By अंकित सिंह | Apr 04, 2024
प्रभासाक्षी के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में हमेशा की तरह हमारे साथ ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी मौजूद रहे। हमने देश दुनिया की सुरक्षा हालात से जुड़े हुए सवालों पर इस कार्यक्रम में चर्चा की। हमेशा की तरह इस कार्यक्रम में हमने इजरायल और हमास युद्ध पर बात की और ब्रिगेडियर त्रिपाठी से जानना चाहा कि आखिर यह युद्ध किसी ओर जा रहा है? साथ ही साथ इस युद्ध का एक परिणाम भी सामने दिखाई दे रहा है जब इजराइल के दूतावास पर सीरिया में बम गिराया गया है। इसको लेकर भी हमने ब्रिगेडियर त्रिपाठी से सवाल पूछा। रूस-यूक्रेन युद्ध पिछले 2 साल से ज्यादा समय से चर्चा में है इसलिए हमारे कार्यक्रम में चर्चा का मुद्दा यह भी रहा। इस बार हमने देश को लेकर भी चर्चा की है कि कैसे भारत हथियारों के एक्सपोर्ट के मामले में सफलता हासिल कर रहा है। हमने ब्रिगेडियर त्रिपाठी से पूछा कि आप आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ते इस कदम को कैसे देख रहे हैं?
- इस सवाल के जवाब में ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि इजरायल-हमास युद्ध में साफ कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है। हमास खत्म नहीं हुआ है। बाकी के आतंकी ग्रुप भी सामने आने लगे हैं। युद्ध शुरू करने से पहले इजरायल ने जो कुछ भी सोचा था, वैसा नहीं हुआ है। यहां एक तरफ आर्मी है तो दूसरी तरफ गोरिल्ला वार है। उन्होंने कहा कि इजरायल को वेस्ट और यूरोप का समर्थन है तो वहीं हमास के साथ ईरान, रूस चीन और कुछ खाड़ी देश भी है। अलसफा हॉस्पिटल को इजरायल ने खाली कर दिया है। लेकिन इजरायल को लेकर नाराजगी बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देश भी यह मान रहे हैं कि इजरायल जो कुछ भी कर रहा है, वह गलत कर रहा है। ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने बताया कि आज भी दोनों तरफ से आक्रमण जारी है। युद्ध विराम पर बात नहीं बन पा रही है। दोनों के अपने-अपने शर्त है। बड़ा सवाल यह भी है कि गाजा पर कंट्रोल कौन करेगा? ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि कई देश इजरायल जो कर रहा है उसे गलत बता रहे हैं फिर भी उसे हथियार दिया जा रहा है। इजरायल ने इस युद्ध में कुछ भी हासिल नहीं किया है। साथ ही साथ वर्तमान स्थिति को देखते हुए ऐसा लगता है कि हमास को पूरी तरीके से खत्म करना मुश्किल है। इजरायल की आंतरिक स्थिति भी कमजोर होती जा रही है। नेतन्याहू के खिलाफ माहौल बन रहा है। उन्होंने कहा कि इस युद्ध से यह साफ हो गया है कि इजरायल और पश्चिमी देशों का जो दबदबा था, वह कम हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि हमास ने जो इजरायल में किया था, वह पूरी तरीके से गलत था। सभी देशों को आतंकवाद के खिलाफ एकजूट होना होगा।
- ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि ईरान हमेशा से इजरायल के खिलाफ रहा है। इस तरह की घटना का किसी को भी अंदाजा नहीं था। अमेरिका ने भी कहा है कि उनका हाथ नहीं है। हालांकि, ईरान को पूरी तरीके से अमेरिका पर शक हो रहा है। इजरायल भी इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ले रहा है। लेकिन दावा कर रहा है कि जहां हमला हुआ है वहां कोई दूतावास नहीं था। उन्होंने कहा कि ईरान काफी दिनों से शांत था। लेकिन यह हमला उसे आक्रामक होने पर मजबूर कर सकता है। ईरान के लोग मान रहे हैं कि यह उन पर सीधा हमला है। इसलिए ईरान चुप भी नहीं बैठेगा। ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि डिप्लोमेटिक लोगों की रक्षा होनी चाहिए। ईरान ने अमेरिका को मैसेज भी दे दिया है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि युद्ध की संभावना नहीं है। लेकिन इससे से तनाव और भी बढ़ सकता है। यह पूरी तरीके से प्लान के तहत अटैक किया गया है।
- ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने साफ तौर पर कहा कि हम कई दिनों से कहते आ रहे हैं कि रूस का पलड़ा बहुत भारी हो चुका है। मास्को में जो अटैक हुआ है, उसके बाद रूस और भी यूक्रेन के खिलाफ आक्रामक है। दोनों देश एक दूसरे के एनर्जी हब को निशाना बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इसमें रूस को भी सफलता मिल रही है तो यूक्रेन भी अपनी ताकत दिखाने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, यूक्रेन मजबूत नहीं है। यूक्रेन के पास हथियार भी नहीं है जबकि रूस खुद को मजबूत कर रहा है। यूक्रेन में पूरी तरीके से तबाही का मंजर है। रूस ने जो भी यूक्रेन का हिस्सा ले लिया है, वह वापस नहीं हो सकता है। यूक्रेन का मोरल पूरी तरीके से डॉउन है। पश्चिमी देशों के खिलाफ की रूस का आकर्मक कार्रवाई जारी है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन को मदद देने की बात हो रही है। लेकिन इस बार हथियार के लिए नहीं बल्कि इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए दी जा रही है। उन्होंने यहां भी कहा कि बैक चैनल से बातचीत की कोशिश की जा रही है। लेकिन अब तक सफलता नहीं मिल पाई है।
- ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि अच्छी बात है कि हम आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ रहे हैं। लेकिन जितनी चर्चा है, उतनी जल्दी हम इस दिशा में नहीं बढ़ रहे हैं। पहले से एक्सपोर्ट 32.5 प्रतिशत ज्यादा है। लेकिन बड़े एक्सपोर्ट होने बाकी है। इसमें 60% कंट्रीब्यूशन प्राइवेट सेक्टर का है। हमारे तेजस और ब्रह्मोस को लेकर कई देशों ने अपने दिलचस्पी दिखाई है। उन्होंने कहा कि डिफेंस सेक्टर को मजबूत करने के लिए सरकार की ओर से कई बड़े कदम उठाए गए हैं। एफडीआई भी आया है। लेकिन अभी भी कई सेक्टर में सुधार की जरूरत है। कई प्रोजेक्ट में अभी भी सुस्ती दिखाई देती है। व्यापार में जो भी मिडिलमैन हैं, उनको हटाने की जरूरत है। उन्होंने सॉफ्टवेयर कहा कि क्वालिटी मॉनिटरिंग पूरी तरीके से निष्पक्ष होनी चाहिए। एचएएल को आर्डर मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका अभी भी डिफेंस एक्सपोर्ट के मामले में नंबर वन पर है जबकि फ्रांस, रूस और चीन ने भी लगातार अपने कारोबार को विस्तार दिया है। अच्छी बात यह है कि भारत टॉप 25 की सूची में आ गया है। लेकिन अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है। हमें मेजर चीजों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हथियारों का इंपोर्ट कम हुआ है। लेकिन अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है। प्राइवेट सेक्टर भी सामने आए हैं। लेकिन उनके लिए अच्छी मार्केट की जरूरत है।