पहले नहीं हैं फडणवीस, जब शिंदे कर रहे थे CM बनने का इंतजार और कुर्सी विलास राव देशमुख को मिल गई थी

By अभिनय आकाश | Jul 01, 2022

राजनीति बहते पानी की तरफ है। इसमें कब बहाव का रूख किस तरफ हो जाए कहा नहीं जा सकता। ये अचानच के किसी को अर्श पर पहुंचा देता है तो किसी को फर्श पर। उद्धव सरकार के अस्त से शिंदे सरकार के उदय तक की कहानी के मुख्य किरदार देवेंद्र फडणवीस कल के बारे में कल तक यही माना जा रहा था कि मुख्यमंत्री के रूप में उनकी ताजपोशी जत है। लेकिन शिवसेना के बागी एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री पद सौंपे जाने की घोषणा ने हर किसी को चौंका दिया। पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का उप-मुख्यमंत्री बनना फडणवीस के साथ ही उनके समर्थकों को भी असहज कर रहा है। होना भी लाजिमी है। साल 2014 से 2019 तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में काम कर चुके देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में ही 2019 का विधानसभा चुनाव लड़ा गया था। राज्य में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी भी थी। लेकिन ऐन वक्त पर पीएम मोदी के पोस्टर लगाकर वोट मांगने वाली शिवसेना ने 56 सीटें हासिल करने के बाद ढाई-ढाई साल के सीएम वाले फॉर्मूले की बात पर गठबंधन तोड़ लिया और कांग्रेस-एनसीपी के साथ महाविकास अघाड़ी बनाकर सीएम पद संभाल लिया। 

इसे भी पढ़ें: उद्धव ठाकरे का एकनाथ शिंदे पर बड़ा हमला, सत्ता के लिए किया गया रातों रात खेल, मेरे दिल से महाराष्ट्र को कोई नहीं निकाल सकता

ठीक ढ़ाई साल बाद सूबे में बदलते घटमाक्रम और शिवसेना के खेमे में बगावत की आग तले महाविकास अघाड़ी सरकार का पतन हो गया। जिसके बाद से ही 2019 में सीएम बनते-बनते रह जाने वाले फडणवीस के नाम पर किसी को संशय नहीं था। लेकिन फडणवीस के सीएम बनने और राजनीतिक सफर को लेकर प्रोफाइल स्टोरी तैयार कर रखी भी जाने लगी। शिंदे की ताजपोशी से राजनीतिक विश्लेषक से लेकर तमाम पत्रकार भी इससे हैरान हो गए। लेकिन यह महाराष्ट्र और देश की राजनीति में पहली घटना नहीं है। आज से ठीक 18 साल पहले भी महाराष्ट्र की सियासत में ऐसा ही कुछ नजारा देखने को मिला था। उस वक्त इस घटनाक्रम केंद्र में कांग्रेस के दो दिग्गज नेता सुशील कुमार शिंदे और विलास राव देशमुख थे। 

इसे भी पढ़ें: कमान संभालते ही फडणवीस ने पलटा उद्धव सरकार का फैसला, अब आरे कॉलोनी में बनेगा मेट्रो कार शेड

कांग्रेस के नेता विलास राव देशमुख को 1999 के चुनावों में पार्टी की जीत के बाद पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी मिली। लेकिन अंतर्कलह के कारण विलासराव को मुख्यमंत्री की कुर्सी बीच में ही छोड़नी पड़ी थी। सुशील कुमार शिंदे को उनकी जगह मुख्यमंत्री बनाया गया। शिंदे के नेतृत्व में महाराष्ट्र चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहा। मुख्यमंत्री के रूप में सुशील कुमार शिंदे की ताजपोशी को लेकर किसी के मन में कोई शक या सवाल नहीं थे। यहां तक की मीडिया में भी शिंदे समर्थकों की तरफ से दावे किए जाने लगे थे। लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी विलासराव देशमुख को मिली। उस वक्त कांग्रेस के इस फैसले ने हर किसी को चौंका दिया था। जिसके बाद महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिंदे को आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया था।  


प्रमुख खबरें

PM Narendra Modi कुवैती नेतृत्व के साथ वार्ता की, कई क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा हुई

Shubhra Ranjan IAS Study पर CCPA ने लगाया 2 लाख का जुर्माना, भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने है आरोप

मुंबई कॉन्सर्ट में विक्की कौशल Karan Aujla की तारीफों के पुल बांध दिए, भावुक हुए औजला

गाजा में इजरायली हमलों में 20 लोगों की मौत