राहुल की यात्रा ने जबसे कदम आगे बढ़ाये हैं तबसे उनकी पार्टी पीछे जा रही है

By डॉ. आशीष वशिष्ठ | Mar 01, 2024

राहुल गांधी इन दिनों भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर हैं। बीती 4 जनवरी से पूर्वोत्तर के मणिपुर से शुरू हुई ये यात्रा महाराष्ट्र में जाकर खत्म होगी। यात्रा को लेकर राहुल गांधी और कांग्रेस में भले ही उत्साह हो, लेकिन आम जनमानस में यात्रा को लेकर कोई उत्साह नहीं है। राहुल गांधी ने अपनी यात्रा के उद्देश्य को लेकर घोषणा कुछ भी की हो, लेकिन निश्चित तौर पर इस यात्रा का मकसद उन्हें राजनीतिक तौर पर स्थापित करना है। जहां तक नफरत का माहौल दूर करने की बात है, तो कांग्रेस या किसी भी राजनीतिक दल का परम उद्देश्य यही होना चाहिए। ये देश का मूल मुद्दा है, स्वस्थ समाज के लिए ये जरूरी है कि उसमें किसी भी तरह की नफरत, वैमनस्य, छुआछूत या घृणा ना हो। लेकिन राहुल गांधी यात्रा के दौरान ऐसी बयानबाजी कर देते हैं जो उनकी मोहब्बत की दुकान की नीति और नीयत को संदेह के कटघरे में खड़ा कर देता है।


जहां तक इस यात्रा के जरिए विपक्ष को जोड़ने का सवाल है तो कांग्रेस पार्टी या राहुल गांधी अभी तक इस यात्रा के जरिए विपक्ष को एकजुट करने में बहुत कामयाब नहीं हुए हैं। राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के साथ-साथ कांग्रेस से बाहर निकलने वालों की बाढ़ आ गई है, खासकर दूसरी पीढ़ी के नेताओं की। 14 जनवरी को, जिस दिन यात्रा इंफाल से शुरू हुई, पूर्व करीबी सहयोगी मिलिंद देवड़ा शिवसेना एकनाथ शिंदे गुट में चले गए। 25 जनवरी को यात्रा के असम से रवाना होने के बाद समर्थन बढ़ने की बजाय, दो महिला नेता- असम में अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की महासचिव बिस्मिता गोगोई और राज्य युवा कांग्रेस की पूर्व प्रमुख अंगकिता दत्ता भाजपा में चली गईं। गोगोई पूर्व विधानसभा अध्यक्ष जिबकांत गोगोई की बहू हैं और दत्ता असम कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अंजन दत्ता की बेटी हैं। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण भी भाजपा में षामिल हो चुके हैं। महाराष्ट्र में अशोक चव्हाण के कांग्रेस छोड़ने को बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है। दो बार खुद लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बन चुके अशोक चव्हाण को राज्य के मराठवाडा क्षेत्र का बड़ा नेता माना जाता था। वहीं असम में कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष राजा गोस्वामी ने भी बीते दिनों पार्टी को अलविदा कह दिया है।

इसे भी पढ़ें: उत्तर प्रदेश में डबल इंजन सरकार ‘जंगलराज की गारंटी’ है : Rahul Gandhi

कांग्रेस के सामने पार्टी से छिटक रहे नेताओं को रोकने के अलावा इंडिया गठबंधन से अलग हो रहे राजनीतिक दलों को रोकने की भी चुनौती है। दरअसल लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों के इंडी अलायंस गठबंधन को सबसे बड़ा झटका नीतीश कुमार ने दिया है। जेडीयू ने बिहार में विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के टूटने के लिए कांग्रेस की हठ और अहंकार को जिम्मेदार ठहराया। जेडीयू ने कहा कि कांग्रेस नेता अपनी पार्टी को मजबूत करने में लगे थे, विपक्षी गठबंधन को नहीं। पश्चिम बंगाल में राहुल गांधी के पहुंचते ही तृणमूल कांग्रेस से गठबंधन टूट गया। बिहार में महागठबंधन की एक बड़ी रैली प्रस्तावित थी, लेकिन यहां राहुल गांधी के पहुंचने से पहले ही नीतीश कुमार की जदयू ने पाला बदल लिया और भाजपा के साथ मिल कर सरकार बना ली। राजद विपक्ष में आ गई।


