मुम्बई। राकांपा नेता नवाब मलिक ने बुधवार को कहा कि चुनाव आयोग के समक्ष इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को लेकर चिंताएं उठाने का कोई मतलब नहीं है। मलिक ने यह बात महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले विभिन्न मुद्दों को लेकर चुनाव आयोग के अधिकारियों के साथ बैठक के बाद कही। राकांपा और कुछ अन्य विपक्षी दलों ने पूर्व में ईवीएम का लेकर सवाल उठाये हैं। राकांपा के मुख्य प्रवक्ता मलिक ने आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले यहां चुनाव आयोग के अधिकारियों के साथ बैठक के बाद कहा, ‘‘हमने इसके (ईवीएम) बारे में मौखिक रूप से बात की। यद्यपि वे हमारी बात नहीं सुनेंगे, तो यह मुद्दा क्यों उठाना?’’
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मलिक ने कहा कि उनकी पार्टी ने यह भी मांग की है कि चुनाव दिवाली से पहले कराये जाएं क्योंकि त्योहार के समय लोग अपने मूल स्थान को जाते हैं और इससे मतदान प्रतिशत प्रभावित होता है। उन्होंने कहा, ‘‘महाराष्ट्र में 50 प्रतिशत शहरीकरण है। दिवाली के समय लोग अपने मूल स्थानों के लिए रवाना होते हैं। इसलिए चुनाव दिवाली से पहले होना चाहिए।’’ उन्होंने यह भी मांग की कि एक उम्मीदवार के लिए तय की गई खर्च की सीमा भी बढ़ाई जाए।वर्तमान समय में खर्च की सीमा 25 लाख रुपये है। मलिक ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने आदेश दिया है कि मामलों का सामना करने वालों को इस बारे में तीन बार प्रमुख समाचारपत्रों और चैनल में विज्ञापन देना चाहिए। अब अकेले इस पर पांच से आठ लाख रुपये का खर्च होगा।’’
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मलिक ने कहा, ‘‘कार्यकर्ता जब प्रदर्शन करते हैं तो उनके खिलाफ मामले दर्ज होते हैं। हमने कहा कि चुनाव आयोग को खर्च वहन करना चाहिए या यदि वह नहीं करता है तो (विज्ञापन के लिए) दर वाणिज्यिक नहीं बल्कि सूचना और जनसंपर्क महानिदेशालय की (ओर से निर्धारित) होनी चाहिए।’’ महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री ने कहा कि कई बार पूर्व में यह देखा गया है कि सुरक्षाकर्मी चुनाव संबंधी नियमों से अवगत नहीं होते हैं। इसलिए प्रशिक्षण सत्र आयोजित किये जाने चाहिए।