नेपाल की सियासी हलचल पर भारत की पैनी नजर, PM ओली पर बन रहा इस्तीफा देने का दबाव

By अनुराग गुप्ता | Jun 27, 2020

काठमांडू। भारत के तीन इलाकों को नेपाल ने अपने नए नक्शे में शामिल कर अपने पड़ोसी देश के साथ रिश्तों में कड़वाहट पैदा कर ली है और अब नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को उन्हीं की पार्टी आंख दिखा रही है। दरअसल, ओली अब चौतरफ घिरते हुए नजर आ रहे हैं। पहला तो भारत के साथ संबंधों में केपी शर्मा ओली ने कड़वाहट घोल दी है तो वहीं चीन द्वारा बड़े हिस्से को कब्जा किए जाने के विपक्ष के आरोपों का भी सामना कर रहे हैं।

इसके अतिरिक्त खबर है कि अब केपी शर्मा ओली की पार्टी उन पर इस्तीफा देने का दबाव भी बना रही है। सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी में उनके धुर विरोधी पीके दहल (प्रचंड) ने स्पष्ट कर दिया है कि वह ओली के मनमाने ढंग से कामकाज करने के तरीकों से तंग आ चुके हैं। हालांकि नेपाल की तमाम घटनाओं पर भारत नजर बनाए हुए है और दोनों देशों के बीच रोटी-बेटी के संबंधों की बात कर रहा है। भारत ने प्रतिक्रिया देते हुए पड़ोसी देश को सिर्फ इतना याद दिलाया कि लॉकडाउन के बावजूद हमने जरूरी सामानों की आपूर्ति को प्रभावित होने नहीं दिया। 

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इस्तीफा देने का दबाव

नेपाल मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक ओली पर दबाव बनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के आवाज पर शुक्रवार को पार्टी की हाई-लेवल मीटिंग थी। लेकिन इस मीटिंग में ओली नहीं पहुंचे। शुरु में जानकारी सामने आई कि ओली ने एक संदेश भिजवाया है जिसमें उन्होंने कहा है कि वह थोड़ी देर बाद मीटिंग में शामिल होंगे। लेकिन वह मीटिंग में नहीं आए।

नेपाल की घटनाओं पर बारीकी से नजर रखने वालों का कहना है कि पार्टी पहले से ही केपी शर्मा ओली को नापसंद करती रही है। ऐसे में उन्होंने अपने विशालकाय छवि पेश करने के लिए भारत के तीन इलाकों को जानबूझकर अपने नक्शे में शामिल किया। हालांकि उनको स्टैंडिंग कमेटी की पहली बैठक में ही पीके दहल (प्रचंड) की आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। 

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नेपाल के द काठमांडू पोस्ट अखबार ने सूत्रों के हवाले से लिखा कि पीके दहल (प्रचंड) ने इस बैठक में कई खुलासे किए। उन्होंने कहा कि हमने सुना है कि सत्ता में बने रहने के लिए पाकिस्तानी, अफगानी और बांग्लादेशी मॉडल अपनाए जा रहे हैं लेकिन ये प्रयास सफल नहीं होंगे। इसके अतिरिक्त स्टैंडिंग कमेटी के कई सदस्यों को लगता है कि ओली को इस्तीफा देना पड़ेगा क्योंकि पार्टी के ज्यादातर लोगों को लगता है कि वह सरकार नहीं चला सकते।

वहीं, खबर सामने आई कि नेपाल ने चीन को जमीन दी है। हालांकि नेपाल के विदेश मंत्रालय ने इस बात को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि चीन और नेपाल के बीच 1961 में हुए सीमा समझौते और उसके बाद के समझौतों के मुताबिक सीमा को चिन्हित किया गया है।

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