विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के वरिष्ठ सलाहकार डॉ अखिलेश गुप्ता ने विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी) के सचिव का अतिरिक्त प्रभार ग्रहण कर लिया है। एसईआरबी सचिव के रूप में डॉ संदीप वर्मा का कार्यकाल 07 अक्तूबर 2022 को पूर्ण होने के बाद उन्होंने यह पदभार ग्रहण किया है।
डॉ गुप्ता वर्तमान में नीति समन्वय और कार्यक्रम प्रबंधन प्रभाग (पीसीपीएम) के प्रमुख हैं और डीएसटी में 05 राष्ट्रीय मिशनों - अंतःविषयक साइबर भौतिक प्रणाली पर राष्ट्रीय मिशन, क्वांटम प्रौद्योगिकी और अनुप्रयोगों पर राष्ट्रीय मिशन, राष्ट्रीय सुपर- कंप्यूटिंग मिशन, जलवायु परिवर्तन के लिए सामरिक ज्ञान पर राष्ट्रीय मिशन और हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय मिशन के समग्र प्रभारी हैं।
एक प्रतिष्ठित वायुमंडलीय वैज्ञानिक डॉ गुप्ता को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं के साथ-साथ प्रक्रियाओं में 200 से अधिक शोध लेखों का श्रेय दिया जाता है। वह पाँच पुस्तकों के संपादक, 350 से अधिक लेखों के लेखक और लगभग 1000 रिपोर्टों के लेखक भी हैं। वह इंडियन नेशनल एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग (एफएनएई), इंडियन मेटेरोलॉजिकल सोसाइटी (एफआईएमएस) और एसोसिएशन ऑफ एग्रो-मेटेरोलोजिस्ट्स के फेलो भी हैं।
उष्णकटिबंधीय चक्रवात भविष्यवाणी, मानसून मौसम विज्ञान, स्थान विशिष्ट मौसम भविष्यवाणी, मौसम और जलवायु मॉडलिंग के साथ ही, ओपन साइंस, इक्विटी और समावेश, एसटीआई वित्तपोषण, सिस्टम इंटरकनेक्टेडनेस इत्यादि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी नवाचार (एसटीआई) नीति क्षेत्र इत्यादि डॉ गुप्ता की रुचि के कुछ प्रमुख अनुसंधान क्षेत्रों में शामिल हैं। डॉ गुप्ता भारत की जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीसीसी) के लेखकों में से एक तथा उस सचिवालय के प्रमुख रहे हैं, जिसके अंतर्गत भारत की नई विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार नीति का मसौदा तैयार किया गया है तथा जिसे अंतिम रूप दिया जा रहा है।
भौतिकी में लखनऊ विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर डिग्री (1984) और वायुमंडलीय विज्ञान (1999) में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली से डॉक्टरेट की डिग्री के साथ, वह 1985 में भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) में शामिल हुए और बाद में 1994 में राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केन्द्र (रा॰म॰अ॰मौ॰पू॰के- नेशनल सेंटर फॉर मीडियम रेंज वेदर फोरकास्टिंग – एनसीएमआरडब्ल्यूएफ) में शामिल हो गए। ये दोनों ही विभाग वर्तमान में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत हैं।
(इंडिया साइंस वायर)