Delhi Air Pollution बढ़ने के कारण सांस संबंधी मामलों में देखने को मिला इजाफा, लोग हुए परेशान

By रितिका कमठान | Nov 11, 2024

दिल्ली में वायु गुणवत्ता की स्थिति बीते कई दिनों से खराब श्रेणी में बनी हुई है। खराब श्रेणी में होने के कारण लगातार लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी अस्पतालों में सांस संबंधित समस्याओं से पीड़ित मरीज पहुंच रहे है। ऐसे मरीजों की संख्या में इजाफा हो गया है। इसी बीच सोमवार 11 नवंबर को भी दिल्ली में हवा की गुणवत्ता बहुत खराब श्रेणी में दर्ज हुई है। कई हिस्सों में धुंध की मोटी परत भी छाई रही।

 

वायु गुणवत्ता एवं मौसम पूर्वानुमान एवं अनुसंधान प्रणाली (सफर)-भारत के आंकड़ों के अनुसार, सुबह नौ बजे तक राष्ट्रीय राजधानी में समग्र वायु गुणवत्ता 349 दर्ज की गई जो 'बहुत खराब' श्रेणी है। सफर-इंडिया के आंकड़ों के अनुसार, आज सुबह 9 बजे तक श्री अरबिंदो मार्ग पर एक्यूआई 206, अलीपुर में 358, आनंद विहार में 385, बुराड़ी क्रॉसिंग पर 356, द्वारका-सेक्टर 8 पर 367, आईजीआई एयरपोर्ट-टी 3 पर 338, लोधी रोड पर 307, मुंडका में 382, ​​नजफगढ़ में 357 और आरके पुरम में 371 दर्ज किया गया।

 

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार सुबह 9 बजे जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में वायु गुणवत्ता सूचकांक 315 रहा। अक्षरधाम के आसपास के क्षेत्र में धुंध की एक परत छा गई और एक्यूआई 378 दर्ज किया गया, जिसे सीपीसीबी के अनुसार 'बहुत खराब' श्रेणी में रखा गया है। आज सुबह कालिंदी कुंज में यमुना नदी में जहरीला झाग तैरता देखा गया, क्योंकि नदी में प्रदूषण का स्तर अभी भी ऊंचा बना हुआ है।

 

राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण का स्तर "बहुत खराब" स्तर पर पहुंचने के बीच डॉक्टरों का कहना है कि जिन लोगों को श्वसन संबंधी कोई बीमारी नहीं है, वे भी सांस लेने में समस्या से पीड़ित हो रहे हैं। एएनआई को अपोलो अस्पताल में श्वसन संबंधी गंभीर देखभाल के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. निखिल मोदी ने कहा कि नियमित रोगियों के अलावा, जिन लोगों को पहले कोई श्वसन संबंधी समस्या नहीं थी, उनमें भी बहती नाक, छींकने, खांसी जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं और सांस लेने में कठिनाई बढ़ रही है।

 

मेदांता अस्पताल के इंस्टीट्यूट ऑफ चेस्ट सर्जरी- चेस्ट ऑन्को सर्जरी एंड लंग ट्रांसप्लांटेशन के चेयरमैन डॉ. अरविंद कुमार ने एएनआई से बातचीत में कहा, "जब आप इस तरह की हवा में सांस लेते हैं, तो आपका गला घुट जाता है। सभी आईसीयू में अब हर तरह के निमोनिया के मरीज आ रहे हैं। आप बाल रोग विशेषज्ञों से बात करें, उनके क्लीनिक में ऐसे बच्चों की बाढ़ आ गई है, जिन्हें सांस लेने में समस्या हो रही है। किसी भी घर में जाएं, बच्चे खांस रहे हैं, वयस्क खांस रहे हैं। इसलिए यह वास्तव में लोगों के स्वास्थ्य पर भारी पड़ रहा है। स्कूलों का बंद होना और सभी GRAP चीजें, मैं इससे पूरी तरह असहमत हूं क्योंकि ये सभी अस्थायी घुटने के बल चलने वाली प्रतिक्रियाएं हैं।" एक्यूआई को '200 और 300' के बीच 'खराब', '301 और 400' के बीच 'बहुत खराब', '401-450' के बीच 'गंभीर' तथा 450 और इससे अधिक के बीच 'गंभीर प्लस' माना जाता है।

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