Prajatantra: विपक्षी एकता के बीच AAP और Congress में तकरार, एक म्यान में कैसे रहेंगी दो तलवार

By अंकित सिंह | Jun 26, 2023

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के खिलाफ 2024 चुनाव को लेकर एक मजबूत विपक्षी गठबंधन बनाने की कोशिश हो रही है। 23 जून को पटना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में विपक्षी दलों की एक बड़ी बैठक हुई। इस बैठक में देश के सभी प्रमुख विपक्षी दलों के नेता शामिल हुए। कुल मिलाकर बिहारी भाषा में इस बैठक के बारे में समझाने की कोशिश करें तो बारात पूरे तरीके से तैयार है। हालांकि दूल्हे का अभी भी इंतजार है, जबकि बारात निकलने से पहले ही फूफा नाराज हो गए हैं। इसका सीधा सा मतलब यही है कि तस्वीरों में विपक्षी दलों के नेता एकजुट तो नजर आए लेकिन प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार कौन होगा, इसको लेकर अब तक कोई क्लियर बात नहीं कही गई है। वहीं, विपक्षी दलों की बैठक के बाद आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस नदारद रहकर आम आदमी पार्टी के प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यह साफ संदेश दे दिया है कि जब तक कांग्रेस अध्यादेश को लेकर अपना क्लियर स्टैंड नहीं करेगी, तब तक वह कांग्रेस वाले विपक्षी एकता में शामिल नहीं होंगे। 

 

इसे भी पढ़ें: Prajatantra: तस्वीरों में एकता पर हकीकत में मतभेदों का है अंबार, इन मामलों में फंसेगा विपक्षी एकता का पेंच


ऑर्डिनेंस पर है तकरार

दिल्ली में सेवाओं को लेकर केंद्र सरकार द्वारा एक अध्यादेश लाया गया है। इसमें फिर से उपराज्यपाल को शक्तियां दे दी गई हैं। आम आदमी पार्टी लगातार इसका विरोध कर रही है। आम आदमी पार्टी ने विपक्ष के लगभग सभी राजनीतिक दलों से इस पर समर्थन भी हासिल कर लिया है। लेकिन कांग्रेस इस मुद्दे पर आम आदमी पार्टी के खिलाफ खड़ी है। आम आदमी पार्टी आरोप लगा रही है कि कांग्रेस इस मुद्दे पर भाजपा के साथ खड़ी है। वहीं, कांग्रेस का कहना है कि वह जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेगी। केजरीवाल ने कांग्रेस नेताओं से मिलने का समय भी मांगा था। लेकिन मुलाकात नहीं हो सकी थी। यही कारण है कि आम आदमी पार्टी कांग्रेस पर जबरदस्त तरीके से हमलावर है। 


आम आदमी पार्टी को है जल्दबाजी

कांग्रेस अध्यादेश को लेकर सोच समझ कर फैसला लेना चाहती है। या दूसरे शब्दों में कहें तो कांग्रेस लास्ट बॉल तक गेम ले जाना चाहती है। हालांकि, केजरीवाल और उनकी पार्टी का साफ तौर पर कहना है कि पहले अध्यादेश को लेकर कांग्रेस अपना स्टैंड साफ करें। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने साफ-साफ कह दिया है कि यह बिल संसद में जब आएगा, उस समय हम देखेंगे। लेकिन आम आदमी पार्टी इतने पर तैयार नहीं है। आम आदमी पार्टी ने बैठक से पहले ही कह दिया था कि अध्यादेश इसमें बड़ा मुद्दा होना चाहिए। लेकिन कांग्रेस से उसकी बात बनती हुई दिखाई नहीं दे रही है। कांग्रेस का कहना है कि हम लोग लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ मुकाबला करने के लिए एकजुट हुए हैं। अध्यादेश को इसमें एजेंडा नहीं बनाना चाहिए। लेकिन कुछ विपक्षी दलों के अन्य नेताओं ने राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल से इस मुद्दे पर बातचीत करके समाधान निकालने को लेकर अपील की है। केजरीवाल भी इस मुद्दे पर राहुल गांधी से बात करने को तैयार थे। लेकिन कांग्रेस की ओर से ज्यादा महत्व नहीं दिया गया। 


कांग्रेस के लिए धर्म संकट

अगर इतिहास देखें तो आम आदमी पार्टी का निर्माण ही कांग्रेस के खिलाफ हुआ है। कांग्रेस सरकार के खिलाफ अन्ना हजारे के नेतृत्व में केजरीवाल ने आंदोलन किया था। उसके बाद केजरीवाल ने अपनी पार्टी बनाई। सबसे पहले केजरीवाल ने दिल्ली में कांग्रेस का स्पेस को हासिल किया और सत्ता में आम आदमी पार्टी आई। दिल्ली में आम आदमी पार्टी को पूरी तरीके से कांग्रेस का ही वोट हासिल होता है। पंजाब में भी कांग्रेस के स्पेस को हथिया कर ही आम आदमी पार्टी सत्ता में आई है। कहीं, दूसरे राज्यों में आम आदमी पार्टी चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है। वह लगातार कांग्रेस के वोट बैंक को टारगेट करना चाहती है। केजरीवाल भी कांग्रेस पर हमलावार रहते हैं। हाल में ही उन्होंने राजस्थान में कांग्रेस के खिलाफ बड़ा हमला बोला था। यही कारण है कांग्रेस किसी भी कीमत पर यह संदेश नहीं देना चाहती कि वह आम आदमी पार्टी के साथ खड़ी है। कांग्रेस की पंजाब और दिल्ली के नेता आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल पर जबरदस्त तरीके से हमलावर है। 


