Risk of Stroke: स्ट्रोक की वजह से हर साल 50 लाख लोग गवां रहे जान, जानिए लक्षण और इलाज

By अनन्या मिश्रा | Oct 29, 2024

स्ट्रोक एक तरह की मेडिकल इमरजेंसी है। इस स्थिति में ब्रेन के किसी हिस्से में खून का प्रवाह कम हो जाता है, जिसको हम इस्केमिक स्ट्रोक कहते हैं। या फिर नस के खटने से रक्त का बहाव होता है। इस स्थिति को ब्रेन हैमरेज कहा जाता है। स्ट्रोक को सामान्य भाषा में मस्तिष्क आघात या फिर ब्रेन अटैक कहा जाता है। दुनिया में मौत का तीसरा सबसे बड़ा कारण स्ट्रोक होता है।

वहीं स्ट्रोक के कारण बचने वाले लोगों में करीब 50 लाख लोग विकलांग हो जाते हैं। वहीं हर साल दुनियाभर में करीब डेढ़ करोड़ लोगों को स्ट्रोक होता है। वहीं 50 लाख लोगों की इस वजह से मौत भी हो जाती है। ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी होता है कि स्ट्रोक होने का क्या कारण है और इसके बचाव के तरीके क्या हैं।

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स्ट्रोक के कारण

हेल्थ एक्सपर्ट की मानें, तो साल दर साल स्ट्रोक के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इसके होने का मुख्य कारण डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, खराब लाइफस्टाइल, कम फिजिकल एक्टिविटी, शराब, धूम्रपान,  हाई कोलेस्ट्रॉल, हाई ट्राइग्लिसराइड्स, अनहेल्दी खाना और स्ट्रेस होता है। वहीं खून की नसों के कमजोर होकर फटने और ब्रेन की नसों में होने वाली कुछ बीमारियां की वजह से भी स्ट्रोक होने का खतरा बढ़ जाता है।


स्ट्रोक के लक्षण

अगर आप समय रहते आप दिमाग की बीमारी को पहचानकर उसका इलाज कराते हैं, तो इस बीमारी से बचने की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है। स्ट्रोक के 4 शुरूआती लक्षण होते हैं, जिनको FAST कहा जाता है।


F- फेस यानि चेहरे का एक तरफ मुड़ जाना 

A- आर्म वीकनेस यानि किसी हाथ या पैरों में कमजोरी

S- स्पीच की समस्या यानि बोलने में परेशानी, लड़खड़ाहट होना

T- टाइम टू कॉल एंबुलेंस। 


स्ट्रोक से बचाव

बता दें कि ब्रेन में यदि कोई बीमारी या स्ट्रोक हो जाए, तो वहां से इसे रिकवर करना बेहद मुश्किल हो जाता है। ऐसे में यह जानना बहुत जरूरी हो जाता है कि आप ब्रेन स्ट्रोक या दिमाग की बीमारी से कैसे बच सकते हैं। दिमाग हमारे शरीर का सबसे नाजुक अंग होता है। ऐसे में दिमाग में कुछ खराबी होने से जिंदगी भर के लिए मुश्किलें होने लगती हैं।


स्ट्रोक के खतरे से बचने के लिए 30-35 साल के बाद रेगुलर ब्लड प्रेशर चेक करवाना चाहिए।


शुगर की बीमारी होने पर इसे चेक करवा लें और डायबिटीज के मरीजों को शरीर में ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखना चाहिए।


हाई कोलेस्ट्रॉल के मरीजों का यदि ट्राइग्लिसराइड्स बढ़ा हुआ है, तो इसका इलाज कराना और इसको कंट्रोल में रखना बेहद जरूरी होता है। इससे भी स्ट्रोक का खतरा भी कम हो सकता है।


रोजाना एक्सरसाइज करें, आप योगा या फिर वॉक कर सकते हैं।


स्ट्रोक का खतरा कम करने के लिए हेल्दी डाइट लेना, शराब, सिगरेट और धूम्रपान से बचना जरूरी है।


हार्ट की बीमारी के कारण भी कई बार स्ट्रोक आता है। इसलिए हार्ट की बीमारियों से बचाव करें।


MRI के जरिए कभी-कभी दिमाग की नसों को चेक कराते रहें। इससे आपको यह पता चलता रहेगा कि आपके दिमाग की नसें कहीं कमजोर तो नहीं हो रही हैं।

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