By नीरज कुमार दुबे | May 05, 2023
भारत ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक के दौरान आतंकवाद के मुद्दे पर जहां पाकिस्तान को मुंह पर खरी-खरी सुना दी वहीं चीन से द्विपक्षीय मुलाकात के दौरान स्पष्ट संकेत दे दिया कि उसकी विस्तारवादी दाल भारत के सामने नहीं गलने वाली है। यह जयशंकर की स्पष्टवादिता का ही कमाल रहा कि पाकिस्तान भी आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर मुकाबला करने का आह्वान करने पर मजबूर हो गया तो वहीं चीन ने कह दिया कि भारत-चीन संबंधों में सब ठीक है, कोई चिंता की बात नहीं है। पाकिस्तान के प्रति भारत के कड़े रुख का अंदाजा उस समय भी लगा जब विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सभी विदेश मंत्रियों का स्वागत करने के दौरान सिर्फ नमस्ते करके उनका अभिवादन किया। दरअसल आज के नमस्ते के पीछे कल की एक घटना है। बताया जा रहा है कि गुरुवार को बेनौलिम में समुद्र के किनारे ताज एक्सोटिका रिसॉर्ट में आयोजित विदेश मंत्रियों के स्वागत समारोह में जयशंकर ने एससीओ के विदेश मंत्रियों का गर्मजोशी से स्वागत किया। पाकिस्तान के बिलावल भुट्टो जरदारी ने भी स्वागत समारोह में भाग लिया। बिलावल के साथ पाकिस्तान से आए कुछ अधिकारियों ने इस स्वागत समारोह के बारे में दावा किया कि जयशंकर ने अन्य नेताओं की तरह अपने पाकिस्तानी समकक्ष से भी हाथ मिलाया, लेकिन भारत की ओर से इस बात को लेकर कोई पुष्टि नहीं की गई। इसलिए आज जब मीडिया के कैमरों के सामने बैठक से पहले विदेश मंत्रियों का स्वागत किया जा रहा था तब जयशंकर ने सभी का नमस्ते करके ही अभिवादन किया और पाकिस्तानी अफवाहों को खारिज कर दिया।
जयशंकर का भाषण
एससीओ बैठक में जयशंकर की खरे-खरे भाषण की बात करें तो बता दें कि इसमें उन्होंने आह्वान किया है कि आतंकवाद से कड़ाई के साथ निपटने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एससीओ के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में पाकिस्तान की ओर परोक्ष इशारा करते हुए कहा कि सीमापार आतंकवाद समेत इसके सभी स्वरूपों का खात्मा किया जाना चाहिए। पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-जरदारी, चीन के विदेश मंत्री छिन कांग और रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव की मौजूदगी में जयशंकर ने एससीओ सम्मेलन में अपने संबोधन में कहा कि आतंकवाद की अनदेखी करना समूह के सुरक्षा हितों के लिए नुकसानदेह होगा। विदेश मंत्री ने कहा कि आतंकवादी गतिविधियों के लिए वित्तपोषण के सभी तरीकों को बंद किया जाना चाहिए।
पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि जब दुनिया कोविड-19 महामारी और उसके प्रभावों से निपटने में लगी थी, तब भी आतंकवाद की समस्या ज्यों की त्यों बनी रही। जयशंकर ने कहा, ‘‘हम पुरजोर तरीके से मानते हैं कि आतंकवाद को जायज नहीं ठहराया जा सकता और सीमापार से आतंकवाद समेत हर तरह की दहशतगर्दी पर रोक लगनी चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि आतंकवाद से मुकाबला करना एससीओ के मूलभूत कार्यक्षेत्र में शामिल है। जयशंकर का आतंकवाद के मुद्दे पर इशारा जहां पाकिस्तान को कठघरे में खड़ा करने का सफल प्रयास था तो वहीं यह चीन पर भी सवाल उठाने की कोशिश थी क्योंकि पाकिस्तानी आतंकवादियों को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने के प्रयासों को चीन ही संयुक्त राष्ट्र में बाधित करने का काम करता है।
जयशंकर के संबोधन की अन्य बड़ी बातों पर गौर करें तो आपको बता दें कि उन्होंने इसमें गोवा के इस बीच रिसॉर्ट में एससीओ की विदेश मंत्री परिषद में आये प्रतिनिधियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं एससीओ की भारत द्वारा पहली बार की जा रही अध्यक्षता के तहत आपकी मेजबानी करते हुए हर्षित महसूस कर रहा हूं।’’ जयशंकर ने कहा कि भारत एससीओ में बहुपक्षीय सहयोग के विकास को, शांति एवं स्थिरता को बढ़ावा देने तथा सदस्य राष्ट्रों की जनता के बीच करीबी संवाद को अत्यंत महत्व देता है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी और भू-राजनीतिक उतार-चढ़ाव के परिणामस्वरूप आज दुनिया अनेक चुनौतियों का सामना कर रही है और इन घटनाक्रम ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को अवरुद्ध कर दिया है। जयशंकर ने कहा कि अफगानिस्तान के घटनाक्रम पर हमारा ध्यान बना हुआ है। उन्होंने कहा कि हमारे प्रयास अफगान जनता के कल्याण की दिशा में होने चाहिए। विदेश मंत्री ने कहा कि अफगानिस्तान में हमारी तात्कालिक प्राथमिकताओं में मानवीय सहायता पहुंचाना, एक वास्तविक समावेशी सरकार सुनिश्चित करना, आतंकवाद से मुकाबला करना और महिलाओं, बच्चों एवं अल्पसंख्यकों के अधिकार संरक्षित करना शामिल हैं।