वार-पलटवार का दौर जारी

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने साफ तौर पर कह दिया है कि इसमें कोई शक नहीं है कि भारतीय जनता पार्टी से कौन मिला हुआ है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल जेल जाने से बचने के लिए यह सब कर रहे हैं। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि केजरीवाल के मंत्री गठबंधन को लेकर शर्ते लगा रहे हैं। वहीं उनके प्रवक्ता हमारी पार्टी की छवि को खराब कर रहे हैं। दूसरी और आम आदमी पार्टी ने साफ कर दिया है कि जब तक कांग्रेस अब बस स्टैंड क्लियर नहीं करती, तब तक हम गठबंधन को लेकर कुछ भी नहीं कह सकते। 

 

इसे भी पढ़ें: Prajatantra: Adipurush पर विपक्ष हमलावर, BJP खामोश, आखिर सवालों को घेरे में क्यों है भगवा पार्टी


अन्य नेताओं पर भी केजरीवाल लगा चुके हैं आरोप

केजरीवाल का एक वीडियो जमकर वायरल हो रहा है। आज जिस शरद पवार की तारीफ करते केजरीवाल नहीं थकते हैं, उन्हीं, शरद पवार पर उन्होंने कभी भ्रष्टाचार के आरोप लगा दिए थे। एक ट्वीट में केजरीवाल ने लिखा था कि हमारे पास शरद पवार जी के स्विस बैंक के अकाउंट नंबर हैं जो जल्द ही सार्वजनिक किए जाएंगे मैं तो हैरान हूं यह देखकर कि जिस बेईमान आदमी को जेल में होना चाहिए था वो आज इतना बड़ा नेता बनकर कैसे बैठा है। वही, केजरीवाल लालू यादव और ममता बनर्जी पर भी कभी आरोप लगा चुके हैं। 


कांग्रेस को शक

कांग्रेस को इस बात पर असमंजस है कि अध्यादेश के मुद्दे पर अगर आम आदमी पार्टी को समर्थन दिया जाता है तो कहीं ना कहीं उसकी पार्टी में भी नाराजगी बढ़ सकती है। इसके अलावा कांग्रेस के मन में सवाल यह भी है क्या अध्यादेश पर समर्थन के बाद केजरीवाल उसके साथ खड़े रहेंगे? ऐसा इसलिए है क्योंकि आम आदमी पार्टी लगातार यह कहती रही है 2024 का चुनाव केजरीवाल बनाम नरेंद्र मोदी होगा। आम आदमी पार्टी लगातार राहुल गांधी के खिलाफ रही है। आप की वरिष्ठ प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने हाल में ही ट्वीट कर कहा कि अगर देश बचाना है तो सबसे पहले कांग्रेस को बोल देना चाहिए की वो तीसरी बार भी Rahul Gandhi पर दाव नहीं लगायेंगे और समूचे विपक्ष पर ये दबाव नहीं डालेंगे। देश हित में ये संविधान बचाने से भी ऊपर है। ऐसे में कांग्रेस के मन में सवाल ही है ऐसा ना हो कि अध्यादेश पर समर्थन के बाद केजरीवाल फिर किनारे हो जाएं।


राजनीति यही है। नेता परिस्थितियों के अनुसार एक दूसरे से के साथ खड़े रहते हैं और वक्त निकल जाने के बाद वह एक दूसरे से दूरी भी बना लेते हैं। एक बहुत ही बड़ी कहावत है कि राजनीति में कोई किसी का स्थायी दोस्त नहीं और ना ही दुश्मन है। कब कौन, किस के पाले में जाकर बैठेगा, यह वक्त के हिसाब से तय होता है। यही तो प्रजातंत्र है।

प्रमुख खबरें

सेहत को नुकसान पहुंचा सकती हैं ये हेल्दी वाली चीजें, नाश्ते में न करें इनका सेवन

Rishabh Pant बने आईपीएल इतिहास में सबसे महंगे खिलाड़ी, LSG ने 27 करोड़ में खरीदा, तोड़ा श्रेयस अय्यर का रिकॉर्ड

विराट सिख समागम में बंदा सिंह के दसवें वंशज बाबा जतिन्दर पाल सिंह द्वारा सम्मान अर्पित

Sambhal Mosque Survey । सर्वे के दौरान भड़की हिंसा की आग में तीन लोगों की मौत, महिलाओं समेत कई लोग हिरासत में लिए गए