By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Nov 18, 2018
मुंबई। केन्द्रीय बैंक के निदेशक मंडल की अहम बैठक से दो दिन पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को कहा कि तरलता और कर्ज उपलब्धता की कमी के चलते आर्थिक वृद्धि का गला नहीं घुटना चाहिये। जेटली ने कहा कि 2008 से 2014 के दौरान ‘‘सामूहिक रूप से किये गये पाप’’ की वजह से बैंकिंग प्रणाली को साफ सुथरा बनाने के चलते आर्थिक प्रक्रिया प्रभावित नहीं होनी चाहिये। यह वह दौर था जब नियामकीय प्रणाली ने भारी मात्रा में दिये जा रहे कर्ज को नजरंदाज किया।
जेटली यहां चल रहे वार्षिक इकोनोमिक टाइम्स पुरस्कार समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘यह काम इस तरह से होना चाहिये जिसमें आप बैंकों की स्थिति को दुरुस्त कर सकें, जहां तक बैंकिंग प्रणाली की बात है आप इसमें अनुशासन बहाल कर सकें लेकिन साथ ही यह भी ध्यान रखना होगा कि बाजार में नकदी और कर्ज सीमित होने पर आर्थिक वृद्धि को इसका खामियाजा नहीं भुगतना चाहिये।’’ इसके साथ उन्होंने यह भी कहा कि हम एक समस्या के गलत निदान की ओर देख रहे हैं जबकि इसके सरल निदान उपलब्ध हैं।
जेटली की तरफ से ये टिप्पणियां ऐसे समय आई हैं जब दो दिन बाद ही रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल की अहम बैठक होने वाली है। इस बैठक में सरकार रिजर्व बैंक निदेशक मंडल में नामित अपने प्रतिनिधियों के जरिये आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने वाले उपायों पर जोर डालेगी। इन उपायों में गैर-बैंकिंग क्षेत्र के लिये तरलता बढ़ाने के वास्ते विशेष खिड़की सुविधा उपलब्ध कराने, बैंकों की त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई नियमों में ढील देने और लघु उद्यमियों को आसानी से कर्ज उपलब्ध कराने की मांग शामिल है।
सरकार रिजर्व बैंक से अपनी बात मनवाने के लिये रिजर्व बैंक कानून की धारा सात के तहत विचार विमर्श की प्रक्रिया शुरू की है। इस धारा के तहत सरकार सार्वजनिक हित में रिजर्व बैंक गवर्नर को निर्देश दे सकती है।