साल में बारह महीने होते हैं। उसमें भी फरवरी केवल एक बार आता है। साल में बावन रविवार आते हैं उसी तर्ज पर फरवरी कुछ ज्यादा आ जाता तो कितना अच्छा होता। यहाँ बेरोजगार, लाचार, घुमक्कड़ युवाओं को वैलेंटाइन डे मनाने की चुल मची रहती है। यह महीना भी न होता तो न जाने इन युवाओं के जीने का सहारा क्या होता। घर में घरवालों की और बाहर बाहरवालों के ताने सुनो। ऊपर से अलग-अलग नेमटैग। निकम्मा कहीं का। धरती पर बोझ, बेकारा और न जाने क्या-क्या। ऐसे में इन युवाओं को फरवरी महीने की ऐसी प्रतीक्षा रहती है जैसे इसके बिना मर ही जायेंगे। यही तो वह महीना होता है जो सिखाता है कि साल भर दुश्मनी करो कोई बात नहीं फरवरी में सब पैच अप हो जाता है। जिंदगी में जितनी भी परीक्षाएँ आ जाएँ उसके लिए चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। बैकलॉग लिखो और पास हो जाओ। कौनसा पास होकर तीर मारना है। वहीं लाचारी वही निकम्मापन। फरवरी फरवरी नहीं रिकवरी महीना है। सारे दुखों, पीड़ाओं से रिकवरी मिलती है।
फरवरी महीने के दूसरे सप्ताह में एक खास तरह के इम्तिहान की शुरुआत होती है, जिसे हर आशिक को अपने प्यार के लिए देना पड़ता है। आशिकी-1 और आशिकी-2 की तरह नहीं आशिकी इनफिनिटी की तरह। कुछ लोग इस इम्तिहान के तैयारी के दौरान इतने उत्साहित रहते हैं मानो जिंदगी का मतलब ही फरवरी का दूसरा सप्ताह है। प्रेमी-प्रेमिका इसी सप्ताह की राह ताकते-ताकते सावन के हरे बदले वैलेंटाइन के पिंक बन जाते हैं। इन्हीं चारों ओर पिंक ही पिंक दिखाई देता है। ओढ़ना, बिछाना, पहनना सब कुछ पिंक ही पिंक।
दरअसल सात दिनों तक चलने वाले इस परीक्षा के हर पेपर को पास करना जरूरी होता है। नहीं तो तूफान आ सकता है या फिर भूकंप। जो भी करना है इसी सप्ताह में करना है। वरना जिंदगी को धिक्कार है। बाकी के महीने तो बस कैलेंडर में फ़ड़फड़ाने के लिए होते हैं। सबसे खास बात ये है कि इस परीक्षा के दौरान चीटिंग करते हुए पकड़े जाने पर कड़ी से कड़ी सजा भी मिल सकती है। आपको इस इम्तिहान के दौरान ज्यादा परेशान न होना पड़े, इस बात को ध्यान में रखकर आज हम आपके लिए परीक्षा का टाइम-टेबल बता रहे हैं। इस टाइम-टेबल से आप अपने परीक्षा की अच्छे से तैयारी कर सकते हैं वो भी बिना किसी कंफ्यूजन के। इस परीक्षा में अव्वल आने वाला देश में राज करने के बजाय लड़का-लड़की एक-दूसरे के दिल पर राज करना चाहते हैं। देश सम्हालने के लिए पढ़े-लिखे मूर्खों की एक लंबी जमात लगी पड़ी है। बूढ़े देश संभालेंगे और जवान वैलेंटाइन वीक। यही तो इस देश की सफलता का रहस्य है।
- डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा ‘उरतृप्त’,
प्रसिद्ध नवयुवा व्यंग्यकार