By अनुराग गुप्ता | Jul 26, 2021
बीजिंग। चीन के वुहान शहर से फैले कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में हाहाकार मचाया हुआ है। साल 2019 में कोरोना वायरस संक्रमण का पहला मामला सामने आया था और धीरे-धीरे इस संक्रमण ने महामारी का रूप धारण कर लिया। तकरीबन हर देश की सरकारों का इस वायरस के रोकथाम के लिए सख्त निर्णय लेने पड़े। कई देशों में तो अभी भी लॉकडाउन लागू है। दुनिया की दूसरी सबसे ज्यादा आबादी वाले देश भारत को भी लॉकडाउन लगाना पड़ा था।
इतना ही नहीं कोरोना की दूसरी लहर में भी लोगों को प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा। लेकिन इस वायरस को लेकर जो सच सामने आया है वह चीन की परेशानी को बढ़ा सकता है। अंग्रेजी समाचार पत्र 'डेली मेल' की रिपोर्ट के मुताबिक चीन में साल 2002 में ही कोरोना वायरस का पहला मामला सामने आया था। तब यहां के ग्वांगडोंग के कई रेस्त्रां के शेफ और मीट की दुकानों में काम करने वाले कसाई इस वायरस की चपेट में आ गए थे।
रिपोर्ट के मुताबिक इन लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। साथ ही साथ बुखार के भी जूझ रहे थे। उस वक्त इस तरह के हालात देखकर डॉक्टर्स भी सख्ते में आ गए थे। यहां तक की मरीजों की देखभाल करने वालों को भी इस वायरस ने अपनी चपेट में ले लिया था।रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि कसाइयों समेत रेस्त्रां के शेफ में बिल्कुल कोरोना वायरस जैसे ही लक्षण थे। लेकिन उस वक्त इस बीमारी पर काबू पा लिया गया था। लेकिन मौजूदा समय के हालातों पर काबू पाने का प्रयास अभी भी जारी है। साल 2019 से फैले इस वायरस के खिलाफ जंग में वैक्सीन ही एकमात्र उपाय है। ऐसे में सरकारें वैक्सीनेशन प्रोग्राम को गति देने का प्रयास कर रही हैं।कुछ रिपोर्ट्स में तो कोरोना वायरस संक्रमण को चीन का वायलॉजिकल हथियार तक करार दिया गया है। इतना ही नहीं अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके समर्थकों ने तो कोरोना वायरस के पीछे चीन का हाथ होने की बात कही थी।