नेपाल में कोविड के मामलों में कमी आने के बाद स्कूल खोलने की मांग

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Feb 07, 2022

काठमांडू|  नेपाल में कोविड-19 के मामलों में कमी आने के बाद पिछले कुछ सप्ताह से बंद स्कूलों में सामान्य रूप से कक्षाएं शुरू करने की मांग रविवार को की गई।

शिक्षकों का कहना है कि ऑनलाइन शिक्षा हिमालयी राष्ट्र के शहरी हिस्से में रहने वालों को ही उपलब्ध है और स्कूल बंद रहने के कारण बड़ी संख्या में छात्रों की शिक्षा प्रभावित हो रही है।

कोरोना वायरस के सामान्य और ओमीक्रोन स्वरूप से संक्रमण के मामले पिछले कुछ सप्ताह में अपने चरम पर थे, लेकिन पिछले कुछ दिनों में उनमें कमी आयी है। प्राइवेट एंड बोर्डिंग स्कूल्स ऑर्गेनाइजेशन नेपाल (नेपाल के निजी एवं आवासीय स्कूलों के संगठन) के अध्यक्ष टीका राम पुरी ने कहा, ‘‘हम स्कूल खोलने के लिए तैयार हैं, छात्र वापस जाने को तैयार हैं, अभिभावक अपने बच्चों को (स्कूल) भेजने को तैयार हैं और कोविड के मामलों में भी कमी आयी है, ऐसे में सरकार के पास स्कूलों पर पाबंदी (सामान्य कक्षाएं बंद करने) की कोई वजह नहीं है।’’

पुरी ने कहा कि वे चाहते हैं कि स्कूल अगले सप्ताह से खोल दिए जाएं। उच्च विद्यालय में विज्ञान की शिक्षिका संगीना गोम्जा का कहना है, ‘‘शिक्षा का स्तर गिर रहा है और शिक्षा को लेकर छात्रों का विचार बदल रहा है, क्योंकि स्कूल बार-बार लंबे समय के लिए बंद हो रहे हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘गांवों के छात्रों को पिछले दो साल में बमुश्किल ही कोई शिक्षा मिली है।’’ नेपाल में छात्रों ने रविवार को बसंत पंचमी के अवसर पर विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की और मंदिरों में देवी के दर्शन किए।

हिन्दू पंचांग के अनुसार, वसंत पंचमी के बाद वसंत ऋतु की शुरुआत होती है। 12वीं की छात्रा रूबिता कार्की ने कहा, ‘‘स्कूल जल्दी खोले जाने चाहिए क्योंकि हम छात्रों को तमाम समस्याएं आ रही हैं जैसे इंटरनेट सेवा बाधित होना, बिजली चली जाना, घर में शोर-शराबा, इससे पढ़ाई ठीक से नहीं हो पाती है।’’

उनका कहना है, ‘‘स्कूल खोलने की जरूरत है लेकिन मास्क लगाना और सेनेटाइजर का उपयोग करना, अनिवार्य होना चाहिए।’’ हालांकि कुछ छात्र अभी भी चिंतित हैं।

सामाजिक कार्य विषय की कॉलेज की छात्रा अप्सरा श्रेष्ठ का कहना है कि कोरोना वायरस संक्रमण अभी भी चिंता का विषय है और वह फिर से स्कूल खोले जाने के खिलाफ हैं।

उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्या होगा अगर कोई छात्र बीमार हो जाए या फिर उसकी मौत हो जाए?’’

नेपाल में अभी तक कुल 52 फीसदी आबादी का पूर्ण टीकाकरण हुआ है। इसमें 12 साल और उससे ज्यादा आयु के बच्चे, वयस्क और बुजुर्ग सभी शामिल हैं।

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