By अंकित सिंह | Jan 24, 2024
आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा और नरेंद्र मोदी को चुनौती देने के लिए बने इंडिया गठबंधन अब पूरी तरीके से दरकता हुआ दिखाई दे रहा है। यह ठीक उसी दिशा में जाता हुआ दिख रहा है जैसा भाजपा दावा करती रही है। भाजपा साफ तौर पर कह रही थी कि इस गठबंधन में जो लोग शामिल हैं, वे महत्वाकांक्षी हैं इसलिए यह चुनाव से पहले ही बिखर जाएगा। फिलहाल देखें तो इंडिया गठबंधन में बिखराव की शुरुआत हो चुकी है। इसकी शुरुआत ममता बनर्जी ने कर दी है। ममता बनर्जी ने चुनाव से पहले कांग्रेस को झटका देते हुए अकेले बंगाल में उतरने का ऐलान कर दिया। तो इसके ठीक बाद आप ने भी साफ तौर पर कह दिया कि वह पंजाब में अकेले चुनाव लड़ेंगे। ऐसे में अब इंडिया गठबंधन को लेकर सवाल फिर से शुरू हो गए हैं। क्या इंडिया गठबंधन चुनाव तक स्थिर रह पाएगा, इंडिया गठबंधन का आगे क्या होगा, यह तमाम सवाल उठ रहे हैं।
ममता बनर्जी ने घोषणा की कि उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) राज्य में आगामी लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेगी। ममता ने इसके लिए कांग्रेस के साथ सीट बंटवारे पर बात नहीं बन पाने का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि मैंने उन्हें जो भी प्रस्ताव दिया, कांग्रेस ने सभी को अस्वीकार कर दिया। बनर्जी ने कहा कि तब से, हमने बंगाल में अकेले जाने का फैसला किया है। टीएमसी सुप्रीमो ने कांग्रेस पर निराशा व्यक्त करते हुए दावा किया कि उन्होंने उन्हें पश्चिम बंगाल में अपनी नियोजित भारत जोड़ो न्याय यात्रा के बारे में भी सूचित नहीं किया। उन्होंने कहा, "शिष्टाचार के नाते, उन्होंने मुझे यह भी सूचित नहीं किया कि वे बंगाल में यात्रा आयोजित करने जा रहे हैं।" पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बुधवार को कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) राज्य की सभी 13 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करेगी। उन्होंने कहा कि पंजाब में हम कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करेंगे, हमारा कांग्रेस के साथ कुछ भी नहीं है।
डैमेज कंट्रोल करते हुए कांग्रेस ने कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के बिना विपक्षी गठबंधन की "कल्पना नहीं की जा सकती"। जयराम रमेश ने कहा कि इंडिया ब्लॉक पश्चिम बंगाल में गठबंधन की तरह लड़ेगा और उम्मीद है कि भविष्य में टीएमसी के साथ सीट-बंटवारे की बातचीत सफल होगी। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने साफ कहा कि ममता और टीएमसी भारत गठबंधन के बहुत मजबूत स्तंभ हैं। हम ममता जी के बिना इंडिया गठबंधन की कल्पना नहीं कर सकते। भाजपा के अमित मालविया ने कहा कि पश्चिम बंगाल में अकेले लड़ने का ममता बनर्जी का फैसला हताशा का संकेत है। अपनी राजनीतिक जमीन बरकरार रखने में असमर्थ, वह सभी सीटों पर लड़ना चाहती है, इस उम्मीद में कि चुनाव के बाद भी वह प्रासंगिक बनी रह सकती है। उन्होंने कहा कि वह लंबे समय से बाहर निकलने के लिए जमीन तैयार कर रही थीं। लेकिन तथ्य यह है कि राहुल गांधी के बंगाल में सर्कस आने से ठीक पहले उनकी अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा आई.एन.डी.आई. गठबंधन के लिए एक मौत की घंटी है।
बताया जा रहा है कि ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को दो से ज्यादा सीटें देने को तैयार नहीं थीं। 2019 के चुनाव में बंगाल में कांग्रेस ने सिर्फ दो सीटों पर ही जीत हासिल की थी। हालांकि, कांग्रेस पश्चिम बंगाल में ज्यादा सीटों की उम्मीद कर रही है। इतना ही नहीं, ममता बनर्जी के खिलाफ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और पार्टी के बड़े नेता अधीर रंजन चौधरी लगातार बयान देते रहे हैं। वे ममता बनर्जी की सरकार पर सवाल उठाते रहे हैं। यह ममता बनर्जी को बिल्कुल भी रास नहीं आ रहा था। सूत्र दावा कर रहे हैं की ममता बनर्जी ने कांग्रेस आलाकमान को इसकी शिकायत भी की थी। लेकिन उनकी ओर से कुछ नहीं किया गया। इतना ही नहीं, ममता बनर्जी इस बात से भी नाराज थीं कि इंडिया गठबंधन में कम्युनिस्ट पार्टी का बोलबाला है। ममता बनर्जी ने कम्युनिस्ट पार्टी को ही हराकर बंगाल में सत्ता हासिल किया है।
राजनीतिक पंडितों की ओर से दावा किया जा रहा है कि इंडिया गठबंधन को कांग्रेस के घमंडियां रुख ने ले डूबा। कांग्रेस बड़ा दिल दिखाने की बात करती है लेकिन अभी भी बिग ब्रदर जैसा बर्ताव कर रही है। ममता और आप ऐसे दो दल हैं जो इंडिया गठबंधन में बड़ी भूमिका रखते हैं। ऐसे में इन दोनों के इस दावे के बाद इंडिया गठबंधन की नींव कमजोर हो सकती है। राजनीतिक विश्लेषक यह भी दावा कर रहे हैं कि इंडिया गठबंधन एक राजनीतिक जुगाड़ था, जनता की मांग नहीं। इन तमाम चीजों से यह साफ हो चुका है। कांग्रेस खुद को अभी भी बड़ी पार्टी मानती है। ऐसे में क्षेत्रीय दल कांग्रेस को बहुत ज्यादा भाव देने के मूड में नहीं है। हालांकि, कांग्रेस की ओर से इस गठबंधन को बरकरार रखने की कोशिश की जाएगी ताकि चुनाव में मनोवैज्ञानिक लाभ मिल सके। लेकिन, इसके सभी दल चुनाव तक बरकरार रहेंगे या नहीं, इस पर सवाल है। ममता बनर्जी ने बड़ा कदम उठाते हुए अरविंद केजरीवाल, नीतीश कुमार जैसे नेताओं को यह संकेत दे दिया कि अगर बात नहीं बन पाती है तो गठबंधन से दूरी बनाई जा सकती है।