भारत का पहला विदेशी सैन्य बेस, जिसकी मदद से काबुल में फंसे भारतीयों को सकुशल निकाला गया

By अनुराग गुप्ता | Aug 27, 2021

काबुल। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद गुरुवार को पहला बड़ा धमाका हुआ। जिसमें 100 से अधिक लोगों के मारे जाने की खबरें सामने आ रही हैं। इस हमले में 13 अमेरिकी सैनिकों की भी मौत हुई। दरअसल, 15 अगस्त के दिन राजधानी काबुल में तालिबानियों की एंट्री के साथ ही अफगानी जमीं में रह रहे लोग मुल्क छोड़ने के लिए विवश हो गए। क्योंकि यह लोग तालिबान द्वारा किए गए अत्याचारों को भूल नहीं पाए थे। ऐसे में भारी तादाद में लोग काबुल एयरपोर्ट पहुंचे, जहां से भारत समेत तमाम मुल्कों की सरकारों ने लोगों को निकालने के लिए आपातकालीन ऑपरेशन चलाया हुआ है। 

इसे भी पढ़ें: इस्लामिक स्टेटस से जुड़ा आईएसकेपी आतंकी समूह ने काबुल हमले की जिम्मेदारी ली 

पहला विदेशी सैन्य बेस

ऐसे में अफगानिस्तान से लोगों को निकालने के लिए भारत का पहला विदेश सैन्य बेस काफी महत्वपूर्ण रहा। आपको बता दें कि अफगान संकट के समय पर भारत का पहला विदेशी एयरबेस गिसार मिलिट्री एयरोड्रम फंसे भारतीयों को निकालने का अहम जरिया बना। दरअसल, गिसार मिलिट्री एयरोड्रम को भारत और ताजिकिस्तान मिलकर चला रहा है।

भारत का पहला विदेशी सैन्य बेस ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे के पश्चिम में स्थित है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक लगभग दो दशकों से भारत और ताजिकिस्तान मिलकर इस सैन्य बेस को चला रहे हैं।

विदेश मंत्रालय की मदद से बना सैन्य बेस

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक गिसार मिलिट्री एयरोड्रम की स्थापना में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और पूर्व वायु सेना प्रमुख बीएस धनोआ की मुख्य भूमिका थी। इस सैन्य बेस को बनाने में जो पैसा खर्च हुआ है उसे विदेश मंत्रालय ने वहन किया है। 

इसे भी पढ़ें: काबुल हमले के बाद बदले बाइडन के सुर! बोले- आतंकियों हम तुम्हें पकड़कर इसकी सजा देंगे 

हाल ही वायुसेना के विमान ने काबुल में फंसे भारतीयों को निकालकर ताजिकिस्तान पहुंचाया था। जहां से एयर इंडिया के विमान से उन्हें भारत लाया गया। आपको बता दें कि काबुल से लोगों को निकालने के लिए वायुसेना के सी-17 विमान को दुशांबे में स्थित सैन्य बेस में स्टैंड बाई में रखा गया है। दरअसल, इस एयरबेस को जीएमए अयानी एयर बेस के तौर पर जाना जाता है। क्योंकि यह दुशांबे से 10 किमी दूर अयानी नामक गांव में स्थित है।

जॉर्ज फर्नांडिस का मिला समर्थन

विदेशी जमीं पर भारत के सैन्य बेस का विचार पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में विदेश मंत्रालय को आया था। ऐसे में साल 2001-02 के आस पास तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस ने इसका समर्थन किया और इसे योजना की रूपरेखा दी। प्राप्त जानकारी के मुताबिक गिसार की हवाईपट्टी की मरम्मत की गई और उसे बढ़ाकर बड़े विमानों को उतराने और उड़ान भरने लायक बनाया गया।

प्रमुख खबरें

Lawrence Bishnoi Gang के निशाने पर Shraddha Walker हत्याकांड का आरोपी Aftab Poonawala, उसके शरीर के भी होंगे 35 टुकडें? धमकी के बाद प्रशासन अलर्ट

अफगान महिलाओं की क्रिकेट में वापसी, तालिबान के राज में पहली बार खेलेंगी टी20 मैच

भूलकर भी सुबह नाश्ते में न करें ये 3 गलतियां, वरना सेहत को हो सकता है भारी नुकसान

Delhi की CM Atishi ने किया ऐलान, प्रदूषण के कारण अब 5वीं कक्षा के लिए ऑनलाइन होगी क्लास