उत्तर प्रदेश में गांधी परिवार के गढ़ रहे अमेठी में ‘वापस जाओ’ नारे के साथ राहुल गांधी का स्वागत हुआ, यूपी में उनकी यात्रा में भीड़ नहीं जुटी सो अलग। ऊपर से राहुल गांधी के एक के बाद एक विवादित बयानों के कारण कॉन्ग्रेस को लेकर नकारात्मक माहौल ही बना। उन्होंने अभिनेत्री ऐश्वर्या राय को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी। साथ ही काशी के युवकों को शराबी व नशेड़ी बता दिया। वहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया जयंत चौधरी की नजदीकी एनडीए से बढ़ गई है। बीते कई दिनों से उनके बीजेपी के साथ जाने की अटकलें थीं। चौधरी चरण सिंह को केंद्र सरकार की ओर से भारत रत्न की घोषणा के बाद से ये तय माना जा रहा था कि जयंत चौधरी इंडिया गठबंधन का साथ छोड़ देंगे और एनडीए के साथ चले जाएंगे। जयंत चौधरी आने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी के साथ खड़े दिखाई देंगे। चुनाव से पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इंडिया गठबंधन को बड़ा झटका देते हुए अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी के सामने कांग्रेस ने घुटने टेककर किसी तरह गठबंधन किया। ऐसे में न्याय यात्रा आगे पाट, पीछे सपाट की उक्ति को चरितार्थ कर रही है।


इसमें कोई दो राय नहीं है कि 2019 के बाद से भले ही कांग्रेस लगातार कमजोर होती जा रही थी, लेकिन पिछले साल मई में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी को कर्नाटक में हराकर उसने वापसी की उम्मीद जगाई थी। बीजेपी का विरोध करने वाली पार्टियां, भले ही वो कांग्रेस के मजबूत होने से सहमत नहीं थीं, लेकिन उन्होंने इस मौके का फायदा उठाते हुए कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया। इसी से इंडी अलायंसा बना। लेकिन कांग्रेस को लगा कि अगर वो छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश जीत लेती है तो उसे और भी फायदा होगा। राजस्थान में हार के बावजूद भी अच्छी स्थिति रहने से कांग्रेस वापस आ गई का नारा और मजबूत होता और इसका इस्तेमाल सहयोगी दलों पर दबाव बनाने और अपनी कमजोरियों को दूर करने में मदद मिलती। लेकिन ये सोच गलत साबित हुई और कांग्रेस को एक सुनहरा मौका हाथ से निकल गया। राहुल गांधी ने कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद से 2019 में इस्तीफा दिया था। जबकि उनकी पार्टी को 543 सदस्यीय लोकसभा में महज 52 सीटें हासिल हुई थीं, जबकि बीजेपी को 303 सीटों पर जीत मिली थी।


पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी के साथ सीटों के बंटवारे पर सहमति नहीं बन पाई है। महाराष्ट्र में भी कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी के बीच सीटों के बंटवारे पर गतिरोध नजर आ रहा। इंडिया गठबंधन में शामिल सीपीआई-एम ने केरल की चार सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। सीपीआई ने पार्टी महासचिव डी राजा की पत्नी और वरिष्ठ सीपीआई नेता एनी राजा को वायनाड निर्वाचन क्षेत्र से मैदान में उतारा गया है। वर्तमान में राहुल गांधी वायनाड से सांसद हैं। हालांकि, इंडिया गठबंधन की तरफ से अभी केरल में सीटों की शेयरिंग को लेकर अभी कोई समझौता सामने नहीं आया है। यही वजह है कि यूपी में समाजवादी पार्टी और दिल्ली, हरियाणा, गुजरात में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन करने के बावजूद, कांग्रेस आलाकमान की चुनौतियां कम होती नजर नहीं आ रहीं।


भाजपा लोकसभा चुनाव के रण में उतरने को पूरी तरह से तैयार है। भाजपा ने इस बार 400 से ज्यादा का लक्ष्य रखा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं का जोश उच्च स्तर पर है। वास्तव में, बड़ी चुनौती लीडरशिप को लेकर ही है। यह भाजपा के अभियान से बनी छवि की लड़ाई भर नहीं है। क्या राहुल गांधी स्वयं को सक्षम नेता के तौर पर साबित कर पाएंगे? क्या वे स्वयं को नए सिरे से तैयार कर पाएंगे? अभी ये नहीं कहा जा सकता है कि भारत जोड़ो न्याय यात्रा से राहुल गांधी या कांग्रेस को राजनीतिक रूप से कितना फायदा होगा। लेकिन यदि कांग्रेस अब अपने दम पर सौ लोकसभा सीट जीतने की स्थिति में भी पहुंच जाती है तो वो निश्चित रूप से विपक्ष का बड़ा चेहरा होंगे। फिलहाल यात्रा को लेकर जो खबरें आ रही हैं कि गठबंधन का बिखरता कुनबा और लोकसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर यात्रा को तय समय से पहले ही समेटने की तैयारी शुरू कर दी गई है।


-आशीष वशिष्ठ

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तम्भकार हैं)

प्रमुख खबरें

Elon Musk ने न्यूयॉर्क में ईरान के यूएन राजदूत से मुलाकात की: रिपोर्ट

Tim Southee ने किया अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास का ऐलान, यहां खेलेंगे करियर का आखिरी टेस्ट

Birsa Munda Jayanti 2024 | युवा आदिवासी नेता बिरसा मुंडा, जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए आंदोलन को प्रेरित किया | Jharkhand Foundation Day

Bihar Police Constable Result 2024: बिहार पुलिस कॉन्स्टेबल रिजल्ट घोषित हुआ, कैसे चेक करें परिणाम