By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jun 17, 2019
नयी दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी में कई सरकारी और निजी अस्पतालों में सोमवार को स्वास्थ्य सुविधाएं प्रभावित हो सकती हैं जहां कई डॉक्टरों ने पश्चिम बंगाल में हड़ताल कर रहे अपने साथियों के समर्थन में एक दिन के लिए काम का बहिष्कार करने का फैसला किया है। हालांकि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) द्वारा बुलाई गई हड़ताल में शामिल होने से इनकार कर दिया है। आईएमए ने 17 जून को देशभर में हड़ताल की घोषणा की है। एसोसिएशन के सदस्य यहां उसके मुख्यालय पर धरना भी देंगे। केंद्र सरकार के सफदरजंग अस्पताल, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज अस्पताल, आरएमएल अस्पताल और दिल्ली सरकार के जीटीबी अस्पताल, डॉ बाबा साहेब अंबेडकर अस्पताल, संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल तथा दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल के डॉक्टर सोमवार को काम नहीं करेंगे।
आईएमए ने कहा कि सभी बाह्यरोगी विभाग (ओपीडी), नियमित ऑपरेशन थियेटर सेवाएं और वार्ड में डॉक्टरों के दौरे सोमवार को सुबह छह बजे से अगले दिन सुबह छह बजे तक निलंबित रहेंगे। उसने कहा कि आपातकालीन सेवाएं चलती रहेंगी। दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (डीएमए) और फेडरेशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (फोरदा) ने भी हड़ताल को समर्थन जताया है। एम्स ने देर रात जारी एक बयान में कहा कि वह आईएमए द्वारा बुलाई गई राष्ट्रव्यापी हड़ताल में भाग नहीं लेगा, लेकिन सोमवार सुबह आठ और नौ बजे विरोध मार्च निकाला जाएगा। बयान में कहा गया है, मरीजों की देखभाल को ध्यान में रखते हुए एम्स रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) ने हड़ताल में भाग नहीं लेने का फैसला किया है, लेकिन सोमवार सुबह आठ और नौ बजे विरोध मार्च निकाला जाएगा।
इसे भी पढ़ें: सर्वदलीय बैठक में विपक्ष ने बेरोजागारी और किसानों की समस्या पर चर्चा की मांग की
पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टर 11 जून से हड़ताल पर हैं। कोलकाता के एनआरएस मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक रोगी की मौत के बाद उसके रिश्तेदारों ने दो डॉक्टरों पर हमला कर दिया था और वे गंभीर रूप से घायल हो गये थे। कोलकाता के डॉक्टरों के साथ एकजुटता दिखाते हुए देशभर में डॉक्टरों ने काम नहीं करने का फैसला किया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने शनिवार को राज्यों से डॉक्टरों और चिकित्सा कर्मियों को किसी भी तरह की हिंसा से बचाने के लिए विशेष विधेयक पारित करने पर विचार करने को कहा। आईएमए ने डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों को हिंसा से बचाने के लिए व्यापक केंद्रीय कानून बनाने की मांग की है।