीजों की मौत में संभावित संलिप्तता का आरोप लगाया गया है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एम. के. जैन द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत में आरोप लगाया गया है कि यादव या कैम ने मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल में पंजीकृत हुए बिना एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी प्रक्रियाएं कीं। डॉ. जैन की जांच में कैम की साख में गंभीर खामियां सामने आईं। मिशन अस्पताल द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों में "आवश्यक पंजीकरण विवरण" गायब पाए गए। चूंकि मध्य प्रदेश में किसी भी डॉक्टर को उचित पंजीकरण के बिना अभ्यास करने की अनुमति नहीं है, इसलिए इन दस्तावेजों की अनुपस्थिति ने कैम की योग्यता के बारे में और चिंताएं पैदा कर दीं। डॉ. जैन ने औपचारिक रूप से पुलिस से कार्रवाई करने का अनुरोध किया।
फर्जी मेडिकल लाइसेंस, हार्ट सर्जरी के बाद मरीजों की मौत
यह जांच कलेक्टर सुधीर कोचर के निर्देशन में शुरू की गई थी। डॉ. एम.के. जैन, जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. विशाल शुक्ला और जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. विक्रांत सिंह चौहान की तीन सदस्यीय टीम ने जांच की। उन्होंने पाया कि कैम द्वारा की गई प्रक्रियाओं के बाद कई मरीजों की मौत हो गई थी और उनकी योग्यता में महत्वपूर्ण विसंगतियां सामने आईं। जब जांच दल ने मिशन अस्पताल में कैम को खोजने का प्रयास किया, तो उन्हें बताया गया कि उन्होंने इस्तीफा दे दिया है। उनके प्रमाण-पत्रों की आगे की जांच से पता चला कि आंध्र प्रदेश मेडिकल काउंसिल से उनके प्रमाण-पत्र पर पंजीकरण संख्या अमान्य थी, जिसका ऑनलाइन डेटाबेस में कोई मिलान रिकॉर्ड नहीं था, जिससे उनकी योग्यता पर गंभीर संदेह पैदा हुआ।