By नीरज कुमार दुबे | Jun 12, 2024
क्या महाराष्ट्र में महायुति सरकार में शामिल घटक दलों के बीच सब कुछ ठीक चल रहा है? यह सवाल इसलिए उठा है क्योंकि लोकसभा चुनाव परिणामों में सत्तारुढ़ गठबंधन को तगड़ा झटका लगने और फिर केंद्रीय मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री पद नहीं मिलने से शिवसेना और एनसीपी की नाराजगी बार-बार बाहर आ रही है। हालांकि जब नरेंद्र मोदी को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन संसदीय दल का नेता चुना जा रहा था तब शिवसेना अध्यक्ष और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा था कि यह फेविकोल का मजबूत जोड़ है जो टूटेगा नहीं लेकिन अब उन्होंने एक ऐसी बात कह दी है जिससे स्पष्ट हो रहा है कि महाराष्ट्र सरकार में अंदरूनी खींचतान चल रही है।
हम आपको बता दें कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा है कि हालिया लोकसभा चुनाव में '400 पार' के नारे के बाद लोगों के मन में संविधान बदलने और आरक्षण खत्म करने जैसी आशंका उत्पन्न हो गई। उल्लेखनीय है कि भारतीय जनता पार्टी ने राजग के घटक दलों के साथ मिलकर 400 से अधिक सीट जीतने का लक्ष्य रखा था। शिंदे ने मुंबई में कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) की एक बैठक में कहा, ‘‘(विपक्ष द्वारा) झूठी कहानी गढ़े जाने के कारण हमें कुछ स्थानों पर नुकसान हुआ। हमें महाराष्ट्र में भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ा।'' उन्होंने कहा, ‘‘400 पार (नारे) के कारण लोगों को लगा कि भविष्य में संविधान बदलने और आरक्षण हटाने जैसे मुद्दों पर कुछ गड़बड़ हो सकती है।’’ उन्होंने कहा कि हम विपक्ष के आरोपों की काट नहीं कर पाये जिसका खामियाजा हमें भुगतना पड़ा है। उन्होंने यह भी कहा कि इस नारे के चलते भाजपा को कई राज्यों में नुकसान उठाना पड़ा है। शिंदे ने किसानों के मुद्दे पर कहा कि हम बेहद गंभीर हैं क्योंकि भारत कृषि प्रधान देश है। उन्होंने कहा कि अगर किसान नाखुश है तो अन्य लोग भी खुश नहीं रह सकते। उन्होंने कहा कि वह जल्द ही दिल्ली में केंद्रीय कृषि मंत्री से मुलाकात कर कुछ फसलों की एमएसपी के मुद्दे पर चर्चा करेंगे। हम आपको बता दें कि महाराष्ट्र में सत्तारुढ़ गठबंधन को खासतौर पर प्याज और सोयाबीन उगाने वाले किसानों की नाराजगी का खामियाजा उठाना पड़ा है। जहां तक शिंदे शिंदे की पार्टी शिवसेना की बात है तो उसने लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की 49 सीटों में से सात सीटों पर जीत दर्ज की है।
हम आपको याद दिला दें कि लोकसभा चुनावों के दौरान ही भाजपा के कुछ सांसदों और उम्मीदवारों ने सार्वजनिक रूप से कह दिया था कि हमें 400 सीटें संविधान बदलने के लिए चाहिए। हालांकि भाजपा ने इन टिप्पणियों की आलोचना करते हुए इससे दूरी बना ली थी लेकिन विपक्ष ने भाजपा के इन नेताओं के बयानों का हवाला देते हुए जनता के मन में निचले स्तर तक यह बात बिठा दी थी कि यदि एनडीए को 400 सीटें मिल गयीं तो संविधान बदल जायेगा और आरक्षण खत्म हो जायेगा।
इस बीच, शिवसेना नेता संजय शिरसाट ने एक बड़ा बयान देते हुए कहा है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने केंद्र में सत्तारुढ़ गठबंधन राजग को समर्थन देते समय भाजपा के समक्ष कोई मांग नहीं रखी थी, लेकिन पार्टी को फिर भी स्वतंत्र प्रभार वाला केंद्रीय मंत्रालय मिला। हालांकि शिरसाट ने केंद्रीय मंत्रिपरिषद में विभागों के आवंटन को लेकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) या भाजपा-शिवसेना गठबंधन में किसी भी तरह के मतभेद से इंकार किया है। उन्होंने कहा कि गठबंधन होने पर मांग करना शिंदे का स्वभाव नहीं है। हम आपको बता दें कि शिरसाट ने यह टिप्पणी ऐसे समय में की है जब दो दिन पहले उनके पार्टी के सहयोगी और मावल से लोकसभा सदस्य श्रीरंग बारणे ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली नवगठित सरकार में शिवसेना को कैबिनेट में स्थान नहीं मिलने पर नाराजगी जताई थी। इस मुद्दे पर शिरसाट ने कहा कि बारणे का मानना था कि एक कैबिनेट और दो राज्य मंत्री पद से पार्टी के कुछ सांसदों को जगह मिल जाती, लेकिन सही समय पर उनकी मांग पूरी की जाएगी।
हम आपको यह भी बता दें कि एनसीपी भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिलने से नाराज है। हालांकि एनसीपी प्रमुख अजित पवार ने कहा है कि उनकी पार्टी का समर्थन एनडीए को जारी रहेगा लेकिन बताया जा रहा है कि एनसीपी के कई विधायक शरद पवार के संपर्क में हैं। महाराष्ट्र में चूंकि इसी साल अक्टूबर में विधानसभा के चुनाव होने हैं और लोकसभा चुनावों में शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी का प्रदर्शन अच्छा रहा है इसलिए विधायक अपने सुरक्षित राजनीतिक भविष्य के लिए शरद पवार के संपर्क में बताये जा रहे हैं। इस तरह की भी खबरें हैं कि विधायकों द्वारा अजित पवार पर चाचा शरद पवार के पास वापस लौटने का दबाव भी बनाया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर एनडीए की घटक महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना भी इस बात के लिए नाराज बताई जा रही है कि मोदी सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने का निमंत्रण राज ठाकरे को नहीं दिया गया। हम आपको बता दें कि चुनाव परिणाम के बाद देवेंद्र फडणवीस भी इस्तीफे की पेशकश कर चुके हैं हालांकि पार्टी ने उन्हें पद पर बने रहने को कहा है।