चीनी विदेश मंत्री से मुलाकात
दूसरी ओर, जहां तक जयशंकर की द्विपक्षीय मुलाकातों की बात है तो आपको बता दें कि रूस और चीन के विदेश मंत्रियों के साथ उनकी कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बातचीत हुई। चीनी विदेश मंत्री की जयशंकर से मुलाकात के बारे में चीन ने जो बयान जारी किया है उसके मुताबिक, चीन के विदेश मंत्री छिन कांग ने दोहराया है कि भारत-चीन सीमा पर स्थिति सामान्यत: स्थिर है और दोनों पक्षों को मौजूदा प्रयासों को मजबूत करना चाहिए तथा सीमा पर स्थिति को शांत एवं सहज करने तथा वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास स्थायी शांति के लिए संयुक्त रूप से कार्रवाई करनी चाहिए। गोवा के बेनौलिम में विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ अपनी बातचीत में छिन ने चीन के हालिया रुख को दोहराते हुए कहा कि चीन-भारत सीमा पर मौजूदा हालात सामान्यत: स्थिर है। उनका बयान स्पष्ट रूप से पूर्वी लद्दाख में जारी सैन्य गतिरोध के संदर्भ में था, जिससे दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव आ गया। छिन-जयशंकर वार्ता पर शुक्रवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में छिन के हवाले से कहा गया, ‘‘दोनों पक्षों को दोनों देशों के नेताओं के बीच बनी महत्वपूर्ण सहमति को लागू करते रहना चाहिए, मौजूदा प्रयासों को मजबूत करना चाहिए, प्रासंगिक समझौतों का सख्ती से पालन करना चाहिए, सीमा की स्थिति को और सहज एवं सरल करने पर जोर देना चाहिए तथा सीमाई इलाकों में स्थायी शांति एवं स्थिरता बनाए रखनी चाहिए।’’
हम आपको याद दिला दें कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल में एक बैठक में अपने चीनी समकक्ष जनरल ली शांगफू से कहा था कि चीन द्वारा मौजूदा सीमा समझौतों के उल्लंघन ने दोनों देशों के बीच संबंधों के समूचे आधार को ‘‘बिगाड़’’ दिया है और सीमा से संबंधित सभी मुद्दों को मौजूदा समझौतों के अनुसार हल किया जाना चाहिए। यह बैठक 27 अप्रैल को नयी दिल्ली में एससीओ के रक्षा मंत्रियों के एक सम्मेलन के मौके पर हुई थी।
उधर, वार्ता के बाद एक ट्वीट में जयशंकर ने कहा कि शेष मुद्दों को हल करने और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित रहा। उन्होंने कहा, ‘‘दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों पर चीन के विदेश मंत्री छिन कांग के साथ विस्तृत चर्चा हुई है। लंबित मुद्दों को हल करने और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।’’
हम आपको बता दें कि भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख में नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास कुछ टकराव वाले बिंदुओं पर पिछले करीब तीन साल से गतिरोध की स्थिति बनी हुई है। हालांकि, सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर की गई कई दौर की वार्ताओं के बाद कई जगहों पर दोनों देशों की सेनाएं अपने-अपने स्थान से पीछे हटी हैं। हम आपको यह भी बता दें कि पिछले दो महीने में दूसरी बार छिन और जयशंकर के बीच यह बैठक हुई है। चीनी विदेश मंत्री ने जी-20 के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए मार्च में भारत यात्रा की थी।
