By Anoop Prajapati | Nov 17, 2024
दिंडोशी की सीट महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हॉट सीट बन गई है। इस सीट से दो दिग्गज राजनेताओं के चुनावी मैदान में उतरने से चुनावी रण में शिवसेना बनाम शिवसेना में कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है। जहाँ एक तरफ महायुति से संजय निरुपम हैं तो वहीं, दूसरी ओर महाविकास अघाड़ी से सुनील प्रभु को दावेदारी दी गई है। लड़की बहिन योजना से बेरोजगारी और प्रगति से दो शिवसेना तक दिंडोशी के वोटर के मुद्दे जानने के साथ ही प्रत्याशियों की गारंटी और जनता का मूड भांपना इस बार मुश्किल हो रहा है। दिंडोशी सीट पर इस बार मुकाबला बेहद खास है। इलाके की तंग गलियां और व्यस्त बाजार इस बार शिवसेना बनाम शिवसेना के बीच दिलचस्प चुनाव जंग देखने वाले हैं।
क्या कहती है क्षेत्र की जनता ?
दिंडोशी में आम लोगों की अलग-अलग पसंद है। एक वोटर ने कहा कि सुनील प्रभु हमें काफी समय से मिलते हैं और हमारे मुद्दों को समझते हैं। इसलिए उनका पलड़ा भारी है। तो वहीं, संजय निरुपम के समर्थकों को विश्वास है कि वे यहां से जीत दर्ज करेंगे। क्षेत्र के आम लोगों का कहना है कि इस बार दो शिवसेना है, लेकिन हम चाह रहे हैं कि वह जीते जो हमारे मुद्दों पर ध्यान दे, चाहे वह महंगाई का हो या बेरोजगारी का।
आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरु
दिंडोशी क्षेत्र में हर चुनाव में स्थानीय मुद्दों का दबदबा रहता है। जमीन से लेकर नालों तक के मुद्दे हैं, जिनका लोग समाधान ढूंढते हैं। महायुति गठबंधन के संजय निरुपम ने विधायक रहे सुनील प्रभु पर कोई भी काम न करने का आरोप लगाया और उनकी पार्टी को बेईमान बताया है। साथ ही उधर, सुनील प्रभु भी जोर-शोर से प्रचार अभियान में जुटे हैं। सुनील प्रभु ने न सिर्फ निरुपम के आरोपों का जवाब दिया बल्कि अपने कामों की रिपोर्ट भी सौंपी। उन्होंने संजय निरुपम को बाहरी बताया। निरुपम को चुनौती देते हुए सुनील प्रभु ने उनसे आमने-सामने आरोप लगाने की चुनौती दी।
वादों और वादों पर टिका फैसला
क्षेत्र के मतदाता उम्मीदवारों की योजनाओं और वादों पर चर्चा कर रहे हैं। खासकर महिला मतदाताओं के बीच महायुति की लड़की बहिन योजना को लेकर उत्सुकता है, पर स्थानीय जुड़ाव को भी तवज्जो दी जा रही है। एक महिला ने कहा कि महायुति ने हमारे लिए काम किया है । 7500 रुपए (हर महीने 1500 रुपये) भी आए हैं। वोट देना होगा तो इसी सरकार को दूंगी ताकि आगे भी पैसे आते रहें और हमारा भला हो। दिंडोशी की जनता का फैसला विकास, वादे और यहां से जुड़ाव पर निर्भर करता है, जहां शिवसेना के महायुति और महाविकास अघाड़ी के उम्मीदवार आमने-सामने हैं। जनता अपने उम्मीदवारों से विकास की योजना और व्यक्तिगत जुड़ाव चाहती है, लेकिन इस बार दो शिवसेना के बीच झूल रही है। अब 23 नवंबर को देखना है कि कौनसी शिवसेना जीत का सेहरा अपने सर बांधेगी।