बयान के अनुसार, छिन ने कहा कि चीन द्विपक्षीय परामर्श और विचारों का आदान-प्रदान करने, बहुपक्षीय ढांचे के तहत संवाद और सहयोग बढ़ाने तथा अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर समन्वय और सहयोग को गहरा करने के लिए भारत के साथ काम करने का इच्छुक है। छिन ने यह भी कहा कि चीन एससीओ शिखर सम्मेलन की सफल मेजबानी के लिए भारत का समर्थन करता है और आशा करता है कि वर्तमान अध्यक्ष के रूप में भारत एकजुटता और सहयोग की भावना प्रदर्शित करेगा और शिखर सम्मेलन को सफल बनाने में सकारात्मक भूमिका निभाएगा। प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने साझा चिंताओं से संबंधित अंतरराष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय मुद्दों पर भी विचार साझा किये।
रूसी विदेश मंत्री से जयशंकर की मुलाकात
इसके अलावा, जयशंकर और रूसी विदेश मंत्री लॉवरोव के बीच हुई बातचीत की बात करें तो आपको बता दें कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लॉवरोव के साथ दोनों देशों के ‘खास और विशेषाधिकार युक्त’ रणनीतिक साझेदारी की व्यापक समीक्षा की। दोनों नेताओं की यह बैठक यूक्रेन संकट को लेकर रूस और पश्चिमी देशों के बीच तनाव की पृष्ठभूमि में हुई। रूसी बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने अंतर्देशीय संबंधों को लेकर एक निष्पक्ष बहुध्रुवीय व्यवस्था का निर्माण करने की दिशा में प्रयास जारी रखने पर सहमति व्यक्त की। रूसी बयान के अनुसार, दोनों विदेश मंत्रियों ने हमारे ‘खास और विशेषाधिकार युक्त’ रणनीतिक गठजोड़ के मुख्य क्षेत्रों में सहयोग की सराहना की। इसमें कहा गया है, ''द्विपक्षीय संबंधों में विश्वास आधारित विचारों का आदान-प्रदान और ज्वलंत वैश्विक एवं क्षेत्रीय मुद्दे एजेंडा में रहे जिसमें आने वाले दिनों में सम्पर्क का कार्यक्रम शामिल है।’’ इसमें कहा गया है, ‘‘एससीओ, जी20 और ब्रिक्स सहित महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हमारे संवाद के ढांचे के बारे में साझा पहल विकसित करने को लेकर समन्वय को मजबूत बनाने के इरादे की पुष्टि हुई...।''
उधर, जयशंकर ने एक ट्वीट में कहा, ''रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लॉवरोव के साथ हमारे द्विपक्षीय, वैश्विक और बहुपक्षीय सहयोग की व्यापक समीक्षा की। एससीओ की भारत की अध्यक्षता को समर्थन देने के लिए रूस का आभार जताया। साथ ही एससीओ, जी20 और ब्रिक्स से जुड़े मुद्दों को लेकर चर्चा की।’’ इस बीच, सूत्रों ने बताया है कि जयशंकर और लॉवरोव ने वैश्विक भू-राजनीतिक उथल-पुथल की पृष्ठभूमि में अपने द्विपक्षीय संबंधों के सम्पूर्ण आयामों की समीक्षा की। यह अभी स्पष्ट नहीं है कि दोनों के बीच बातचीत के दौरान कारोबार से जुड़े मुद्दे उठे या नहीं। गौरतलब है कि भारत व्यापार असंतुलन से जुड़े मुद्दों का समाधान करने के विषय को रूस के समक्ष उठाता रहा है जो अभी मास्को के पक्ष में है। पिछले कुछ महीने में व्यापार असंतुलन रूस के पक्ष में और झुक गया है क्योंकि यूक्रेन संकट के आलोक में भारत ने रूस से सस्ती दर पर कच्चे तेल की खरीद को बढ़ाया है।
पाकिस्तानी विदेश मंत्री की भारत यात्रा से क्या असर हुआ?
बहरहाल, पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी की बात करें तो वह एससीओ के सम्मेलन में भाग लेने के लिए गोवा आये लेकिन कोई छाप नहीं छोड़ सके। हालांकि वह करीब 12 साल में भारत की यात्रा करने वाले पाकिस्तान के पहले विदेश मंत्री बन गए। बिलावल ऐसे समय में एससीओ विदेश मंत्रियों की परिषद (सीएफएम) की बैठक में हिस्सा लेने के लिये भारत आए हैं जब सीमा पार आतंकवाद को पाकिस्तान के निरंतर समर्थन सहित कई मुद्दों को लेकर दोनों देशों (भारत और पाकिस्तान) के बीच तनाव जारी है। बिलावल की गोवा की दो दिवसीय यात्रा के बारे में मीडिया में काफी चर्चा है, लेकिन भारतीय और पाकिस्तानी दोनों पक्ष एक-दूसरे से दूरी बनाए हुए दिखाई दिए। बिलावल ने एससीओ बैठक से इतर अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव के साथ द्विपक्षीय बैठक की। बताया जा रहा है कि दोनों मंत्रियों ने पारस्परिक हित के द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मामलों पर चर्चा की। पाकिस्तानी विदेश मंत्री की भारत यात्रा हालांकि भारत के लिए इस मायने में महंगी साबित हुई कि पाकिस्तान ने हमेशा की तरह इस बार भी भारत-पाक मुलाकात के दौरान कश्मीर में आतंकवादी हमले करवाने की अपनी पुरानी आदत को दोहराया।